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आदिवासी गोंड-बैगा जनजाति के संस्कृति पर बन रही है फिल्म

आदिवासी गोंड-बैगा जनजाति के संस्कृति पर बन रही है फिल्म

मवई के स्थानीय लोग व गोंड बैगा आदिवासियों में बहुत उत्साह का माहौल बना हुआ है


मण्डला। गोंडवाना समय। 

मंडला जिला के मवई विकास खंड मुख्यालय के आसपास के गांवों में आदिवासियों के जीवन शैली जिसमें खेती-किसानी, रहन-सहन, संस्कृति, रीति रिवाज परंपराओं पर अधारित कहानी पर यहाँ की बोली भाषा में फिल्म शूटिंग प्रांरभ किया गया है।
            


स्थानीय आदिवासी समुदाय के लोगों में बहुत उत्साह है, फिल्म में अधिकांश पात्र स्थानीय और आदिवासी समाज के शामिल किये गए हैं। मुंबई की ट्रायस्टिना फिल्म प्रोडक्शन के द्वारा यह फिल्म बनाई जा रही है प्रोडक्शन टीम में मुंबई की टीना नागपाल के साथ पुरुस्कार प्राप्त कैमरा मैन व अन्य बेहतरीन तकनीशियन शामिल हैं। 

यूं बढ़ा फिल्म निर्माण का कारंवा 


टाटा फाउंडेशन द्वारा आयोजित national tribal conclave  "संवाद" टाटानगर जमशेदपुर (झारखंड) 2018 कार्यक्रम में हमारे क्षेत्र से से आदिवासी संस्कृति का प्रस्तुति के लिए चरन परते, पूरन सिंह पन्द्रे, रुकमणी सुरेश्वर व साथी शामिल हुए थे।
            बाद में सी जी नेट स्वर के माध्यम से 3 दिवसीय कार्यशाला रायपुर में आयोजित की गई थी जिसमें चरन परते की फिल्म निमार्ता से मुलाकात हुई। गोंड बैगा जनजाति के जीवन पर आधारित कहानी, पटकथा लेखन के लिए मवई में 5 दिवसीय कार्यशाला रखा गया। जिसमें आदिवासियों की रूढ़ियों परम्पराओं व जीवन शैली पर स्क्रिप्ट क्षेत्र में कार्यरत मूलवासी सेवा समिति व आदिम नव जागृति सेवा संस्थान के सहयोग से बनाया गया। 

फिल्म में स्थानीय कलाकार व आदिवासी युवा भी शामिल


रंगमंच व थियेटर के प्रशिक्षक अनीश वैट्श सर द्वारा मवई के स्थानीय कलाकारों को अभिनय के बारीकियों को सिखाने 10 दिन का प्रशिक्षण दिया गया। फिल्म निर्माण के गतिविधियों में शामिल होकर आदिवासी व स्थानीय युवा युवतियों को अभिनय का अवसर मिला है तथा कास्टिंग, कास्टयूम डिजाइनिंग, आर्ट डिजाइनिंग, कैमरा आदि फिल्म निर्माण के सभी प्रभागों में स्थानीय लोग शामिल हैं जिससे क्षेत्रीय युवा पीढ़ी को नये तकनीकी अनुभव, कला के क्षेत्र में रोजगार की मिला है।
            सह निमार्ता के रुप में स्थानीय समाज सेवी संस्था  आदिम नव जागृति सेवा संस्थान छींदीगढ़ मवई  स्थानीय कलाकारों को अवसर व स्थानीय संसाधनों के लिए सहयोग कर रही है,  मवई के स्थानीय लोग व गोंड बैगा आदिवासियों में बहुत उत्साह का माहौल बना हुआ है। 

मण्डला प्रशासन ने फिल्म शूटिंग के लिए अनुमति प्रदान किया है हम इसके आभारी हैं-अजय मरकाम


वहीं इस संबंध में अजय मरकाम अध्यक्ष आदिम नव जागृति सेवा संस्थान छींदीगढ़ मवई का कहना है कि आदिवासी गोंड-बैगा जनजाति के संस्कृति पर बन रही है फिल्म के प्रांरभ होने से हमें प्रसन्नता है कि पहली बार सारी दुनिया में हम  गोंड बैगा आदिवासियों की संस्कृति विशुद्ध रूप से फिल्म के माध्यम से दिखाई जायेगी। क्षेत्र के कलाकारों को अभिनय का अवसर दिया गया है। जिला प्रशासन मंडला सकारात्मक रूप से आदिवासियों के संस्कृति को बढ़ावा देने वाली फिल्म शूटिंग के लिए अनुमति प्रदान किया है। हम इसके आभारी हैं।  

आदिवासियों के गाँव की संस्कृति, दशा और दिशा दिखा पायेंगे-चरन परते


इस संबंध में    चरन सिंह परते कलाकार का कहना है कि आदिवासी गोंड-बैगा जनजाति के संस्कृति पर बन रही है फिल्म के प्रांरभ होने से क्षेत्र में खुशी का माहौल व्याप्त है। वहीं हम लोग अपने आदिवासी संस्कृति, पहचान को बरकरार रखने के लिए निरंतर समाज में सभा संगोष्ठी प्रशिक्षण जैसे गतिविधि हमेशा करते रहे हैं, आशा है यह बीज फिल्म के माध्यम से हम सभी को आदिवासियों के गाँव की संस्कृति, दशा और दिशा दिखा पायेंगे। 

समाज के लिये गौरव का विषय हैं और कला के क्षेत्र में उन्हें और भी अनुभव प्राप्त होगा-गोंड रविकांत शाह पंद्रे 


वहीं इस संबंध में गोंड रविकांत शाह पन्द्रे का कहना है कि आदिवासी गोंड-बैगा जनजाति के संस्कृति पर बन रही है बीज नामक फिल्म आदिम संस्कृति के खान-पान, रहन-सहन, भाषा-बोली वा अपनी पहचान को बनायें रखने के लिये फिल्म बन रही हैं। यह आदिवासी समाज के लिये प्रसन्ता की बात हैं उस फिल्म में ग्रामीण क्षेत्र के गोंड बैगा युवा युवतियों को अभिनय करने का अवसर मिला हैं निश्चित ही समाज के लिये गौरव का विषय हैं और कला के क्षेत्र में उन्हें और भी अनुभव प्राप्त होगा। 

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