बड़ादेव पेनठाना को तोड़कर क्षतिग्रस्त करने के मामले में जनजाति समुदाय में आक्रोश व्याप्त
राजा दलपत शाह की प्रतिमा को तोड़ने के कुछ दिन बाद जनजातियों की धार्मिक आस्था पर किया गया कुठाराघात
प्रकृति शक्ति सल्ला घांघरा की स्थापना ग्राम के समस्त आदिवासी समाज के द्वारा विधिविधान से की गई थी
सिवनी। गोंडवाना समय।
जनजाति बाहुल्य मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जनजातियों को भगवान का दर्जा देते है। इस संबंध में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कई बार मंचों से भाषण के दौरान जनजातियों को भगवान का दर्जा देते संबोधित भी किया है।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा आदिवासी सम्मान यात्रा के दौरान घंसौर ब्लॉक में आयोजित कार्यक्रम के दौरान जनजातियों को भगवान देने की बात कहा था लेकिन जनजाति बाहुल्य मध्यप्रदेश में जनजातियों के देव स्थल, उनकी आस्था, धर्म, संस्कृति को तोड़-फोड़ कर जनजाति समुदाय की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाकर कुठाराघात खुलेआम किया जा रहा है।
जनजाति बाहुल्य जिला सिवनी मुख्यालय मात्र 2 किलोमीटर पर स्थित ग्राम परतापुर में जनजातिय वर्ग के द्वारा स्थापित किये गये बड़ादेव पेनठाना में स्थापित सल्ला घांघरा प्रतिक चिह्न को स्थापित किया गया था जिसे दिनांक 15 दिसंबर 2022 की रात्रि में असामाजिक अज्ञात तत्वों के द्वारा क्षतिग्रस्त कर दिया गया है। बड़ादेव पेनठाना को क्षतिग्रस्त कर तोड़ने की जानकारी मिलने के बाद जनजातिय समुदाय के समस्त सगाजनों में आक्रोश व्याप्त है।
इसको लेकर जनजाति समुदाय के समस्त सामाजिक संगठनों के द्वारा 16 दिसंबर 2022 को ग्राम परतापुर में मौका स्थल पर जाकर निरीक्षण कर ग्रामवासियों से जानकारी लिया वहीं इस संबंध में कानूनी कार्यवाही हेतु कोतवाली थाना प्रभारी श्री महादेव नागोतिया से मिलकर शिकायत पत्र भी ग्रामीणों के साथ दिया है।
राजा दलपत शाह जी की प्रतिमा को किया था तोड़फोड़, अज्ञात आरोपी की नहीं हुई गिरफतारी
मध्यप्रदेश के शिवराज सरकार और भारतीय जनता पार्टी के द्वारा मध्यप्रदेश में जनजाति गौरव दिवस मनाते हुये जनजातिय गौरव यात्रा गांव-गांव में निकाली जा रही है। वहीं दूसरी ओर जनजाति समाज की आस्था, विश्वास, धर्म, संस्कृति, रीति रिवाज परंपरा पर कुठाराघात करने का कार्य भी अज्ञात लोगों के द्वारा मध्यप्रदेश की धरती में सिवनी जिले में किया जा रहा है।
हम आपको बता दे कि जनजातिय समुदाय के द्वारा बिरसा मुण्डा जी की जयंति के दिन 15 नवंबर 2022 को ही गोंडवाना साम्राजय के राजा दलपत शह की प्रतिमा जो कि दलसागर तालाब के चौपाटी में स्थापित किया गया था। जिसे कुछ असामाजिक तत्वों के द्वारा 25 नवंबर की रात्रि में तोड़फोड़ कर क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। जिससे गोंडियन समुदाय के सगाजनों में आक्रोश व्याप्त हो गया था उन्होंने नाराजगी जताते हुये इस मामले में काय्रवाही की मांग किया था।
राजा दलपत शाह जी की प्रतिमा को तोड़फोड़ करने वाले अज्ञात लोगों पर कोतवाली पुलिस थाना सिवनी में प्रकरण भी दर्ज किया गया है लेकिन अभी तक किसी की गिरफतारी नहीं हुई है। इसके बाद 15 दिसंबर 2022 को सिवनी जिला मुख्यालय से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम परतापुर में बड़ादेव पेनठाना को तोड़कर क्षतिग्रस्त कर दिया गया है।
जनजातिय समुदाय की आस्था, विश्वास धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने का एक माह में ही दूसरी घटना को अंजाम दिया गया है। इससे जनजाति समुदाय में आक्रोश व्याप्त है।
सम्पूर्ण आदिवासी समाज की धर्म, आस्था, संस्कृति का अपमान है
सर्व आदिवासी समाज जिला सिवनी मध्यप्रदेश के द्वारा 16 दिसंबर 2022 को ग्राम परतापुर में स्थापित शक्ति फडापेन (सल्ला घांघरा) को तोडफोड करने के मामले में सूचना मिलने पर समस्त पदाधिकारी ग्राम परतापुर पहुंचे। इसके बाद उन्होंने कोतवाली पुलिस थाना सहित कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक के नाम आवेदन कार्यवाही हेतु दिया है जिसमें उन्होंने उल्लेख किया है कि ग्राम परतापुर ग्राम पंचायत बम्होड़ी में आदिवासी समाज की आस्था का प्रतिक प्रकृति शक्ति सल्ला घांघरा की स्थापना ग्राम के समस्त आदिवासी समाज के द्वारा गोंडी धर्म संस्कृति रीति रिवाज परंपरा व विधिविधान से की गई थी।
जिसे 15 दिसंबर 2022 की रात्रि में किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा प्रकृति शक्ति सल्ला घांघरा के प्रतिक चिह्न को क्षतिग्रस्त कर तोड़फोड़ कर दिया गया है जो कि सम्पूर्ण आदिवासी समाज के धर्म, आस्था, संस्कृति के प्रतिक का अपमान है। इस घटना की खबर से सम्पूर्ण क्षेत्र में भारी रोष व्याप्त है। पूर्व में आदिवासी समाज के लोग उस स्थल पर पूजा पाठ करने जाते थे उस समय ग्राम की के कुछ लोगों के द्वारा पूजन पाठ करने से रोका जाता था वहीं आदिवासी समाज के सगाजनों को जातिगत रूप से अपमानित करते हुये अपशब्दों कर अपमानित किया जाता है।
सर्व आदिवास समाज संगठन ने जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन से अनुरोध किया है कि हमारे ग्राम प्रतापुर में प्रकृति शक्ति फड़ापेन को खंडित कर तोड़फोड़ करने वाले के विरुद्ध कार्यवाही कराते हुये समाज को न्याय दिलाने की मांग किया गया है।
आदिवासियों के देव स्थलों को राजस्व रिकार्ड में दर्ज करने के दिये गये है आदेश
मध्यप्रदेश शासन, मुख्यमंत्री सहित कार्यालय आयुक्त भू-अभिलेख एवं बन्दोबस्त, मध्य प्रदेश ग्वालियर द्वारा मध्यप्रदेश गोत्रवार देव खलिहान में प्रतिवर्ष पूजा करते है उन्हें नियमानुसार राजस्व रिकार्ड करने के आदेश जारी किये गये है। गोड जनजाति समूह में परमपरागत देवस्थल को राजस्व रिकार्ड में अंकन किये जाने की मांग करने के बाद मध्यप्रदेश शासन द्वारा मध्यप्रदेश के समस्त कलेक्टरों को आदेशित किया गया है साथ में भू अभिलेख कार्यालय प्रमुखों को भी आदेशित किया गया है लेकिन आदिवासी के देव स्थलों व धार्मिक स्थलों को राजस्व रिकार्ड में दर्ज नहीं किया जा रहा है, इसके पीछे क्या कारण है यह तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ओर उनके अफसर ही जानते है।
सिवनी जिले में गोंडवाना साग्राज्य के राजा दलपत शाह जी की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त करके जनजातिय समुदाय की आस्था, विश्वास के साथ कुठाराघात करने का मामला अभी शांत नहीं हुआ है और न ही इस घटना को अंजाम देने वाले आरोपी पकड़ाये है। इसके बाद मात्र 1 महिने के अंतराज में दूसरी घटना को अंजाम देते हुये जनजातियों के धार्मिक स्थल बड़ादेव ठाना में स्थपित पेनठाना को तोड़फोड़ कर क्षतिग्रस्त कर दिया है। भारत देश में सर्वाधिक जनजातियों का जनसंख्या वाला राज्य मध्यप्रदेश में जनजातियों की धार्मिक आस्था, विश्वास के साथ कुठाराघात करने का कार्य किया जा रहा है।
इसकी जानकारी मिलने के बाद जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन के असंवेदलशीलता भी उजागर हो रही है। जहां एक ओर मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी जनजातिय वर्ग को अपनी ओर आकर्षित करने के लिये जनजाति गौरव दिवस के साथ जनजातिय गौरव यात्रा निकाल रही है। पेसा एक्ट भी लागू कर दिया गया है इसके लिये जनजागृति भी गांब-गांव फैलाने व बताने के लिये मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, सांसद सहित समस्त भाजपा के पदाधिकारी पहुंच रहे है।
वहीं दूसरी ओर जनजाति बाहुल्य जिला सिवनी ने लगातार जनजातियों की आस्था, विश्वास, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई जा रही है इसके बाद भी जिला प्रशासन के मुखया कलेक्टर व पुलिस प्रशासन के मुखिया पुलिस अधीक्षक ऐसे गंभीर मामले में संवेदनशील नहीं है। इसको लेकर भी जनजाति समुुदाय के समाजिक संगठनों के पदाधिकारियों ने सवाल खड़े किये है।