कान्हा नेशनल पार्क के 6 गांव राजस्व ग्राम बनने से छूटे, जनप्रतिनिधियों ने सौपा ज्ञापन
वर्षों से विकास की बांट जोहते वन ग्राम आज भी विकास की मुख्य धारा से दूर है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा प्रदेश के 827 वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में बदलने की घोषणा की थी। वहीं वर्ष 2008 से देश में वन अधिकार मान्यता कानून लागू हो चुका है।
इस कानून में भी धारा 3 (1) (झ) में वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में बदलने के प्रावधान दिये गए हैं लेकिन इस कानून को लागू हुए भी 14 वर्ष पूरे हो चुके हैं इसके बाद भी कान्हा नेशनल पार्क के मुक्की, पटवा, छतरपुर, कांधला, धनियाझोर एवं जंगलीखेड़ा वन ग्राम को राजस्व ग्राम बनने की जद्दोजहद में है।
वन ग्राम पूरी तरह विकास के क्षेत्र में पिछड़ चुके है
इस दिशा में वनग्रामो के लिये कोई कदम भी आगे नहीं बढ़ाया गया और इसी का प्रमाणित सबूत वन ग्राम अभी भी उसी अवस्था में रह गए हैं जो पूरी तरह विकास के क्षेत्र में पिछड़ चुके है। मध्यप्रदेश सरकार का वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में बदलने की कवायद सिर्फ जुमला ही साबित हो रहा है या वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में परिवर्तित किए जाने की संकीर्ण पहल है। वन ग्रामों का अभी भी अस्तित्व में होना यह स्पष्ट करता कि वन विभाग और राजस्व विभाग के बीच जमीनों का असंगत बंटवारा, जिसमें वन विभाग द्वारा जबरन राजस्व के हिस्से की जमीनों पर नियंत्रण हासिल करना है।
वन ग्राम मुक्की, पटवा, छतरपुर, कांधला, धनियाझोर एवं जंगलीखेड़ा को राजस्व ग्राम में शामिल किया जाए
जिससे वन ग्राम राजस्व ग्राम के मौलिक अधिकारों से वंचित है, कान्हा नेशनल पार्क के परिधि में फसें वन ग्राम के ग्रामीणों ने अपने वन ग्रामो को परिवर्तन करने के संबंध में ज्ञापन प्रस्तुत करते हुये उल्लेख किया है कि वन अधिकार अधिनियम 2006 एवं जनजाति कार्य मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वर्ष 2013 में दिये गये निर्देश अनुसार अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वनवासीयों को वन अधिकारों के तहत वन ग्रामो को राजस्व ग्राम करने के लिये मान्यता अधिनियम 2006 के तहत कान्हा टाइगर रिजर्व कोर जोन के शेष 6 वन ग्राम मुक्की, पटवा, छतरपुर, कांधला, धनियाझोर एवं जंगलीखेड़ा को राजस्व ग्राम में शामिल किया जाए।
प्रदेश व्यापी उग्र आंदोलन करने मजबूर होना पड़ेगा, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होंगी
उन्होंने अपने पत्र में कार्यालय कलेक्टर भू अभिलेख बालाघाट मध्य प्रदेश पत्र क्रमांक 1087 अ भू अ / रा. नि./ वन रा. ग्राम दिनांक 09/09/2022 का जिक्र करते हुये संदर्भ पत्र 2 अनुसार जिला बालाघाट के तहसीलवार वन ग्रामों की सूची उपलब्ध कराई गई है जिसमें बैहर तहसील के सम्मुख 25 गांव अंकित हैं अर्थात 25 वन ग्राम को राजस्व ग्राम में परिवर्तन हेतु निर्णय लिया गया है जिसमें कान्हा टाइगर रिजर्व मंडला के अंतर्गत कोर जोन के छ वन ग्रामो को 25 गांव की सूची से बाहर कर वन ग्राम से राजस्व ग्राम में संपरिवर्तन से वंचित किया जा रहा है। ग्रामीणों ने निवेदन किया है कि 15 दिवस की समय सीमा में उपेक्षा वन ग्रामों की सूची स्वीकृत कर जिला प्रशासन बालाघाट को उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो ऐसी दशा में संबंधित ग्राम वासियों द्वारा एवं अन्य सामाजिक संगठनों के सहयोग से अपने वाजिब हक अधिकार के लिये शासनादेश के उल्लंघन के विरोध में प्रदेश व्यापी उग्र आंदोलन करने मजबूर होना पड़ेगा, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होंगी।
ज्ञापन सौंपते समय ये रहे मौजूद
कान्हा नेशनल पार्क के 6 वन ग्रामो को राजस्व ग्राम बनाने को लेकर छोड़ दिये जाने पर 6 गांव के सरपंच, जनपदसदस्य व जिलापंचायत सदस्य मण्डला आकर उपसंचालक कान्हा टाइगर रिजर्व कोर जोन मण्डला को ज्ञापन सौपा है। ज्ञापन के दौरान भगवंती सैयाम जनपद अध्यक्ष बैहर, मंसाराम मंडावी जिला पंचायत सदस्य बालाघाट, महेश मरकाम सभापति वन समिति जिला पंचायत बालाघाट, रन्नू परते सरपंच ग्राम पंचायत घुईटोला, सन्त कुमार मरावी ग्राम पंचायत पटवा , लक्ष्मी तेजराम मरावी सरपंच ग्राम पंचायत कदला, सरपंच ग्राम पंचायत मुक्की एवं ग्राम के वरिष्ठ नागरिक उपस्थित रहे।