आदिवासी नेताओं को जिला कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की पैरवी क्यों नहीं करते राजकुमार खुराना और उनके सलाहकार
अधिकांश आदिवासी नेता योग्य होने के बाद भी जिला कांग्रेस में शोभा की सुपारी बने हुये है
सिवनी। गोंडवाना समय।
आदिवासी बाहुल्य मध्यप्रदेश में कांग्रेस का सत्ता रूपी भवन मजबूती के साथ खड़ा था लेकिन वर्ष 2003 के बाद से कांग्रेस की नींव तक हिलने लगी है और सत्ता का भवन भरभराकर गिर गया है। जैसे तैसे इसे फिर से खड़ा करने की कोशिश मध्यप्रदेश में कमल नाथ कर रहे है, स्वयं कमल नाथ लगभग 40 से अधिक समय से आदिवासी बाहुल्य छिंदवाड़ा सांसद के रूप में प्रतिनिधित्व कर रहे है लेकिन अपने पड़ौसी जिले और उनके संसदीय क्षेत्र की सीमा से लगा हुआ जिला सिवनी की स्थिति बिल्कुल विपरीत है।
सिवनी जिले में कांग्रेस में आदिवासी को सिर्फ वोट वैंक के रूप में देखा जाता है आदिवासी समाज को नेतृत्व कांग्रेस भी नहीं देना चाहती है।
जिला कांग्रेस अध्यक्ष राजकुमार खुराना और उनके विशेष सलाहकार कृपापात्र पदाधिकारी तो आदिवासी समाज के नेतृत्वकर्ताओं को दरकिनार करने में हमेशा विशेष भूमिका निभाते है।
सिवनी जिले में जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनने के लिये आदिवासी समाज में भी योग्य व मेहनती कांग्रेस कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों की कोई कमी नहीं है लेकिन वर्तमान जिला कांग्रेस अध्यक्ष राजकुमार खुराना और उनके विशेष सलाहकारों ने ऐसी परिस्थिति बना दिया है कि आदिवासी समाज के कांग्रेस में कार्य करने वाले पदाधिकारी व कार्यकर्ता अपने अपने घर में बैठना उचित समझ रहे है कभी कभार दिखावे के लिये विशेष कार्यक्रमों में उन्हें आमंत्रित कर लिया जाता है।
केवलारी व सिवनी विधानसभा में निर्णायक भूमिका में है आदिवासी मतदाता
कांग्रेस में नरेश मरावी, सुबोध नेता, वीरेन्द्र राज सिंह ठाकुर पप्पू, अशोक सिरसाम सहित अन्य ओर भी कांग्रेस के लिये समर्पित ऐसे पदाधिकारी व कार्यकर्ता है जो वर्षों से कांग्रेस के लिये जी जान से मेहनत कर रहे है लेकिन इसके बाद भी जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष पद के लिये किसी भी आदिवासी को अवसर नहीं प्रदान किया जा रहा है।
सिवनी जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है, यहां पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का भी अच्छा खासा प्रभाव है, सिवनी विधानसभा व केवलारी विधानसभा क्षेत्र सामान्य सीट होने के बाद भी लगभग 50 से 70 हजार के बीच में आदिवासी मतदाता होंगे जो कि निर्णायक भूमिका निभाते है,
इसके बाद कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष पद के लिये न प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ को आदिवासी समाज का कोई कार्यकर्ता या पदाधिकारी दिखाई दे रहा है और न ही जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों को दिखाई दे रहा है।
आदिवासी नेता अशोक सिरसाम ने क्यों दिया था त्याग पत्र ?
जिला पंचायत चुनाव के समय पूर्व जनपद पंचायत अध्यक्ष, पूर्व जिला पंचायत सदस्य व जिला महामंत्री श्री अशोक सिरसाम जिस क्षेत्र में प्रतिनिधित्व कर रहे थे उसी जिला पंचायत सदस्य क्षेत्र के चुनाव के लिये जिसका नाम प्रस्तावित किया गया था उक्त आदिवासी आरक्षित सीट से उनके कहने पर पार्टी का समर्थित प्रत्याशी न बनाकर जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष राजकुमार खुराना व उनके विशेष सलाहकारों के द्वारा किसी दूसरे को कांग्रेस का समर्थित प्रत्याशी बना दिया गया था जिसके कारण नाराज होकर पूर्व जिला पंचायत सदस्य अशोक सिरसाम ने उसी समय जिला महामंत्री के पद से अपना त्याग पत्र सौंप दिया था।
जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष रजकुमार खुराना व उनके विशेष सलाहकारों की हठधर्मिता के चलते कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी जिला पंचायत सदस्य क्षेत्र से चुनाव हार भी गये, इसके साथ साथ आदिवासी नेता अशोक सिरसाम को भी उन्होंने दरकिनार करने में विशेष भूमिका निभाया था।
हालांकि अशोक सिरसाम का जिला महामंत्री के द्वारा नाराजगी व्यक्त करते हुये दिये गये त्याग पत्र को जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष राजकुमार खुराना के द्वारा स्वीकार तो नहीं किया गया था लेकिन आदिवासी नेता अशोक सिरसाम का रूख कांग्रेस अध्यक्ष की कार्यप्रणाली के प्रति संभवतय: अभी भी नाराजगीयुक्त ही है। ऐसी स्थिति में सिवनी जिले में सर्वाधिक आदिवासी मतदाताओं को कैसे कांग्रेस अपनी ओर खींच पायेगी यह सवाल उठ रहा है।
लल्लू बघेल को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने, रैनवती मानेश्वर कौन कौन कांग्रेसी ने हराया
जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष राजकुमार खुराना अपने विशेष सलाहकार ब्रजेश उर्फ लल्लू बघेल को जिला पंचायत का अध्यक्ष बनाना चाहते थे इसके लिये उन्होंने पूरी कांग्रेस पार्टी को ही दांव पर लगा दिया था और ब्रजेश उर्फ लल्लू बघेल के पास अनुसूचित जाति का स्थायी जाति प्रमाण पत्र नहीं था इसकी जानकारी जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष राजकुमार खुराना को होने के बाद भी उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिये पूरा प्रयास किया। इसके लिये कांग्रेस कमेटी के लखनादौन ब्लॉक कांग्रेस व सिवनी जिला कांग्रेस के कुछ पदाधिकारियों ने लखनादौन में अनुसूचित जाति आरक्षित सीट से चुनाव लड़ रही पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष व पूर्व जिला पंचायत सदस्या श्रीमती रैनवती मानेश्वर को जिला पंचायत का चुनाव हराने के लिये षडयंत्र भी रचा था, ऐसी जनचर्चा भी चुनाव परिणाम आने के बाद खूब चलते रही। इसके पीछे कारण यही था कि कांग्रेस में जिला पंचायत अध्यक्ष के लिये दावेदार राजकुमार खुराना सिर्फ अपने विशेष सलाहकार ब्रजेश उर्फ लल्लू बघेल को ही रखना चाहते थे।