हिंदी ने हमको एकजुट किया, आजादी दी और हिंदी हमारे लिए सब कुछ कर रही है, रोजी-रोटी, शिक्षा-संस्कार, कैरियर बना रही है
हिंदी को हमेशा राजनैतिक कटुता का शिकार होने के कारण आज भी राष्ट्रभाषा का स्थान प्राप्त नहीं हुआ
बरघाट महाविद्यालय में हिंदी में ज्ञान का प्रकाश विषय पर संगोष्ठी आयोजित
बरघाट। गोंडवाना समय।
शासकीय महाविद्यालय बरघाट में हिंदी में चिकित्सा की पढ़ाई के तारतम्य में हिंदी में ज्ञान का प्रकाश विषय पर संगोष्ठी दिनांक 15 अक्टूबर 2022 को मुख्य अतिथि संजय गुप्ता साहित्यकार, जनप्रतिनिधियों में विशिष्ट अतिथि द्वय वार्ड 05 के पार्षद सिंगारे एवं वार्ड 11 के पार्षद साक्षी ढाल सिंह बिसेन तथा डॉ प्रदीप त्रिवेदी की अध्यक्षता, स्टाफ व छात्र-छात्राओं की विशेष उपस्थिति में आयोजित की गई। सर्वप्रथम अतििथयों के द्वारा मां सरस्वती जी के छायाचित्र पर पूजन-अर्चन एवं दीप प्रज्ज्वलन कर संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया। वंदना छात्रा राखी एवं भारती के द्वारा प्रस्तुत की गई।
हिंदी का महत्व एवं संवैधानिक प्रावधान बताया
कार्यक्रम की जानकारी प्रो. बी एल इनवाती ने देते हुए हिंदी का महत्व एवं संवैधानिक प्रावधान बताया। हिंदी में ज्ञान का प्रकाश विषय पर मुख्य अतिथि एवं प्रमुख वक्ता संजय गुप्ता ने विषय पर सारगर्भित व्याख्यान देते हुए हिंदी की स्थिति पर बात करते हुए कहा कि हिंदी दिवस के लिए वर्ष में 1 दिन और बाकी दिन अंग्रेजी के ऐसे कैसे हम हिंदी के साथ हम व्यवहार कर रहे हैं। हिंदी को अपना अधिकार दिलाने के लिए 1918 से महात्मा गांधी एवं हजारी प्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविंद दास आदि ने अथक प्रयास किया लेकिन हिंदी को हमेशा राजनैतिक कटुता का शिकार के कारण आज भी राष्ट्रभाषा का स्थान प्राप्त नहीं हुआ।
हम अपनी मातृभाषा के गौरव-गरिमा को समझें और हिंदी में अपने सारे कार्य करें लोगों को प्रेरित करें
हिंदी में जो बोला जाता है वही लिखा जाता है हिंदी वैज्ञानिक भाषा है। उदाहरण देते हुए बताया कि हम हिंदी में किसी के साथ बात करते हुए तू, तुम एवं आप जैसे शब्दों का प्रयोग कर भावनात्मक रूप से बात करते हैं। जबकि अंग्रेजी में केवल यु शब्द का प्रयोग किया जाता है जो बहुत शुष्क है। अंग्रेजी हमारे ऊपर जबरदस्ती थोपी गई है। आजादी के इतने सालों बाद भी हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त ना होना चिंता का विषय है। हिंदी ने हमको एकजुट किया, आजादी दी और हिंदी हमारे लिए सब कुछ कर रही है, रोजी-रोटी, शिक्षा-संस्कार, कैरियर बना रही है। आज इस बात को समझने की आवश्यकता है। मातृभाषा हिंदी का अपमान अपनी माता और मातृभूमि का अपमान है। हम अपनी मातृभाषा के गौरव-गरिमा को समझें और हिंदी में अपने सारे कार्य करें लोगों को प्रेरित करें। आपने आगे अपनी रचनाओं के माध्यम से भी बताया कि पहले वे तत्सम शब्दावली प्रधान रचनाएं लिखते थे लेकिन अब सरल, सहज हिन्दी भाषा में रचनाएं लिख कर हिंदी की सेवा कर रहे हैं। आप हिंदी को राष्ट्रभाषा का अधिकार दिलाना प्रथम कर्तव्य समझते हैं। आपकी बातों ने सभी को बहुत प्रभावित किया।
हिंदी के प्रति सच्चा सम्मान तब है जब हम हिंदी हित में जो सोचते हैं वह कार्य करें उसका समर्थन करें
अध्यक्षीय भाषण देते हुए डॉ प्रदीप त्रिवेदी ने कार्यक्रम के बारे में बताते हुए कहा की हिंदी में ज्ञान का प्रकाश एक अनूठा कार्यक्रम है सचमुच हम लोग हिंदी के बारे में बहुत बातें करते हैं हिंदी दिवस विश्व दिवस मनाते हैं लेकिन हिंदी के प्रति सच्चा सम्मान तब है जब हम हिंदी हित में जो सोचते हैं वह कार्य करें उसका समर्थन करें क्योंकि हिंदी ने हमको वह सब दिया है जो हम चाहते हैं। हिंदी ने हमको ज्ञान दिया जिससे हम प्रकाशित हुए हैं। हिंदी के ज्ञान प्रकाश में हम अच्छे-बुरे का, रहन-सहन का, जीवन-यापन का, शिक्षा- संस्कार एवं करियर का बुध कर पाते हैं। हम अन्य भाषाओं को सीखे लेकिन हिंदी के विकास के लिए हम प्रचार-प्रसार करें तभी सच्चे मायने में हमारी हिंदी के प्रति सेवा भावना होगी। श्री दुर्गेश बोपचे ने बहुत ही सधे हुए अंदाज में सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन श्री प्रमोद चौरे ने किया। कार्यक्रम में कैरियर मित्र अजय बोपचे, राखी, भारती एवं श्री मानेश्वर बिसेन आदि का महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ
चिकित्सा में हिंदी पाठ्यक्रम शुभारंभ के विमोचन कार्यक्रम का सीधा प्रसारण महाविद्यालय के स्मार्ट रूम में प्रोजेक्टर के माध्यम से दिखाया गया
वहीं शाम के समय 6:30 बजे महाविद्यालय के गांधी स्तंभ में एक दीपक मातृभाषा हिंदी के नाम के तहत दीप प्रज्ज्वलित किया गया तथा संकल्प लिया गया कि हिंदी की प्रतिष्ठा और सम्मान के लिए सभी एकजुट होकर कार्य करेंगे। दिनांक 16/10/ 2022 को समय 12:00 बजे से भोपाल के लाल परेड मैदान से प्रसारित चिकित्सा में हिंदी पाठ्यक्रम शुभारंभ के विमोचन कार्यक्रम का सीधा प्रसारण महाविद्यालय के स्मार्ट रूम में प्रोजेक्टर के माध्यम से दिखाया गया।
ज्ञात हो कि हिंदी में चिकित्सा का पाठ्यक्रम शुभारंभ करने वाला मध्यप्रदेश देश में प्रथम राज्य है। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत केंद्र सरकार और राज्य सरकार का बरसों की मांग पर आधारित मातृभाषा हिंदी के गौरव एवं लोगों की मानसिकता को बदलने की दिशा में यह सराहनीय कदम है। निश्चित रूप से हिंदी से चिकित्सा पाठ्यक्रम में अध्ययन-अध्यापन में हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों को इससे सीधा लाभ होगा और अब हिंदी को लेकर अध्ययन-अध्यापन और कैरियर बनाने में भाषा को लेकर छात्र-छात्राओं को दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
साथ ही चिकित्सा के साथ-साथ पॉलिटेक्निक, इंजीनियरिंग, नर्सिंग और पैरामेडिकल कोर्स के पाठ्यक्रम भी हिंदी से किए जाने की जानकारी दी गई है। जिससे छात्र-छात्राओं में अपार उत्साह है। अब वे आसानी से अंग्रेजी में प्रचलित पाठ्यक्रमों को हिंदी के माध्यम से कर सकेंगे और अपना बेहतर कैरियर बना सकेंगे।