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छात्रावास की नींव को कमजोर करने जनजाति विकास विभाग व ठेकेदार मिलकर कर रहे घटिया निर्माण कार्य

छात्रावास की नींव को कमजोर करने जनजाति विकास विभाग व ठेकेदार मिलकर कर रहे घटिया निर्माण कार्य 

भ्रष्टाचार का खुला खेल खेलकर सरकार की मंशा को कर रहे मटियामेट  

प्रभु सल्लाम संवाददाता
कहानी/सिवनी। गोंडवाना समय। 

जनजाति वर्ग के छात्र-छात्राओं के शैक्षणिक विकास हेतु शिक्षा अध्ययन प्रदान करने के लिये केंद्र सरकार व राज्य सरकार के द्वारा करोड़ों अरबों रूपये का बजट जिला स्तर पर सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग को प्रदाय किया जाता है ताकि जनजाति वर्ग के विद्यार्थी शैक्षणिक दिशा में प्रगति कर सके।
            


इसके लिये शिक्षा अध्ययन के लिये ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को आवास सुविधा उपलब्ध कराने के लिये सरकार द्वारा छात्रावास की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है ताकि वे सुविधाजनक स्थान पर रहकर भोजन, पानी, निस्तार सहित अन्य सुविधाओं को पाकर शिक्षा अध्ययन कार्य कर सके।
            

वहीं जनजाति विकास विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ इतनी मजबूत है कि निर्माण कार्य की नींव आधार स्तंभ को ही प्रारंभ से जनजाति विकास विभाग के कर्णधार और ठेकेदार मिलकर भ्रष्टाचार को अंजाम देकर आर्थिक अनियमितता करते हुये घटिया निर्माण कार्य करते है जिससे भवन की उम्र कम होने के बाद साथ कमजोर रूप से निर्माण किया जाता है।

जनजाति बाहुल्य जिला सिवनी के जनजाति बाहुल्य ब्लॉक घंसौर विकासखंड के अंतर्गत कहानी में छात्रावास का निर्माण किया जा रहा है उक्त जानकारी निर्माण कार्य में मजदूरी कर रहे श्रमिकों ने बताया। 

ठेकेदार पारदर्शिता को समाप्त कर शिवराज सरकार की सुशासन की खोल रहा पोल 


कहानी मुख्यालय के पास ग्राम पंचायत बटवानी में बनाये जा रहे छात्रावास कितनी लागत का बन रहा है, कब तक निर्माण कार्य को पूरा किया जाना है या निर्माण कार्य से संबंधित एजेंसी कौन है। इस तरह की अनेक जानकारी जो कि केंद्र सरकार व शिवराज सरकार के द्वारा हमेशा शासकीय धनराशि में पारदर्शिता को लेकर सुशासन की बात की जाती है, उन बातों को मटियामेट करने का काम जनजातिय विकास विभाग सिवनी के कर्णधार और कहानी के ग्राम पंचायत बटवानी में हो रहे छात्रावास के निर्माण में ठेकेदार की मिलीभगत से सरकार की पारदर्शिता वाली सुशासन की पोल खोली जा रही है।
            

निर्माण स्थल पर किसी भी तरह की जानकारी युक्त बोर्ड नहीं लगाया गया है, जिससे संबंधित क्षेत्र के ग्रामीणों को निर्माण के संबंध में स्पष्ट कोई जानकारी नहीं दी जा रही है और पारदर्शिता को दरकिनार करते हुये ठेकेदार व जनजातिय विकास विभाग सिवनी के द्वारा पर्दा डाला जा रहा है। 

इंजिनियर नदारत, ठेकेदार का पता नहीं, तकनीकि मापदण्डों को दरकिनार कर रहे घटिया निर्माण


जनजातिय वर्ग के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के उद्देश्य से शासन द्वारा करोड़ों रुपए की लागत से छात्रावास का निर्माण कराया जा रहा है लेकिन ठेकेदार और विभाग की मिली भगत के चलते छात्रावास भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। छात्रावास भवन निर्माण में बरती गई अनियमितता व किए गए भ्रष्टाचार की हद ये है कि कॉलम निर्माण में भ्रष्टाचार का खुला खेल खेला जा रहा है।
            शासन ने छात्रो को शिक्षा की बेहतर सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से घंसौर जनपद मुख्यालय में आने वाले उपतहसील कहानी के पास आने वाली ग्राम पंचायत बटवानी क्षेत्र में बनाया जा रहा है। जहां पर करोड़ों रुपए की लागत से छात्रावास भवन निर्माण की स्वीकृति दी जाकर और निर्माण कार्य का जिम्मा जनजाति विभाग सिवनी दिया गया है। निर्माण स्थल पर कार्य कर रहे श्रमिकों ने जानकारी देते हुये बताया कि यह कार्य जनजातिय विकास विभाग द्वारा कराया जा रहा है जिसका ठेका किसी लखनादौन के व्यक्ति को दिया गया है।                 

जनजातिय विकास विभाग के संरक्षण में ठेकेदार द्वारा पूरे निर्माण कार्य की गुणवत्ता को ही हासिए पर ला कर खड़ा कर दिया। अगर यही हाल रहा तो, निर्माण पूरा होने के बाद कुछ वर्षाे में ही भवन में हुए भ्रष्टाचार के चलते जीर्णशीर्ण हो जायेगा। निर्माण कार्य स्थल पर तकनीकि अमला नदारत है वहीं ठेकेदार का पता नहीं है। निर्माण कार्य के दौरान मौके पर इंजीनियर उपस्थित नहीं रहते हैं और ना ही कोई प्रशासनिक जवाबदार अधिकारी की मौजूदगी रहती है।
            उक्त निर्माण में जिस तरह से निर्माण सामग्री का उपयोग हो रहा है, इस स्थिति में भवन कितने दिन टिक पायेगा और क्या इसमें रहकर अपना भविष्य गढ़ने का सपना देख रहे छात्रावास सुरक्षित रह पायेगा, इस बात को लेकर अभी से सवाल खड़े किए जाने लगे हैं। 

छात्रावास निर्माण में रेत-गिट्टी और सीमेंट के मिश्रण में बड़ा खेल किया गया है

ठेकेदार के द्वारा मनमानी करते हुये छात्रावास निर्माण के दौरान कॉलम में भ्रष्टाचार का खेला खुले रूप में किया जा रहा है। छात्रावास निर्माण में कॉलम की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इसके साथ ही निर्माण कार्य के दौरान डस्ट का उपयोग अधिकारियों के संरक्षण में निर्माण एजेंसी के जिम्मेदारों द्वारा किया जा रहा है। ठेकेदार द्वारा कॉलम में रिंग डालने आर्थिक अनियमितता करते हुये भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया है।
            वहीं अब तक हुए लगभग निर्माण में रेत-गिट्टी और सीमेंट के मिश्रण में बड़ा खेल किया गया है। आर्थिक अनियमितता के इस खेला में विभाग, ठेकेदार व तकनीकि अमला तीनों मिलकर लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के मधुर संगीत बजाकर जेब गर्म कर रहे है। 

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