जनजातीय प्रकोष्ठ राज भवन की टीम ने तैयार किया पेसा एक्ट का ड्राफ्ट, आदिवासी समाज को मिलेगा विशेष अधिकार
ग्रामसभा की मंजूरी के बिना नहीं खुल सकेगी शराब की नई दुकान
सिवनी/भोपाल। गोंडवाना समय।
मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल के जनजातीय सेल ने पेसा एक्ट (पंचायत एक्सटेंशन टू दि शेड्यूल एरियाज) का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है।
जनजातीय प्रकोष्ठ के अध्यक्ष दीपक खंडेकर, सचिव बी एस जामोद, विधि विशेषज्ञ बी एस रावत, विधि सलाहकार सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता विक्रांत कुमरे, डा दीपमाला रावत प्रकोष्ठ के सदस्य हैं। पेसा नियम बनाने के नोडल अधिकारी श्री विक्रांत कुमरे हैं। टीम के सदस्यों के कुशल नेतृत्व से जनजातीय क्षेत्र में आदिवासी समाज को लाभ मिलेगा।
जल, जंगल जमीन को बचाने में यह पेसा एक्ट वरदान साबित होगा
जल, जंगल जमीन को बचाने में यह पेसा एक्ट वरदान साबित होगा। अगर इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिलती है तो आदिवासी बाहुल्य कई जिले के आदिवासियों का जीवन खुश हाल होगा। इस प्रस्ताव को विभागों को भेजा ताकि पेसा एक्ट के तहत बनने वाली ग्रामसभाओं के अधिकार तय हो सकें। कुछ विभागों की तरफ से अधिकार तय किए गए, जिनमें छोटे तालाबों के नियंत्रण के साथ शराब की दुकानों के स्थल परिवर्तन या नई दुकान खोलने के मामले ग्रामसभा के पास जाएंगे।
लेकिन वन विभाग ने अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं की
राजस्व, गृह, आबकारी, खनिज, श्रम, सिंचाई और पशुपालन विभाग ने सहमति दे दी है लेकिन वन विभाग ने अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं की। पेसा एक्ट 1996 में लागू हुआ, तब देश में 10 राज्यों को कहा गया कि वे इसे लागू करें। हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ इसे बना चुके हैं। ओडिशा और झारखंड के साथ मप्र भी पिछड़ा हुआ है। अब जाकर एक्ट का ड्राफ्ट तैयार हुआ है।
ये मिल सकते हैं प्रमुख अधिकार
हम आपको बता दे कि यदि आदिवासी की जमीन का अधिग्रहण होता है तो ग्रामसभा से परामर्श लेना जरूरी होगा। इसी तरह लैंड रिकॉर्ड की जानकारी साल में एक बार खसरा नंबर के साथ देनी होगी। गांव में शांति बहाली और विवाद निपटाने का अधिकार होगा। अपील पुलिस के पास होगी। यदि किसी तालाब से 40 हेक्टेयर में सिंचाई हो सकती है तो उस तालाब का नियंत्रण मिलेगा।
इसमें मछली पालन की व्यवस्था भी ग्रामसभा तय करेगी। शराब की नई दुकान खोलनी है या पुरानी के दुकान का स्थल परिवर्तन किया जाता है तो मंजूरी ग्रामसभा देगी। श्रमिकों का ब्योरा देना होगा, ताकि यह पता चल सके कि कितने लोग बाहर या पलायन करके गए हैं। गौड़ खनिज के उत्खनन की सिफारिश का अधिकार। यदि कपटपूर्वक जमीन पर कब्जा किया गया है तो उसे वापस दिलाने का अधिकार।
वहीं 5400 ग्राम पंचायतों में आदिवासी ग्रामसभा बनाने की अवधि भी तय होगी। मध्य प्रदेश के अधिसूचित आदिवासी जिले मंडला, डिंडोरी, आलीराजपुर, बड़वानी और झाबुआ के साथ 20 जिलों की 5400 ग्राम पंचायतों में ये ग्राम सभाएं बनाई जानी हैं।