आदिवासी धार्मिक नहीं सांस्कृतिक समाज है, कॉंग्रेस ओर भाजपा दोनों आदिवासी हितेषी होने का ढोंग करते है-जयस
सिवनी की घटना में केंद्रीय राज्य मंत्री भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते आरोपियों के साथ खड़े नजर आ रहे है
जनजाति सुरक्षा मंच आदिवासियों में फैला रहा भ्रम
मोहन मोरी, ब्यूरो चीफ
इंदौर। गोंडवाना समय।
जय आदिवासी युवा शक्ति जयस द्वारा इंदौर प्रेस क्लब में प्रेसवार्ता की गई जिसमें जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा मध्यप्रदेश में चलाए जा रहे डिलिस्टिंग अभियान को जयस के राष्ट्रीय प्रभारी इंजी लोकेश मुजाल्दा ने असंवैधानिक बताते हुए राज्य सरकार और जनजाति सुरक्षा मंच को लेकर जमकर बरसे उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के इशारों पर यह जनजाति सुरक्षा मंच आदिवासियों में भ्रम फैला रहा है जबकि भारत संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति में नोटिफाइड किया गया है जिसमें यह स्पष्ट कहा है कि आदिवासी किसी भी धर्म से सम्बंधित नही है, यानी आदिवासी ना ईसाई, ना मुस्लिम, ना हिन्दू, ना सिख, ना बौद्ध में आते है। इस पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय व अलग-अलग राज्यो के उच्च न्यायालय भी जजमेंट दे चुके है।
आदिवासी लोग सभी धर्मों का सम्मान भी करते है
आदिवासी लोग सभी धर्मों का सम्मान भी करते है लेकिन आदिवासी समुदाय प्रकृति-पूजक व धर्मपूर्वी तथा आदिवासियों की अपनी रीती-रिवाज,रूढ़ि प्रथा व परम्परा है इसलिए आदिवासी धार्मिक नही सांस्कृितक समाज है। इसलिए जयस कह रहा है वह आदिवासी जो किसी भी धर्म मे शामिल हुए है उनकी डिलिस्टिंग नही प्रकृतिवादी सांस्कृतिक रूप से घर वापसी होनी चाहिए। डिलिस्टिंग की जगह जनगणना कॉलम दिया जाना चाहिए। डिलिस्टिंग का भ्रम आदिवासियों की जनसंख्या कम करने के लिए फैलाया जा रहा है।
जयस की ताकत से मध्यप्रदेश के दोनों राजनीतिक दल घबराए हुए है
दूसरी ओर मध्यप्रदेश सरकार आदिवासियों के बेरोजगारी, मंहगाई भुखमरी, पलायन स्वास्थ्य व मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के एक लाख पचास हजार खाली बेकलॉग पदों की भर्ती जैसे मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने का कार्य कर रही है। भाजपा और संघ के लोग दिल्ली में बैठक करते है और कहते है जयस व भीम आर्मी समुदाय में जहर घोलने का काम कर रहे है, जबकि जयस आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारो के लिए नियम, कानून व संविधान का पालन करते हुए आंदोलन करता है न्याय की मांग करता है ऐसे संगठनों को तो सम्मानित किया जाना चाहिए लेकिन इसका उल्टा राज्य सरकार ओर स्थनीय नेताओ के दबाब में आंदोलनकारियों पर मुकदमे दर्ज कर लिए जाते है। देश संविधान से चलता है और जयस संविधान का पालन करते हुए संवैधानिक तरीके से संविधान के दायरे में रहकर गरीब, असहाय, दबे, कुचले लोगो की आवाज को उठा रहा है। इसी जयस की ताकत से मध्यप्रदेश के दोनों राजनीतिक दल घबराए हुए है और जयस के खिलाफ भ्रम फैलाने की नाकाम कोशिश कर रहे है। जयस नारीशक्ति राष्ट्रीय प्रभारी श्रीमती सीमा वास्कले ने कहा कि मध्यप्रदेश में आदिवासी महिलाओं के साथ बलात्कार करके जमीन में गाड़ दिया जाता है आये दिन अत्याचार बढ़ते जा रहे है मध्यप्रदेश सरकार इसे रोकने में असफल हो रही है।
सिवनी की घटना को राष्ट्रपति और राज्यपाल को तत्काल संज्ञान में लेना चाहिए
आगे प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए जयस पदाधिकारी ने सिवनी मुद्दा उठाते हुए कहा कि गौ मांस तस्करी की शंका में बजरंग दल व श्रीराम सेना के गुंडों द्वारा दो गोंड आदिवासी बुजुर्गों की पीट-पीट कर हत्या कर दिए, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार का बुलडोजर अब तक उन आरोपियों के घरों पर नही चलाया गया और प्रदेश के गृह मंत्री आरोपियों के बजरंग दल और श्रीराम सेना न जुड़े होने की क्लीन चिट दे दिए जबकि एफआईआर में स्पष्ट बजरंग दल से जुड़े नाम आए है, वही केंद्रीय राज्य मंत्री भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते आरोपियों के साथ खड़े नजर आ रहे है ओर कांग्रेस भी आदिवासी वोट बैंक को रिझाने में लिए तीन दिन बाद मृतक परिवार के घर जाकर आदिवासी हितेषी होने का ढोंग कर रही है। इस देश व प्रदेश में इंसान से ज्यादा गाय को महत्व दिया जा रहा है, तथाकथित गुंडे सरेआम हत्याएं कर रहे है जबकि अनुसूचित क्षेत्र यानी आदिवासी क्षेत्र में गो रक्षा कानून जैसे सामान्य कानून को पहले राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग और राष्ट्रीय जनजातीय मंत्रालय के समक्ष रखा जाना चाहिए था, चुकी यह पूरे भारत के आदिवासियों को कहि न कही प्रभावित करती है, जो कि असंवैधानिक है। इस सामान्य कानून राष्ट्रपति और राज्यपाल को तत्काल संज्ञान में लेना चाहिए साथ ही आदिवासी क्षेत्रों में धार्मिक उन्मांद फैलाने वाले संगठनों को संविधान के अनुच्छेद 19 (5) के तहत अनुसूचित क्षेत्र में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। इस प्रेस वार्ता में जयस संभाग प्रभारी दीपक मोहरे, धरमपुरी अध्यक्ष जीवन ठाकुर, नारी शक्ति कोमल धोपिया, लक्ष्मी मुनिया, अजय कंनोजेज, चेतन मुजाल्दे, राकेश देवड़े, प्रीतम बामनिया व अन्य जयस पदाधिकारी व कार्यकर्ता मौजूद रहे।