गोंड जनजाति के घर महार जाति की महिला ने बर्तन कर दिया साफ और लगा दी झाड्ू तो रविन्द्र उईके को कर दिये समाज से बंद
प्रकृतिवादी युग, संविधान, मानवता, शिक्षा के बढ़ते प्रभाव के बाद भी ऐसी घटनायें से खड़े हो रहे कठिन सवाल
सिवनी जिले के उगली थाना अंतर्गत पाण्डिया छपारा का है मामला
रविन्द्र उईके ने गोंड समाज महासभा के प्रदेश अध्यक्ष को दिया है समस्या समाधान कराने के लिये आवेदन
सिवनी। गोंडवाना समय।
आजादी के इतने वर्षों के बाद, शिक्षा के बढ़ते कदम, आधूनिक युग के साथ साथ प्रकृतिवादी युग में मानवता, समानता का संदेश देने वाला संविधान के अनुसार चलने वाले भारत देश में जातिगत आधार पर छूआछूत की भावनाएं आज भी समाज में कहीं न कहीं व्याप्त है।
वहीं सिवनी जिले में अनुसूचित जनजाति व अनुसूचित जाति वर्ग के बीच में छूआछूत व जातिगत आधार का मामला सामने आया है जिसने गंभीर सवाल के साथ समाज के बुद्धिजीवियों के लिये चिंतन मंथन करने पर मजबूर कर दिया है। गोंड जनजाति बाहुल्य जिला सिवनी के केवलारी विकासखण्ड के उगली पुलिस थाना अंतर्गत ग्राम पाण्डियाछपारा के गोंड जनजाति के सदस्य रविन्द्र उईके अनुसूचित जनजाति वर्ग के घर पर अनुसूचित जाति वर्ग के अंतर्गत आने वाली महार जाति की महिला के द्वारा रविन्द्र उईके की पत्नि की बीमार होने के कारण घर पर कोई कार्य करने वाले नहीं होने से मदद करने के उद्देश्य बर्तन साफ करने व झाड़ू लगाने के कारण समाज से बहिष्कृत बंद करने का मामला सामने आया है।
समस्या का समाधान कराये जाने के लिये गोंड समाज महासभा के प्रदेश अध्यक्ष के नाम दिया आवेदन
रविन्द्र उईके पिता श्री सतेन्द्र उईके जाति गोंड निवासी, पाण्डिया छपारा, (बनिया टोला) पोस्ट-पाण्डियाछपारा, थाना उगली, तहसील केवलारी जिला सिवनी मध्यप्रदेश का निवासी ने अपने घर में महार जाति की महिला जो कि अनुसूचित जाति वर्ग में आती है उसके द्वारा बर्तन साफ करने एवं झाड़ू लगाने के कारण रविन्द्र उईके को गोंड समाज के द्वारा जाति समाज से बंद कर दिया गया है, इस संबंध में और इस समस्या का समाधान कराये जाने के लिये रविन्द्र उईके ने गोंड समाज महासभा के प्रदेश अध्रूक्ष श्री बी एस परतेती के साथ साथ गोंड समाज महासभा के जिला अध्यक्ष श्री चित्तोड़ सिंह कुशराम की ओर आवेदन प्रस्तुत किया है।
प्रकृति शक्ति जातिगत आधार पर नहीं करती है जातिगत आधार पर भेदभाव
आवेदक रविन्द्र उईके ने अपने आवेदन में यह भी उल्लेख किया है कि आजादी के पश्चात देश में संविधान के अनुसार सारी व्यवस्थाएं संचालित है, देश में समुदाय व समाज में छुआछूत की भावना का स्थान नहीं है, मानवता के नाते सभी समाज वर्ग में आज समानता व्याप्त है। रविन्द्र उईके ने बताया कि वह गोंड समाज व गोंड जनजाति का सदस्य है एवं प्रकृति शक्ति को मानने वाले समाज से आता है। प्रकृति शक्ति व प्रकृति किसी समाज व व्यक्ति के साथ जातिगत आधार पर भेदभाव या छूआछूत की भावना नहीं रखती है तो फिर प्रकृति शक्ति को मानने वाले समाज के द्वारा इस तरह मुझे समाज से बंद क्यों किया जा रहा है।
पत्नि बीमार थी इसलिये कर दिये थे बर्तन साफ व लगा थी झाड्ू
रविन्द्र उईके ने अपने द्वारा प्रस्तुत आवेदन में यह उल्लेख किया है कि लगभग 2 माह पूर्व मेरे घर में मेरी पत्नि मंजू उईके की तबियत खराब हो जाने के कारण गांव पड़ोसी की परिचित श्रीमती छाया मेश्राम जो कि अनुसूचित जाति वर्ग में आती है वह मेरी पत्नि को बीमारी की जानकारी मिलने पर देखने आई थी उसी दौरान घर में छोटी 2 बेटियां है, इसके आलावा घर में घरेलू काम करने वाले कोई नहीं है। ऐसी स्थिति में झूठे बर्तन व भोजन के बर्तन को देखकर श्रीमती छाया मेश्राम के द्वारा बर्तन को मांजकर साफ किया गया था एवं घर पर भी झाडू लगाया गया था, जो कि पड़ौसी होने के नाते व मानवता के हिसाब से मदद किया गया था क्योंकि मेरी पत्नि बीमार थी।
गोंड समाज के सदस्यगण सभा छोड़कर चले गये और रविन्द्र उईके को समाज से बंद कर दिया गया है
इसकी जानकारी गांव में रहने वाले गोंड समाज के सदस्यों व परिवारों को मिली तो उनने स्वयं गोंड समाज की समाजिक बैठक रखकर रविन्द्र उईके को बुलवाकर यह कहते हुये तुम्हारे यहां पर छाया मेश्राम जो कि महार जाति की है उसके द्वारा बर्तन साफ किये गये है और झाड़ू पोछा किया गया है, इसलिये तुमको गोंड समाज से बंद किया जाता है। यह कहकर रविन्द्र उईके को समाज से बंद कर दिया गया है। वहीं जबकि इस संबंध में रविन्द्र उईके द्वारा पुन: बैठक रखी गई थी जिसमें रविन्द्र उईके समाज में मिलाये जाने के लिये अपनी बात रखना चाहता था। इस संबंध में गवाह व वास्तविकता बताने के लिये महार जाति के छाया पति दीपक मेश्राम को भी रविन्द्र उईके के द्वारा बुलाया गया था लेकिन गोंड समाज के सदस्यगण सभा छोड़कर चले गये और रविन्द्र उईके को समाज से बंद कर दिया गया है।
इससे मैं व मेरा परिवार परेशान व प्रताड़ित है
रविन्द्र उईके का कहना है कि वह गोंड समाज व गोंड जनजाति वर्ग का सदस्य है एवं मेरे घर पर महार जाति जो कि अनुसूचित जाति वर्ग में आते है, उनके द्वारा मदद के हिसाब से बर्तन साफ कर देने एवं झाड़ू पोछा कर देने के कारण ही समाज से बंद कर दिया जाना यह कैसा समाजिक न्याय है, इससे मैं व मेरा परिवार परेशान व प्रताड़ित है। इसलिये रविन्द्र उईके ने गोंड समाज महासभा के प्रदेश अध्यक्ष बी एस परतेती से इस समस्या का समाधान मानवीयता को ध्यान रखते हुये कराये जाने एवं समाज में मिलाये जाने के लिये मदद करने की मांग किया है।