आदिवासी पटवारी शंकरलाल यवने को तहसीलदार रविन्द्र पारधी जातिगत आधार पर करते है अपमानित और मानसिक रूप से कर रहे प्रताड़ित
सिवनी/घंसौर। गोंडवाना समय।
मध्यप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री अक्सर मीटिंगों व माषणों के दौरान जहां एक ओर सुशासन, ईमानदारी, लोकसेवकों को उनके कर्तव्यों के तहत कार्य करने का पाठ पढ़ाते रहते है लेकिन वहीं उनके ही राजपाठ में राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार करने का पाठ तहसीलदार रविन्द्र पारधी अपने मातहत पटवारियों को पढ़ा रहे है। यदि उन्हें कार्यवाहीं से बचना है तो उसके लिये उन्होंने मंथली राशि को एकत्र करके देने के लिये पटवारियों पर दबाव बनाया है जिसकी शिकायत पटवारियों द्वारा कमीश्नर जबलपुर से की गई है।
तहसीलदार आदिवासी पटवारी को वेतन वृद्धि रोकने के साथ सेवा समाप्ति की देते है धमकी
वहीं अनुसूचित क्षेत्र में आदिवासी पटवारियों को तहसीलदार रविन्द्र पारधी प्रताड़ित करने से भी नहीं चूक रहे है। पटवारी शंकरलाल यवने को प्रत्येक माह रूपये नहीं देने पर बार-बार निलंबन किया जा रहा था। इस संबंध में पटवारी शंकरलाल यवने द्वारा कलेक्टर सिवनी को एवं कमीश्नर से शिकायत भी किया गया था। पटवारी शंकरलाल यवने से तहसीलदार रविन्द्र पारधी के द्वारा वेतन एवं एरियर्स की की राशि आहरित करने के लिये 20 हजार रूप्ये की मांग की जा रही थी। वहीं उक्त राशि नहीं दिये जाने पर दो वेतन वृद्धि रोक दी गई थी इसके साथ ही सेवा समाप्ति की खुली धमकी तहसीलदार रविन्द्र पारधी द्वारा दी जा रही थी। वहीं शंकरलाल यवने को जातिसूचक शब्दों से संबोधित करते हुये अपमानित किया जाता रहा है। इसके साथ ही शंकरलाल यवने की 9 माह की वेतन आहरित नहीं की गई है।
निलंबन अवधि में नियम विरूद्ध करवाया शासकीय कार्य
आदिवासी पटवारी शंकरलाल यवने को दिनांक 16 दिसंबर 2021 को निलंबन किया गया था। वही निलंबन अवधि के दौरान ही तहसीलदार द्वारा दिनांक 11 जनवरी 2022 को ओलावृष्टि फसल सर्वे में ड्यूटी लगाई गई थी जो कि नियम विरूद्ध है एवं निलंबन अवधि में ही पुलिस प्रकरण में घटना स्थल का नजरी नक्शा दबाव देकर तैयार करवाया गया था इसके साथ ही अन्य शासकीय कार्य भी करवाये गये थे। वहीं निलंबन अवधि में कार्य कराये जाने की शिकायत जब उच्चाधिकारियों को की गई तब कहीं जाकर तहसीलदार रविन्द्र पारधी द्वारा शंकरलाल यवने के पटवारी हल्कों के काम को अन्य पटवारियों को दिया गया था। राजस्व विभाग में जिस तरह से भ्रष्टाचार करने का दबाव घँसोर तहसीलदार द्वारा बनाया जा रहा है उससे किसानों व ग्रामीणों का आर्थिक शोषण होना तय है। इस मामले में मध्यप्रदेश सरकार को सुशासन का सबुत और प्रमाणीकरण के लिये घंसौर तहसीलदार पर कार्यवाही किया जाना आवश्यक है।