अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति बाहुल्य ग्रामों के किसानों को पेंच नहर से किया जा रहा वंचित
किसानों ने पेंच नहर का पानी दिलाये जाने मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन
सिवनी। गोंडवाना समय।
सिंचाई हेतु पेंच नहर के पानी के लिये किसानों के द्वारा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया है। किसानों ने बताया कि वह अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्र के किसान है। हमारे क्षेत्र में पेंच परियोजा की मेन कैनाल डी-2 को ग्राम नरेला में 15 किलोमीटर घुमाकर आगे बढ़ाया गया है और अंतिम छोर से डी-4 शाखा को पानी दिया जा रहा है। जबकि यह डी-4 शाखा 15 किलोमीटर पहल ही दी सकती है जिससे नहर के पानी का स्तर 2 मीटर ऊपर आ सकता है अत: डी-2 से 15 किलोमीटर पहले जोड़ा जावे।
डी-4 को 11 वें किलोमीटर से लाने में आयेगी लागत कम
इसके साथ ही डी-4 को 11 वें किलोमीटर सोनाडोंगरी के पास खामखरैली क्रेशर के पीछे सीधे लाने में 15 किलोमीटर की लंबाई से नहर बन सकती है जिसमें कोई वन भूमि नहीं आ रही है एवं किसानों की भूमि सिंचित होगी। इसके बनाये जाने में लागत भी कम आयेगी और जल स्तर आधा मीटर ऊपर आ जावेगा।
यहां से वन भूमि को करना पड़ेगा क्रास और लागत भी आयेगी अधिक
इसके साथ ही वर्तमान में नहर 11 वे किलोमीटर से खामखरेली जा रही है जिसमें वन भूमि क्रास करनी पड़ेगी दो बार बार डामर रोड क्रास करना पड़ेगा। खामखरैली बांध के किनारे किनारे नहर से पानी ले जाकर जो रकबा खामखरेली बांध से सिंचित है उसे पुन: कमाण्ड ऐरिए में जोड़ा जा रहा है। इससे किसाी किसान का भला नहीं होगा और लागत भी अधिक आवेगी जो कि जनता का पैसा का दुरूपयोग है।
इन ग्रामों को किया जा रहा पेंच नहर से वंचित
इसके साथ ही खामखरैली क्रेशर के पीछे खामखरेली सिहोरा, घाटपिपरिया, सालीवाड़ा, बल्लारपुर, डुंगरिया, थांवरी ग्रामों की पेंच नहर परियोजना से वंचित किया जा रहा है जबकि हमारे ग्रामों के समान्तर नहर होते हुये आगे जा रही है। ये सभी ग्राम अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति बाहुल्य माडा पैकेट के सिहौरा कलस्टर के ग्राम है। इन सभी ग्रामों का जल स्तर अत्यंत गिरा हुआ है जिससे इन ग्रामों में पेयजल की भारी समस्या है।
10 दिनों में मांग पूरी नहीं होने पर करेंगे भूख हड़ताल व आमरण अनशन
किसानों ने मांग किया है कि इस संबंध में सहानुभूतिपूर्वक विचार कर पेंच नहर का पानी उक्त ग्रामों तक पहुंचाया जाये। वहीं यदि हम किसों की मांगों का दस दिवस के अंदर निराकरण नहीं किया गया तो हम किसानों को भूख हड़ताल व आमरण अनशन के लिये मजबूर होना पड़ेगा जिसकी समस्त जवाबदेही शासन की होगी।