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किसानों को विक्रय की सुविधा देने एवं शासन की आय बढ़ाने पलारी कृषि उपज मण्डी का परिसीमन किया जाना अत्यंत आवश्यक

किसानों को विक्रय की सुविधा देने एवं शासन की आय बढ़ाने पलारी कृषि उपज मण्डी का परिसीमन किया जाना अत्यंत आवश्यक 

पूर्व में परीसीमन नहीं होने से एवं अन्य विभिन्न कारणों से मंडी की आय एवं आवक हुई प्रभावित


सिवनी। गोंडवाना समय। 

कृषि उपज मंडी समिति पलारी जिला सिवनी 5 जून 2014 को केवलारी से अलग होकर स्वतंत्र मंडी के रूप में अस्तित्व में आयी थी जिसमें मात्र कुल 14 ग्राम को ही शामिल किया गया है जिसमें खैरा, मैरा, रोशान, चावंरमारा, पलारी, लोपा, बिछुआ, माहल्नावाड़ा, मैनापिपरिया, सांठई, पिपरियाकला, कंडीपार, खैरी, घंसौर को शामिल किया गया है।


जबकि पलारी के आसपास के क्षेत्र को मिनी पंजाब के नाम से जाना जाता है परन्तु कृषि उपज मंडी विभाजन में तकनीकी त्रुटि होने एवं शासन की नीतियों के कारण कृषि उपज मंडी पलारी की आय प्रभावित होती रही है। 

दक्षिण में चंदनवाड़ा खुर्द 2 किमी सिवनी कृषि उपज मंडी में आता है

जबकि विभागीय जैसा कि नियम है कि मूल मंडी क्षेत्र मंडी प्रांगण के 5 किलोमीटर के भीतर की परिधी को माना जाता है पलारी मंडी प्रांगण के पूर्व की ओर 3 किमी में डून्डाससिवनी ग्राम पंचायत सिवनी कृषि उपज मंडी में आता है वहीं पूर्व की ओर 4 किमी झगरा ग्राम केवलारी कृषि उपज मंडी क्षेत्र में आता है। इसके साथ ही पश्चिम क्षेत्र में घंसौर जो कि पलारी क्षेत्र में है उत्तर में लोपा जो कि पलारी क्षेत्र मे है। वहीं दक्षिण में चंदनवाड़ा खुर्द 2 किमी सिवनी कृषि उपज मंडी में आता है। दिनांक 5 जून 2014 के बाद कृषि उपज मंडी समिति पलारी के परिसीमन करने हेतु विभाग की ओर शासन की ओर बार बार पत्राचार करने के बाद भी परिसीमन की कार्यवाही आज दिनांक तक नही हुई है। जिसके कारण जहां एक ओर किसान सुविधा से वंचित हो रहे है तो वहीं मण्डी की आय भी कम हो रही है जिससे शासन को नुकसान हो रहा है। 

कृषि बिल को वापस ले लिया गया जिसके कारण थोड़ी आय में वृद्धी आयी है

वहीं हम आपको बता दे कि कृषि उपज मंडी समिति पलारी में वर्ष 2017-18 में कुल आय लगभग 2,73,76,996 रुपए थी उसी वर्ष मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्री द्वारा भांवान्तर योजना की घोषणा की गई थी। वहीं वर्ष 2018-19 में कुल आय 2,63,26,347 रुपए थी तब उसी वर्ष मध्यप्रदेश के मुख्यीमंत्री द्वारा फ्लैट भांवान्तर योजना की घोषणा की गई थी। इसके साथ ही वर्ष 2019-20 में कुल आय 2,16,17,155 रुपए थी उसी वर्ष मध्यप्रदेश शासन के मुख्य मंत्री द्वारा जय किसान समृधि योजना की घोषणा की गई थी। इसके साथ ही वर्ष 2020-21 में कुल आय 97,85,626 रुपए थी उस वर्ष कोराना एंव शासन द्वारा कृषि बिल लागू किया गया था एवं मंडी शुल्क 7.50 पैसे किया गया था इसके कारण आय में गिरावट आयी थी। वहीं वर्ष 2021-22 में कुल आय 1,47,93,757 रुपए थी उस वर्ष भी कोरोना, मंडी शुल्क 50 पैसे एंव कृषि बिल रहा परन्तु गेहूं आवक के पूर्व शासन द्वारा कृषि बिल को वापस ले लिया गया जिसके कारण थोड़ी आय में वृद्धी आयी। 

देश के बाहर गेहूं निर्यात करने पर शासन द्वारा मंडी शुल्क में छूट प्रदान की गई है

इसके साथ ही हम आपको जानकारी के लिये बता दे कि वहीं वर्तमान परिवेश में शासन द्वारा ई-नाम, फार्मगेट एवं सौदापत्रक के माध्यम से व्यापारियो को क्रय करने की अनुमति प्रदान की गई है एवं शासन द्वारा देश के बाहर गेहूं निर्यात करने पर शासन द्वारा मंडी शुल्क में छूट प्रदान की गई है। 

केवलारी के 24 ग्राम, सिवनी के 44 ग्राम व धनौरा के 30 गांव को पलारी मण्डी में जोड़ने से बढ़ेगी शासन की आय 


पलारी कृषि उपज मण्डी में मात्र 14 ग्रामों को ही जोड़ा गया है जबकि पलारी राजस्व के अंतर्गत कुल 38 ग्राम आते है। जिसके कारण पलारी मण्डी की आय तो प्रभावित हो ही रही है वहीं दूसरी ओर किसानों को भी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। पलारी कृषि उपज मण्डी क्षेत्र से लगभग 10 से 15 किलोमीटर के दायरे में चारों दिशाओं की ओर केवलारी, सिवनी व धनौरा के ग्राम आते है जहां पर यदि शासन के द्वारा परीसीमन कर उन ग्रामों को जोड़ दिया जाता है तो पलारी मण्डी की आय तो बढ़ेगी ही साथ में किसानों को होने वाली सुविधाओं का लाभ भी मिलेगा।
            केवलारी तहसील के अंतर्गत कुल 24 गांव ऐसे है जो कि पलारी मण्डी क्षेत्र से बहुत करीब में है या 10 से 15 किलोमीटर के दायरे में आते है जिसमें 1 डुंगरिया, 2 खापाबाजर, 3 कंजई, 4 कुचीवाड़ा, 5 गुवारी, 6 सिघोड़ी, 7 चिरचिरा, 8 देवघाट, 9 खैरी, 10 मुनगापार, 11. धानागढ़ा, 12. लोलोपार, 13. सरेखा, 14. पांजरा, 15. खापा, 16. झगरा, 17. चोरपिपरिया, 18. पाथरफोड़ी माल, 19. पाथरफोड़ी, 20. चीचबंद, 21. कालीमाटी, 22. खमरिया, 23. ढुटेरा 24. दुधिया ग्राम शामिल है जहां के किसानों को कृषि उपज बेचने में सुविधा प्राप्त हो सकती है।
            वहीं इसके साथ ही सिवनी तहसील के अंतर्गत आने वाले वे ग्राम जो पलारी कृषि उपज मण्डी के समीप आते है उनमें 1. बांदरा, 2. कलारबांकी, 3. देवरी, 4. बजरवाड़ा, 5. थांवरी, 6. लुंगसा, 7. सालीवाड़ा, 8. डोकररांजी, 9. गौंड़ीहिनोतिया, 10. समनापुर, 11. बगलई, 12. चंदनवाड़ा कला, 13. खुरसीपार, 14. चन्दनवाड़ाखुर्द, 15. पोंगार, 16. थावरी, 17. भाटा, 18. रड़हाई, 19. टेकरांजी, 20. हिनोतिया, 21. किरकीरांजी, 22. नरवाखेड़ा, 23. आमाकोला, 24. जामुनटोला, 25. मोहबेली, 26. खैरी, 27. जुरतरा, 28. पिपरिया, 29. सहजपुरी, 30. ढेका, 31. पांजरा, 32. खमरिया, 33. भालीवाड़ा, 34. सिंघोड़ी, 35. कतरवाड़ा, 36. डुंडासिवनी, 37. बरसला, 38. मानेगांव, 39. मोरडोंगरी, 40. टिकारी, 41. डूडलखेड़ा, 42. छुई, 43. उमरिया, 44. बाम्हनवाड़ा ऐसे कुल 44 ग्रामों को पलारी कृषि उपज मण्डी में जोड़ दिये जाने से किसानों को कृषि उपज विक्रय करने की सुविधा मिलने के साथ ही शासन की आय में बढ़ोत्तरी होगी।
             इसके साथ ही धनौरा तहसील के अंतर्गत ऐसे ग्राम जो कि पलारी कृषि उपज मण्डी के समीप आते है उनमें 1. मोहगांव, 2. रावठान, 3. घटेरी, 4. सुकवाह, 5. मोहगांव, 6. चिड़ी, 7. भुरकुंडी, 8. चंदेनी, 9. दोंदावानी, 10. पिंडरई, 11. कुड़ारी, 12. थांवरी, 13. केवलारीखेड़ा, 14. मुंगवानी, 15. बरेली, 16. देवरीटीका, 17. बिनेकाटोला, 18. आमानाला, 19. भसुड़ा पिपरिया, 20. रैपुरा, 21. धनौरा खुर्द, 22. तघरा, 23. कुआखेड़ा, 24. रमपुरी, 25. खैरी, 26. सालीवाड़ा, 27. देवरीमुल्ला, 28. सुआडोंगरी, 29. नांदियाटोला, 30. मझगंवा ऐसे कुल 30 ग्रामों को पलारी कृषि उपज मण्डी में जोड़ दिया जाता है तो किसानों को कृषि उपज विक्रय करने में सुविधा मिलेगी वहीं इसके साथ ही शासन की आय में भी बढ़ोतरी होगी।  

बार बार पत्राचार के बाद भी शासन प्रशासन गंभीरता से नहीं ले रहे संज्ञान 

हम आपको बता दे कि पलारी कृषि उपज मण्डी में इन ग्रामों को जोड़े जाने के संबंध में मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपरण बोर्ड आंचलिक कार्यालय जबलपुर के द्वारा एवं अन्य वरिष्ठ कार्यालय द्वारा इस संबंध में केवलारी तहसील के राजस्व मंडल पलारी के छूट हुये 24 ग्रामों एवं राजस्व मंडी भोमा के 44 ग्राम तथा तथा राजस्व मंडल धनौरा के 30 ग्रामों को  पलारी कृषि उपज मण्डी में शामिल किये जाने के लिये समुचित कार्यवाही किये जाने के संंबंध में नवंबर माह वर्ष 2020 में दिशा निर्देश दिये गये थे लेकिन इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की गई है। जिससे किसान सुविधा से वंचित है तो वहीं शासन की आय भी कम हो रही है। 

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