राज्यसभा सांसद सिवनी जिले से आदिवासी को बनाने पर भाजपा का महाकौशल क्षेत्र में बढ़ेगा वर्चस्व
घंसौर आदिवासी सीट समाप्त करने से हुये नुकसान की भी हो सकेगी भरपाई
बालाघाट संसदीय क्षेत्र में सर्वाधिक आदिवासियों की संख्या की रहती है महत्वपूर्ण भूमिका
आजादी के बाद सिवनी जिले से आज तक नहीं मिला राज्यसभा सदस्य बनाये जाने का मौका
सिवनी। गोंडवाना समय।
भीषण गर्मी के मौसम में भी राज्यसभा सदस्य को लेकर फिलहाल सिवनी जिले में राजनीति गर्माती जा रही है। सत्ताधारी दल भाजपा के खेमे में भाजपा पदाधिकारी व कार्यकर्ता इस बार राज्यसभा सदस्य सिवनी जिले से बनाये जाने की मांग कर रहे है।
आदिवासी बाहुल्य सिवनी जिले में भाजपा के अधिकांश पदाधिकारी राज्यसभा सांसद सदस्य के लिये गैर आदिवासी की सिफारिश जोर-शोर से कर रहे है। जबकि यदि हम सिवनी ही नहीं महाकौशल क्षेत्र ही नहीं संपूर्ण मध्यप्रदेश में सर्वाधिक आदिवासी की संख्या है ये किसी से छिपा नहीं है। राजनैतिक गुणा गणित के हिसाब से विचार किया जााये तो भाजपा कार्यकर्ताओं को सिवनी जिले से राज्यसभा सदस्य के लिये किसी आदिवासी का नाम प्रस्तावित करना चाहिये न कि किसी गैर आदिवासी का नाम प्रस्तावित करना चाहिये।
हालांकि ये सिवनी जिले के भाजपाईयों का अपना गुणा गणित है और उन पर ही निर्भर है कि वे आदिवासी को या गैर आदिवासी राज्यसभा सदस्य के लिये प्रस्तावित करते है। वहीं यह भी जरूरी नहीं है कि सिवनी जिले को राज्यसभा सांसद सदस्य के लिये इस बार भी अवसर मिल पाये क्योंकि राजनैतिक पहुंच के मामले में आसपास के जिलों से सिवनी जिला बहुत पिछड़ा हुआ है।
छिंदवाड़ा व मण्डला को राज्यसभा के लिये मिला मौका तो आदिवासी को ही चुना
हम आपको बता दे कि सिवनी जिले से लगा हुआ जिला छिंदवाड़ा व मण्डला में राज्यसभा सासंद सदस्य के लिये अवसर मिला था। इस दौरान छिंदवाड़ा में आदिवासी के रूप में सुश्री अनुसुईया उईके वर्तमान राज्यपाल को अवसर मिला था। वहीं मण्डला जिले में भी श्रीमती संपतिया उईके को राज्यसभा सदस्य बनाया जाकर आदिवासी को ही मौका दिया गया है।
राजनैतिक हिसाब से छिंदवाड़ा व मण्डला जिले के स्थानीय पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं सहित भाजपा के उच्चस्तरीय शीर्ष नेताओं ने आदिवासी को ही राज्यसभा सांसद सदस्य बनाये जाने का निर्णय लिया था। इसके पीछे पूरे देश में सर्वाधिक आदिवासी की जनसंख्या वाला प्रदेश मध्यप्रदेश सहित महाकौशल क्षेत्र में सर्वाधिक आदिवासी की जनसंख्या होने के अनुसार भाजपा का वर्चस्व बढ़ाने का रहा होगा।
इसी आधार पर छिंदवाड़ा व मण्डला में राज्यसभा सदस्य के लिये आदिवासी को ही चुना गया था। वहीं हम बता दे कि सिवनी जिले में फिलहाल भाजपा के पदाधिकारी गैर आदिवासी का नाम प्रमुखता से प्रकाशित कर रहे है। हालांकि निर्णय उच्च स्तर से किया जाना है।
घंसौर आदिवासी विधानसभा सीट परीसीमन में हो गई है समाप्त
हम आपको बता दे कि आदिवासी विकासखंड और आदिवासी बाहुल्य ब्लॉक घंसौर जो कि पूर्व में घंसौर विधानसभा सीट आदिवासी के लिये आरक्षित थी। जिसे परिसीमन के आधार पर घंसौर विधानसभा सीट को समाप्त कर दिया गया है और उसे लखनादौन विधानसभा में जोड़ दिया गया है। मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी विधानसभा लखनादौन विधानसभा क्षेत्र इसी कारण बना है जहां सबसे ज्यादा मतदान केंद्र है।
घंसौर विधानसभा आदिवासी सीट आरक्षित समाप्त हो जाने से आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व कम हो गया है। हालांकि बरघाट आदिवासी आरक्षित जरूर किया गया है लेकिन सिवनी जिले से एक सीट कम हो गई है। घंसौर आदिवासी परिसीमन समाप्त होने से आदिवासी समाज को अत्याधिक नुकसान हुआ है जो कि हमेशा आदिवासियों के बीच में राजनैतिक मुद्दा बना रहता है।
ऐसे समय में यदि सिवनी जिले से राज्यसभा सांसद सदस्य के लिये आदिवासी का नाम प्रस्तावित कर आदिवासी को अवसर दिया जाता है तो घंसौर सीट समाप्त कर आदिवासी के हुये नुकसान की भरपाई भी की जा सकती है।
आदिवासी को मौका देने से भाजपा का महाकौशल क्षेत्र में बढ़ेगा वर्चस्व
आदिवासियों की सर्वाधिक जनसंख्या वाला मध्यप्रदेश में महाकौशल क्षेत्र में सर्वाधिक आदिवासी मतदाताओं की संख्या है जहां पर कांगे्रस की गहरी पैठ बनी हुई है एवं कांग्रेस की जड़े मजबूत बनी हुई है। इसके साथ ही गोंगपा का वर्चस्व इस क्षेत्र में कायम है। भाजपा वर्ष 2003 के चुनाव से गोंगपा के बढ़ते जनाधार के चलते भले ही महाकौशल क्षेत्र में अपना स्थान बनाने में कामयाब हुई है लेकिन कांग्रेस से भाजपा अभी भी पीछे है।
महाकौशल क्षेत्र में भाजपा को आदिवासी मतदाताओं के बीच में अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिये सिवनी जिले से राज्यसभा में आदिवासी चेहरे को बनाये जाने से पार्टी का वर्चस्व बढ़ने से इंकार नहीं किया जा सकता है। सिवनी जिले के भाजपा पदाधिकारी व कार्यकर्ता सहित शीर्ष भाजपा के पदाधिकारी महाकौशल क्षेत्र में पार्टी का वर्चस्व बढ़ाने के लिये आदिवासी समाज से राज्यसभा सदस्य बनाये जाने के लिये विचार मंथन कर निर्णय लेने की आवश्यकता है।