मुख्यमंत्री जी, बुजुर्ग के परिवार की भूख के दर्द को क्यों नहीं समझ रही आपकी सरकार ?
बरगी बांध का दंश भोग रहे बुजुर्ग अब राशन पाने पात्रता पर्ची के लिए दर-दर भटकने को है मजबूर
पीड़ित परिवार की जिम्मेदार नहीं कर रहे सुनवाई, सरकार, शासन प्रशास से उम्मीद जताई
सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र वीजासेन में बरगी बांध विस्थापितों की मानवीय कीमत, बरगी विस्थापितों ने क्या खोया और क्या पाया इसका दुखद पहलू आज भी क्षेत्र में अपने अपने आंसू ही बहा रहा है। हम बात कर रहे हैं बरगी बांध डूब क्षेत्र के सिवनी जिले के घंसौर तहसील अंतर्गत बीजासेन गांव की जहां से बड़ी संख्या में पलायन को मजबूर हैं विस्थापित, हर एक घर से पलायन को मजबूर हैं लोग नागपुर-जबलपुर में मजदूरी करने को मजबूर है मजदूर।
पं. दीनदयाल उपाध्याय जी के सिद्धांतों पर चलने वाली शिवराज सरकार पर खड़े हो रहे सवाल
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पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के सिद्धांतों पर चलने वाली भारतीय जनता पार्टी की मध्यप्रदेश में सरकार है और चौथी बार मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान सत्ता संभाल रहे है। उनके भाषणों में अधिकांशतय: यही सुनने को मिलता है कि गरीबों को दो वक्त की रोटी या राशन पानी के लिये परेशान न होना पड़े। समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति यदि दो वक्त की रोटी कहें या राशन पानी को जुटाने के लिये जद्दोजहद करते रहे तो उस व्यवस्था को क्या कहा जायेगा।
जबकि कई बार नियमों को भी शिथिल कर मानवीयता को ध्यान में रख कर कम से कम भूख को मिटाने के इंतजाम के लिये सरकार की योजनाओं से पीड़ित जन को सुविधा प्रदान करा दी जाती है। कई बार ऐसा भी होता है कि मुख्यमंत्री, वरिष्ठ जनप्रतिनिधि या प्रशासनिक अफसरों के सामने परिवार में भूख को मिटाने की समस्या के सामने आने पर उनके द्वारा संज्ञान लेकर पीड़ित परिवार को राशन पानी का इंतजाम आसानी से करवा दिया जाता है।
ऐसा ही एक मामला सिवनी जिले के बरगी विस्थापित क्षेत्र की बीजासेन ग्राम पंचायत जनपद पंचायत घंसौर का मामला है जहां पर एक बुजुर्ग जिसके सहारे पूरा परिवार निर्भर है उन्हें राशन पाने के लिये पात्रता पर्ची के भटकना पड़ रहा है। जो पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के सिद्धांतों पर चलने वाली शिवराज सरकार पर सवाल खड़े रही है।
दर्जनों परिवार राशन से वंचित
समाजसेवी भुवन बर्मन ने बताया एक समय था बरगी बांध बनने से पहले जब लोगों का अच्छे से गुजर बसर हो जाता था लेकिन बरगी बांध बनने के बाद जैसे मानो कि विस्थापितों पर दुख का पहाड़ ही टूट गया है। आज के समय में दो वक्त की रोटी जुटा पाना मुश्किल है, यही स्थिति हर एक घर हर एक परिवार की है। शासन द्वारा चलाई जा रही महत्वकांक्षी योजनाएं इन विस्थापितों तक शायद नहीं पहुंच पा रही हैं। अगर बात करें राशन की तो यहां दर्जनों परिवार राशन से वंचित है।
पंचायत द्वारा पात्रता पर्ची में नहीं जोड़ा जा रहा है लोगों के नाम, बात करें एक और परिवार का जिसका नाम मुकेश बर्मन है, जिसके मां पिता इस दुनिया में नहीं है लेकिन यह गरीब परिवार आज दिनांक तक राशन से वंचित है और लकवा से पीड़ित है।
कई बार पीड़ित परिवार सरपंच सचिव से गुहार लगा चुके है लेकिन आज दिनांक तक राशन इस परिवार को नहीं मिला शिवराज सरकार ने कहा था 1 सितंबर से जिन गरीबों के पास राशन कार्ड नहीं है और वह गरीब है उन्हें राशन उपलब्ध कराया जाएगा लेकिन डूब क्षेत्र की बीजासेन पंचायत में सिर्फ जुमला साबित नजर आ रहा है, यह सच्चाई सिर्फ एक परिवार की नहीं है ऐसे दर्जनों परिवार हैं जिनके राशन कार्ड बनने हैं या फिर पात्रता पर्ची में नाम जुड़ना है कई परिवार तो ऐसे हैं जिनके घर में 13 सदस्य हैं और राशन सिर्फ तीन को मिल रहा है।
बरगी बांध डूब क्षेत्र में गरीबी देखना बहुत आम-सा हो गया है
गरीबी एक त्रासदी गरीबी एक ऐसी मानवीय परिस्थिति है जो हमारे जीवन में निराशा, दुख और दर्द लाती है। गरीबी पैसे की कमी है और जीवन को उचित तरीके से जीने के लिये सभी चीजों के कमी को प्रदर्शित करता है। गरीबी एक बच्चे को बचपन में स्कूल में दाखिला लेने में अक्षम बनाती है और वो एक दुखी परिवार में अपना बचपन बिताने या जीने को मजबूर होते हैं।
गरीब विस्थापित परिवार के बच्चों को उचित शिक्षा पोषण और खुशनुमा बचपन का माहौल मिलता नजर नहीं आ रहा। निर्धनता और पैसों की कमी की वजह से लोग दो वक्त की रोटी, बच्चों के लिये किताबें नहीं जुटा पाने और बच्चों का सही तरीके से पालन-पोषण नहीं कर पाने के जैसी समस्याओं से ग्रस्त हो रहे हैं। बरगी बांध डूब क्षेत्र में गरीबी देखना बहुत आम-सा हो गया है क्योंकि ज्यादातर लोग अपने जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को भी नहीं पूरा कर सकते हैं।
ये लोग जीने के न्यूनतम स्तर को भी बनाए रखने में विफल हो रहे हैं
गरीबी एक स्थिति उत्पन्न करती है जिसमें लोग पर्याप्त आय प्राप्त करने में असफल हो जाते हैं। इसलिये वो जरुरी चीजों को नहीं खरीद पाते हैं। एक निर्धन व्यक्ति अपने जीवन में मूल वस्तुओं के अधिकार के बिना जीता है जैसे दो वक्त का भोजन, स्व्च्छ जल, घर, कपड़े, उचित शिक्षा आदि। ये लोग जीने के न्यूनतम स्तर को भी बनाए रखने में विफल हो रहे हैं।
बरगी बांध के विस्थापितों की सुध नहीं ले रहे जनप्रितनिधि और जिला प्रशासन सिवनी के अधिकारी। इस बूढ़े पिता की आंखों में झलकते आंसू को देखिए, एकमात्र बेटा था जो इस दुनिया से चल बसा अब परिवार की जिम्मेदारी इस बूढ़े पिता पर है चार नातिन और बहू को पालने का जिम्मा अव बूढ़े बाप पर है लेकिन इनके छलकते आंसू इनकी वेदना इनका दर्द ना पंचायत के प्रतिनिधियों को नजर आ रहा ना हीं शिवराज सरकार को, तब तो इस परिवार के कुछ सदस्यों के नाम आज भी पात्रता पर्ची में नहीं है अगर जुड़ जाते और शासन से राशन मिलता, कुछ हद तक परेशानियों से इस परिवार को निजात मिलती।