ये मजदूर धन्य हैं जो करते हैं बाबा साहब डॉ अंबेडकर जी को याद
नागरिक के अधिकार और कर्त्तव्य की उन्होंने संविधान में शानदार प्रस्तुति दी है
सिवनी। गोंडवाना समय।
दिन भर उन गरीब मजदूरों ने मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम किया फिर शाम को अपने घर लौटे।
मुँह हाथ धोकर वे नगर के अम्बेडकर वार्ड स्थित रविदास शिक्षा मंदिर मंगली पेठ में अपने बच्चों और महिलाओं के साथ एकत्र हुए।
यहां उन मजदूरों ने देश को समानता, सद्भाव और एकता की डोर में बांधने वाले भारतीय संविधान के रचनाकार बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर जी को याद किया, उनको नमन किया।
धन्य हैं ये मजदूर जो अपने मसीहा डॉ भीमराव अम्बेडकर जी को करते हैं याद।
मुँह हाथ धोकर वे नगर के अम्बेडकर वार्ड स्थित रविदास शिक्षा मंदिर मंगली पेठ में अपने बच्चों और महिलाओं के साथ एकत्र हुए।
यहां उन मजदूरों ने देश को समानता, सद्भाव और एकता की डोर में बांधने वाले भारतीय संविधान के रचनाकार बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर जी को याद किया, उनको नमन किया।
धन्य हैं ये मजदूर जो अपने मसीहा डॉ भीमराव अम्बेडकर जी को करते हैं याद।
इन सबको एक सूत्र में पिरोना बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी
उक्ताशय का नजारा गत 6 दिसंबर को बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर जी की 65 वी पुण्यतिथि के पावन अवसर पर देखने को मिला। मजदूरों के इस यादगार कार्यक्रम के प्रारंभ में संत रविदास समाज संघ जिला के अध्यक्ष रघुवीर अहरवाल ने बाबा साहब और संत रविदास जी के छाया चित्रों के समक्ष मोमबत्ती प्रज्ज्वलित कर चित्रों में पुष्पहार अर्पित किया।
फिर उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि भारत में हजारों जातियों, अनेक धर्मो, पंथों और सम्प्रदाय के लोग रहते हैं। अनेक भाषाओं, विविध संस्कृति और क्षेत्रवाद का भी मिश्रण है। इन सबको एक सूत्र में पिरोना बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी। जिसे बाबा साहब ने खूबसूरत ढंग से पूरा करते हुए भारतीय संविधान का निर्माण किया।
मजदूरों और महिलाओं के हित में अनेक कानून बनाये हैं
संत रविदास समाज संघ जिला के अध्यक्ष रघुवीर अहरवाल ने आगे बताया कि बाबा साहब ने देश के साथ-साथ मजदूरों और महिलाओं के हित में अनेक कानून बनाये हैं। मजदूरों के लिए 8 घण्टे मजदूरी करने के अलावा सप्ताह में एक दिन का अवकाश की पात्रता प्रदान की। उनके इलाज आदि की सुविधाएं उपलब्ध कराने का कानून बनाया। मजदूरों के लिए काम और भोजन पाने के अधिकार को अनिवार्य बताया। महिलाओं को माता पिता की सम्पत्ति के साथ साथ पति की सम्पत्ति में भी अधिकार दिलाया। उनको पुरषों के बराबर का अधिकार दिया। वहीं शिक्षा के क्षेत्र में 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करने की संविधान में गारंटी दिया है।
कार्यक्रम में महिलाओं की उपस्थिति उल्लेखनीय रही
नागरिक के अधिकार और कर्त्तव्य की उन्होंने संविधान में शानदार प्रस्तुति दी है। कार्यक्रम में संत रविदास समाज संघ के कोषाध्यक्ष ज्ञानीलाल अहरवाल, सचिव कैलाश महोबिया, संयुक्त सचिव अरविंद बाघ्या, मनीष अहरवाल, विक्की अहरवाल, गोलू अहरवाल, महेन्द्र अहरवाल, राजेश अहरवाल, संतोष अहरवाल, रिशांत अहिरवाल, प्रशांत अहिरवाल, रिसब अहिरवाल, संतोष बाघ्या आदि के साथ-साथ बड़ी संख्या में महिलाओं की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।