साजा सरई के निर्मल छांव, बसे नदियां छोर मेरे गांव।
बुडादेव के असीम कृपा से, ये वैतरणी तारती है नाव।।
गोंडियन गाथा आदिकाल से, कई रहस्यों का ये मेल ।
गोंडी लिपि सांकेतिक अर्थ, कोई समझ न पाया खेल।।
सिंधुघाटी की आदि सभ्यता, रहस्य बताती है अनेक ।
वास्तविक भेद में पर्दा पड़ा, वहां लेख अभिलेख नेक।।
हाथी ऊपर शेर की दहाड़, लिख गोंडवाना मेरा लेख।
लिखा हुआ भी समझ न आए, तो भित्ती चित्र को देख।।
शेर की दहाड़ गोंडवाना गरजे, तो ऐरो गैरों का क्या मोल।
मुख आधार तो जड होता है, ऊपर टहनी तना पर खोल।।
ताकतवर पर राज करते हैं, जो मुट्ठी में कर ले बलवान।
एक जुटता में अद्म्य ताकत,करने से दिखेगा सही मान।।
शब्द ज्ञान की कई परिभाषा, सांकेतिक अर्थ महान है।
जोसंकेत को सहजता से समझे,वो बहुत बड़ा विद्वान है।।
तमिल द्रविड़ की मिश्रित भाषा, भाषाओं में गोंडी महान।
गोटुल कहानी रो-रोकर कहे, क्यों रहा गोडिजन अंजान।।
राज पाठ का शौक नहीं है, हम स्वयं राजा इस धरती में।
आक्रमणकारी से मुक्त करने, लड़े तीर कमान व फरसी में।।
दबंग गोंडवाना सबल कहानी, लिख-लिख रचे इतिहास।
भविष्य काल की कथा बन गए, युवा पीढ़ी के लिए खास।।
लिखूं तो मेरा कलम छोटा है, गोंडवाना की अनन्त कहानी।
सन्त सलाम की कलम से निकले, हर पल-पल मीठी बानी।।
रचनाकार-कवि
सन्तराम सल्लाम
छत्तीसगढ़