शुद्ध पानी, नेटवर्क, इलाज, पढ़ाई जैसी कई मूलभूत जरूरतों से वंचित है वन ग्राम के लोग
मंडला लोकसभा व केवलारी विधानसभा क्षेत्र के वन ग्रामों के लोग बदहाली से गुजर रहे हैं
कभी कोई अधिकारी गांव में झांकने नहीं आता
वन ग्रामों के लोगों को है मूलभूत सुविधाओं का इंतजार
जनप्रतिनिधि तो चुनाव के बाद से वापस गांव की ओर जाना ही भूल जाते हैं
किसी भी गाँव के लिए बिजली, पानी, नेटवर्क, इलाज, पढ़ाई जैसी कई मूलभूत सुविधाएं जरूरी होती हैं। हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के सिवनी जिले की जनपद पंचायत केवलारी के उपतहसील उगली के ग्राम पंचायत रतनपुर के अंतर्गत आने वाले वन ग्रामों की जहां आजादी के इतने सालों बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है ग्रामीण।
जिला मुख्यालय से महज 100 किमी दूर केवलारी ब्लॉक के ग्राम पंचायत रतनपुर के अंतर्गत वन ग्राम कोपीझोला, पंडरापानी, हिरीर्टोला, पीपरदौन और चिरईडोंगरी के ग्रामीण बदहाली के दौर से गुजर रहे है। इस गाँव में विकास के नाम पर अभी तक कुछ नहीं हुआ है। गाँव के अंदर आवागमन के लिए सीसी रोड मार्ग नहीं बनाया गया है। हम आपको बता दें इस गाँव से विकास की किरणें कोसों दूर हैं। कभी कोई अधिकारी गाँव में झांकने भी नहीं आता।
5 किलोमीटर दूर कैसे जाएंगे आंगनवाड़ी केंद्र के बच्चे
हम आपको बता दे पंडरापानी में आंगनवाड़ी केंद्र नहीं है, पंडरापानी से आंगनवाड़ी केंद्र 5 किलोमीटर दूर पीपरदौन में है। अब सरकार शासन प्रशासन ही बताएं कि घने जंगल से गुजर कर छोटे-छोटे 2 से 5 वर्ष के बच्चे कैसे जा पाएंगे आंगनबाड़ी केंद्र ? वहीं कुछ बच्चे हमें कुपोषित भी नजर आए। हालांकि ग्रामीणों ने गोंडवाना समय को बताया कि हमने अपने बच्चों का नाम आंगनबाड़ी केंद्र पीपरदौन में लिखवाया है लेकिन बच्चे इतनी दूर कैसे जा पाएंगे। वहीं यह कहना भी गलत नहीं होगा कि अंधकार में है वन ग्राम के बच्चों का शैक्षणिक भविष्य। यह बहुत गंभीर समस्या है सरकार शासन प्रशासन को इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए समाधान करना चाहिए।
लो वोल्टेज की समस्या से परेशान हैं ग्रामीण
थ्री फेस ना आने के कारण लो वोल्टेज की समस्या आज दिन तक बनी हुई है। ग्रामीणों ने बताया ढुढवा के पास (भुखमरिया बाबा) है वहां से बिजली विभाग ने एलटी दिया है जो गांव से लगभग 9 किलोमीटर दूर है तो आप ही अंदाजा लगा सकते हैं कि 3 गांव के लोग कैसे चिमनी जैसी लाइट में गुजर बसर कर रहे होंगे। ग्रामीणों ने कहा गांव की लाइट चिमनी से भी बत्तर है और बिजली विभाग प्रति माह बिजली के बिल भरपूर देते हैं।
हम आपको बता दें गांव में बिजली ऐसे ही नहीं आई थी, उसके लिए भी वन ग्राम के ग्रामीणों को संघर्ष करना पड़ा था तब जाकर गांव में बिजली पहुंची लेकिन वह भी नाम मात्र की बिजली है। वन ग्राम के ग्रामीणों के द्वारा वर्ष 2013-14 में ग्रामीणों ने विधानसभा चुनाव का बहिष्कार किया था तब जाकर विधायक श्री रजनीश सिंह ठाकुर के कार्यकाल के 1 साल बीत जाने के बाद गांव में विद्युत सुविधा पहुंची थी।
ग्रामीणों को यह सुविधा भी सिर्फ नाम मात्र के लिए मिली है। आज भी गांव में लो वोल्टेज की समस्या बनी हुई है, जिससे वन गांव के समस्त ग्रामीण परेशान हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हमारी समस्या को ना तो जनप्रतिनिधि सुनते हैं और ना ही विद्युत विभाग के अधिकारी कर्मचारी। आखिर हम जाए तो जाए कहां जाए और किसके पास जाएं ?
आठवीं के बाद बच्चे छोड़ देते हैं पढ़ाई-लिखाई
पीपरदौन में आठवीं तक स्कूल है जैसे तैसे मुसीबत करके दूसरे गांव के बच्चे पीपरदौन आकर आठवीं क्लास तक तो पढ़ ही लेते है लेकिन आठवीं के बाद छात्र-छात्राएं अक्सर पढ़ाई छोड़ देते हैं। क्योंकि आठवीं के बाद में वन ग्राम में मिडिल स्कूल नहीं है। यदि गांव में मिडिल स्कूल खुल जाए तो वन ग्राम के बच्चों का भविष्य उज्जवल हो सकता है।
केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते व विधायक राकेश पाल सिंह का जनप्रतिनिधित्व क्षेत्र
हम आपको बता दें जनजाति बाहुल्य सिवनी जिला की मंडला लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद व केन्द्रीय मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते व केवलारी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक श्री राकेश पाल सिंह के क्षेत्र अन्तर्गत जनपद पंचायत केवलारी की उपतहसील उगली से लगभग 20-25 किलोमीटर कोपीझोला, पंडरापानी,हिरीर्टोला, पीपरदौन,और चिरईडोंगरी के ग्रामीणजन सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पाने के लिए तरस रहे हैं।
वही सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन करने वाले अधिकारी तो वातानुकूलित कमरों से बाहर निकलकर वन ग्रामों की ओर पहुंच ही नहीं पा रहे हैं। जमीनी हकीकत से अंजान रहने वाले जनप्रतिनिधि तो चुनाव के बाद से वापस गांव की ओर जाना ही भूल जाते हैं। ऐसी स्थिति में वन ग्राम के ग्रामीणजन जिनमें सर्वाधिक संख्या में जनजातीय समाज के लोग निवासरत है जो कि सरकारी योजनाओं का लाभ पाने से वंचित हो रहे हैं। वही यह कहना गलत नहीं होगा कि मंडला लोकसभा व केवलारी विधानसभा के वन ग्रामों के लोग बदहाली से गुजर रहे हैं।