संविधान में ग्राम सभा हमारे देश का राजा है परंतु सरकार, शासन-प्रशासन इसे नहीं मान रही है
रतलाम में औद्योगिक निवेश के लिये नहीं देंगे एक इंच जमीन, रामपुरिया में जयस महापंचायत में वक्ताओं ने भरी हुंकार
रतलाम। गोंडवाना समय।
रतलाम में आदिवासियों के द्वारा सहेज कर रखी गई जमीनों को सेज पर दिये जाने की योजना का विरोध 23 अक्टूबर 2021 को रतलाम के रामपुरिया में जयस के आहवान पर पहुंचे हजारों की संख्या में आदिवासियों में स्पष्ट नजर आया। वहीं जयस द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे वक्ताओं ने संवैधानिक प्रावधानों के साथ आदिवासियों पर हो रहे अन्याय, अत्याचार, शोषण के कारणों से अवगत कराया।
रतलाम जिले में लगभग 1800 हैक्टैयरभूमि पर निवेश क्षेत्र बनाया जा रहा है, उसमें आदिवासी समाज एक इंच भी भूमि नहीं देगा इसका एलान भी अधिकांश क्षेत्रिय वक्ताओं ने मंच के माध्यम से रखा। कार्यक्रम में महेंद्र लोधी ओबीसी महासभा अध्यक्ष, डॉ पी डी महंत भारतीय ट्रायबल पार्टी, विनय रतन भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, कांति भाई रोत राजस्थान भील प्रदेश अध्यक्ष डॉ आनंद राय आरटीआई एक्टिविस्ट, सुनील असते भीम आर्मी प्रदेश अध्यक्ष, डॉ अभय ओहरी, एडव्होकेट कमलेश डोडियार सहित अन्य वक्ताओं ने अपना संदेश दिया। वहीं कार्यक्रम में सैलाना से आये आदिवासियों ने परंपरागत लोकनृत्य भी प्रस्तुत किया।
मैं इसलिये कालर पकड़कर कोर्ट ले जाता हूं
सुप्रीमकोर्ट के वरिष्ठ वकील श्री कोलिन गोंसाल्वीस ने जयस युवाओ की तारीफ की, कहा कि वह सही राह पर हैं। उन्होंने आगे कह कि ग्राम सभा सबसे नीचे था पहले अब राजा हो गया लेकिन कोई मानने को तैयार नहीं है। कलेक्टर से पूछो तो कहते है हमारा ब्लॉक आफिसर राजा है आप नहीं है।
संविधान में ग्राम सभा हमारे देश का राजा है पर सरकार, शासन, प्रशासन मानने को तैयार नहीं है, लेकिन बोलने और मांगने से परिवर्तन नहीं होगा, जब तक हम इनकी कालर पकड़कर नहीं खीचेंगे, इन्हें सबक सिखाना पड़ता है इन लोगों को क्योंकि ये सीखने के लिये तैयार नहीं है, मैं इसलिये कालर पकड़कर कोर्ट ले जाता हूं।
उन्होंने कहा कि गैर आदिवासी की तुलना में आदिवासी का दिमाग तेज है। वहीं यह बात संविधान व कानून के जानकारों को सबको पता है कि किसी भी कीमत पर औद्योगिक निवेश के लिये आदिवासियों की भूमि को लेने नहीं दिया जायेगा। इसके बाद भी आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासी ले रहा है। रतलाम क्षेत्र में औद्योगिक निवेश के लिये जमीन लेने के मामले में आदिवासियों की तरफ से उच्च न्यायालय में याचिका नवंबर माह में दायर करने की तैयारी हो गई है।
संविधान से गद्दारी करके पार्टी का संविधान मानते है
डॉ पीडी महंत ने इस दौरान कहा कि सरकार मेडिकल कॉलेज जनजाति क्षेत्रों में नहीं खोल रही है, स्कूलों की भी स्थिति यही है। आदिवासियों को शिक्षा व स्वास्थ्य से मरहूम करना चाहते है। मेडिकल व स्कूल न खोलकर वहां पर फैक्ट्री खोलना चाहते है सिर्फ हमें मजदूर बनाकर रखना चाहते है। वहीं हमारे समाज के जो विधायक है वे तथाकथित पार्टी से बने है। विधायक तो बने है लेकिन संविधान से गद्दारी करके पार्टी का संविधान मानते है, हम उन्हें चुनकर भेजते है, वहां इतने मजबूर हो जाते है, पट्टा बंध जाता है।
मैं उनसे आग्रह करना चाहता हूं कि छोड़ो उस पट्टे को आओ उस समाज में, वापस आओ वहां पर जिनने आपको चुनकर भेजा है। अनुसूचित क्षेत्रों से 47 विधायक और सांसद चुनकर जाते है लेकिन वे समाज की बात नहीं रख पाते है। इसलिये मेरा आग्रह है कि त्यागपत्र दो आओ समाज हित में वापस आओ, वहां पर आपकी क्या स्थिति है यह सब दिखाई दे रहा है।
हम आदिवासी अपने संवैधानिक अधिकारों प्रावधानों की आपस में शांतिपूर्वक चर्चा करना चाहते है लेकिन हमें चर्चा करने की अनुमति नहीं मिलती है जबकि हम संविधान के प्रावधान बताना चाहते है। वहीं उन्होंने औद्योगिक निवेश के लिये आदिवासियों की जमीन दिये जाने के मामले में कहा कि जो कि जमीन आदिवासियों ने सहेज कर रखा है उस जमीन को सेज को क्यों दी जा रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आदिवासी युवा वर्ग आरटीआई एक्टिविस्ट बने जानकारी जुटाये।
भीम आर्मी संघर्ष के लिये हमेशा तैयार है
भीम आर्मी के विनय रतन ने कहा कि भीम आर्मी देश में अंतिम पंक्ति के साथ प्रत्येक पीड़ित प्रताड़ित वर्ग के लिये संघर्ष करने को तैयार है। सरकार, शासन, प्रशासन के अलावा अन्य तरह के होने वाले अत्याचार, शोषण के खिलाफ में आवाज उठाने के लिये भीम आर्मी हर समय तैयार है।
एससी, एसटी, ओबीसी को एकता के साथ चलना होगा
ओबीसी महासभा के प्रमुख श्री महेन्द्र लोधी ने कहा कि देश व प्रदेश में एससी, एसटी, ओबीसी को एक होना होगा। ओबीसी की जनगणना कराये जाने व आरक्षण दिये जाने के मामले में एसटी व एससी का पूर्ण समर्थन ओबीसी महासभा को मिला है। वहीं देश में ओबीसी वर्ग के पास भी कुछ नहीं बचा है उनकी जमीन भी कम होती जा रही है, वह काम की तलाश में पलायन को मजबूर है। इसलिये हमें एससी, एसटी और ओबीसी महापुरूषों की विचारधारा पर चलकर संविधान की रक्षा करते आगे बढ़कर एक साथ मिलकर चलना होगा।