''नहीं भूल सकते है हम आपको दादा जी''
स्वरचित रचना
''प्रकृति-प्रेमी''
रमा ''प्रेम-शांति''पूज्यनीय हीरा सिंह मरकाम दादा जी
नहीं भूल सकते है हम आपको दादा जी,
आपके जैसे दूजा नहीं कोई मेरे दादा जी,
जैसा नाम आपका वैसे ही अनमोल आप,
आपकी देन के कर्जदार है हम सब दादा जी