आदिवासियों पर दहशत बनाकर रखा जाये ताकि इनकी आने वाली अगली पीढ़ीयां डरपोक पैदा हो-श्याम धुर्वे
वंश बहादुर, श्याम धुर्वे, भड़काने नहीं संविधान पढ़ाने, पेशा ऐक्ट व वन अधिकार अधिनियम, ग्राम सभाओ की देते है जानकारी
वन चेतना भवन की बैठक में वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी व अधिकांश सरपंच भी थे मौजूद
सिवनी। गोंडवाना समय।
बीते दिनों कुरई पुलिस थाना द्वारा की गई कार्यवाही के पश्चात लगभग 30 वर्ष से अधिक समय से आदिवासी समाज में सामाजिक व संवैधानिक चेतना के लिये कार्य करने वाले श्याम धुर्वे के साथ बीते कुछ वर्षों से उनके पुत्र वंश बहादुर भी आदिवासी समाज के संवैधानिक अधिकारों की जानकारी देने का कार्य कर रहे है। वहीं जंगल सत्याग्रह में शहीदों की प्रतिमा स्थापित करने के लिये उनके द्वारा आदिवासी समाज के साथ प्रयास किया जा रहा है। वहीं जंगल सत्याग्रह में शहीदों की प्रतिमा के संबंध में 9 अक्टूबर को प्रतिमा अनावरण का कार्यक्रम के संबंध में आदिवासी वन चेतना भवन खबासा में मीटिंग रखी गई थी। इसके बाद बीते दिनों कुरई पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही से आहत हुये श्याम धुर्वे व वंश बहादुर धुर्वे के परिजनों ने गोंडवाना समय को उनकी ओर से जारी प्रेस नोट को प्रकाशन हेतु पहुंचाया है। जिसमें श्याम धुर्वे व वंश बहादुर धुर्वे ने कहा है कि हम यह अवगत कराना चाहते है कि जिला सिवनी के कुरई पुलिस थाना में जो प्रशासन द्वारा एक तरफा आदिवासियों पर आखेट चल रहा है, इसका कारण क्या है ?
भारतीय संविधान हर जाति समुदाय वर्ग के लिए बना है
श्याम धुर्वे व वंश बहादुर धुर्वे जारी प्रेस नोट में उल्लेख किया है कि आदिवासी अपने संवैधानिक हक व अधिकारों की लडाई लड़ रहे है। भारतीय संविधान हर जाति समुदाय वर्ग के लिए बना है। आदिवासियों के लिए भी बहुत कुछ लिखा व अधिकार है। उसका प्रचार-प्रसार पूरे देश में चल रहा है, महामहिम राष्ट्रपति से राज्यपाल, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री आदिवासियो के हक व अधिकारो को लागू एवं परिपालन कराने की बात करते है।
राज्यपाल, केंद्रीय गृह मंत्री, मुख्यमंत्री ने भी किया संविधान अधिकारों की चर्चा
श्याम धुर्वे व वंश बहादुर धुर्वे जारी प्रेस नोट में उल्लेख किया है कि विगत दिनों छत्तीसगढ की महामहिम राज्यपाल सुश्री अनुसूईया उईके जी ने भी सिवनी जिले में शहीद राजा शंकरशाह, कुवंर रघुनाथशाह जी की प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम चुरनाटोला में उनके साथ में मौजूद केंद्रिय मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण उपस्थित थे। कार्यक्रम में राज्यपाल ने संवैधानिक अधिकारो की चर्चा की 18 सितम्बर को केन्द्रिय गृह मंत्री श्री अमित शाह, मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने जबलपुर शहीद स्थल में भी गॉव गणराज्य/पेसा एक्ट को लागू करने की बात किये थे।
वन चेतना भवन खबासा में बैठक का प्रेस व सोशल मीडिया में किया था आहवान
श्याम धुर्वे व वंश बहादुर धुर्वे जारी प्रेस नोट में उल्लेख किया है कि इसी बात पर आम जनता को अवगत कराने के लिए जंगल सत्याग्रह 1930 के शहीद बिरजू भोई, रेनौबाई, मुड्डे बाई, बुटटे बाई की प्रतिमा का अनावरण ग्राम खवासा में 9 अक्टूम्बर 2021 को तय किया गया था। इस संबंध में बैठक आदिवासी वनचेतना भवन खवासा में रखी गई थी, जिसमें सभी राजनैतिक पार्टी, सामाजिक, वैचारिक, सरकारी कर्मचारी व जनप्रतिनिधी व संगठन के लोग उपस्थित हुए थे। बैठक में यह तय हुआ कि सभी लोग सामाजिक,आर्थिक, तन-मन धन से सहयोग करेंगें। आदिवासी वन चेतना भवन खवासा में बैठक बिछुआ सरपंच द्वारा दैनिक समाचार पत्रों को प्रेस नोट जारी किया गया एवं सोशल मीडिया, फेसबुक, व्हाटसप ग्रुप पर भी अवहान किया गया था।
शहीदो के कार्यक्रम करने के लिए अनुमति की जरूरत है क्या ?
श्याम धुर्वे व वंश बहादुर धुर्वे जारी प्रेस नोट में उल्लेख किया है कि सरकार चाहती है, समाज के समक्ष इतिहास उजागर न हो व आदिवासियो को हक व अधिकारो की जानकारी न हो। इसके लिए राजनैतिक दबाव में आदिवासी वन चेतना भवन में आदिवासियों व अन्य अधिकारियों ने एक षडयंत्र रचकर झूठी रिपोर्ट लिखवाया की बिना अनुमति के बैठक हुई जबकि वहां पर पूरे कुरई ब्लॉक भर के सरपंच एवं वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे। जिसका साक्ष्य सोशल मीडिया तथा दैनिक समाचार पत्रों में देखा जा सकता है। जिन्होने ग्राम सभाओं के पूरे सदस्यों को वहां बुलाया था। शहीदो के लिए अनुमति की जरूरत है क्या ? बिरजू भोई पहले शहीद हुये है या आदिवासी चेतना भवन पहले बना है। यहॉ कि इंच-इंच जमीन शहीदो की है। जंगल सत्याग्रह में शहीदों की प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम के संबंध में आदिवासी वन चेतना भवन में मीटिंग की गई थी। वन विभाग के द्वारा जिस तरह से झूठी रिपोर्ट लिखाई गई है उस मामले में आदिवासी वनचेतना भवन के प्रबंधन पर शहीदो के अपमान के तहत कार्यवाही होना चाहिये।
भूमिहीन निर्धन परिवारों पर हुई कार्यवाही
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान घोषणा करते है कि भूमिहिनो को जमीन के पटटा देगें। ग्राम कुप्पीटोला के भूमिहीन गरीब निर्धन परिवारों के लोगों ने खेती किसानी कर घर परिवार के पालन पोषण के लिये जमीन पर कब्जा करने की कोशिश किया था लेकिन उनके पर फर्जी मामला बनाकर उन्हें जेल भेज दिया गया। जबकि वह जमीन घास प्लाट की भूमि थी व गॉव के जिन लोगों के पास जमीन नहीं थी, जबकि वह लोग 50 वर्षो से वहां रह रहे है। इसलिये उनका हक बनता है।
आदिवासियों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार क्यों ?
आदिवासियो पर अत्याचार होता है तो रिपोर्ट लिखवाने जाओ ंतो एनसीआर दिया जाता है और गैर आदिवासी रिपोर्ट लिखवाने जाता है तो आदिवासियो के खिलाफ एफआईआर लिखकर तुरन्त आदिवासियों को जेल भेज दिया जाता है यहां तक तुरन्त फोर्स लगा दी जाती है। कानून सबके लिए है फिर आदिवासियों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार क्यों किया जा रहा है ?
आदिवासी समाज के प्रश्नों के जवाब देने के बजाय उन्हें भेजा जा रहा जेल
बरघाट से वंश बहादुर, श्याम धुर्वे, भड़काने आते है, ऐसा दुष्प्रचार किया जाता है जबकि सत्य तो यह है कि हम संविधान पढ़ाने, पेशा ऐक्ट व वन अधिकार अधिनियम सवैधानिक बाते समझाने व ग्राम सभाओ के बारे में जानकारी देने आते है तो क्या संविधानिक अधिकारों की जानकारी देना गलत है ? यह सरकार, शासन, प्रशासन को तय करना चाहिये। कुरई तहसील को चारागाह समझ कर देश-विदेश के लोग यहॉ आते है। उनके खिलाफ जॉच क्यों नही होती है, कार्यवाही क्यों नहीं होती है। आदिवासियों की जमीन में बाहर से आये हुए लोगों ने कब्जा किया है। क्या इनके खिलाफ कोई जॉच व कार्यवाही की गई है। समाज आज इसी बात को पूछ रहा है। जवाब देने की बजाय उनको जेल भेज दिया जा रहा है, पूरा देश भारतीय संविधान से चलता है। संसद, न्याय पालिका, कार्यपालिका इनके अनुसार संहिता का परिपालन किया जाता है।
फिर आदिवासियो का आखेट क्यो ?
कुरई क्षेत्र पॉचवी अनुसुची क्षेत्र है। पूर्व राष्ट्रपति महामहिम एपीजे अब्दूल कलाम जी का प्रपत्र देखिए इसी का परिपालन के लिए पंचायत राज अधिनियम, वन अधिकार अधिनियम, मतस्य अधिनियम, खनिज निगम, गॉव गणराज्य, पेशा ऐक्ट, भू राजस्व संहिता, अनुसूचित जाति-जनजाति अन्याय अत्याचार निवारण अधिनियम सभी जगहों पर ग्राम सभाओ का उल्लेख है। फिर आदिवासियो का आखेट क्यो ?
आदिवासी समाज के साथ इतनी क्रूरता क्यो ?
इसका इतिहास पुराना है, महारानी दुर्गावती को मारा गया। शहीद राजा शंकरशाह, कुंवर रघुनाथ शाह को तोप के मुह में बांधकर चिथड़े उड़ाये गये। शहीद बिरसा मुंडा जी की चमड़ी नोच-नोच कर उनको रॉची जेल में मारा गया। शहीद बिरजू बोई, रेनोबाई, मुड््डे बाई ,भूटटे बाई को अंग्रेजो द्वारा जंगल सत्याग्रह में उन्हे सीने पर बंदूक से गोली मारी गई। टंटया मामा भील, लक्ष्मीबाई, अहिल्या बाई इत्यादि। सवाल ये है कि इनके साथ मतलब आदिवासी समाज के साथ इतनी क्रूरता क्यो ? इनको साधारण मौत भी दिया जा सकता था ? इसका कारण स्पष्ट है कि आदिवासियों पर दहशत बनाकर रखा जाये ताकि इनकी आने वाली अगली पीढ़ीयां डरपोक पैदा हो। आदिवासी अपने हक व अधिकारो या उनकी बात न कर सके ओर हम इनके जल-जंगल व जमीन पर आसानी से कब्जा कर छीन सके।
हम जेल चले जाये शहीद हो जाय पर डरना नहीं है
पूरे देश में यही काम चल रहा है, मध्यप्रदेश में बड़वानी, बैतूल, डिंडोरी, छिंदवाड़ा, बालाघाट, धार, सहित सिवनी जिले के समस्त ब्लॉकों के साथ कुरई में भी मध्य प्रदेश में चल रहा है। श्याम धुर्वे ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि हम शहीदो के औलाद है। हम जेल चले जाये शहीद हो जाय पर डरना नहीं है, इस आन्दोलन को आप मंजिल तक पहुचाओगे।
हम माननीय न्यायालय का सम्मान करते है
श्याम धुर्वे व वंश बहादुर धुर्वे ने संयुक्त रूप से जारी विज्ञप्ति में कहा कि हम माननीय न्यायालय का सम्मान करते है। सिविल कोर्ट, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, संयुक्त राष्ट्र संघ सभी जगह इस लड़ाई को लड़ेगें व घबराने की जरूरत नहीं है। आपको संवैधानिक लड़ाई लड़नी है, आक्रोशित होकर लड़ना नही है, हथियार की जगह कलम की लड़ाई लड़नी होगी। अपने हक व अधिकार को जानना होगा व नियम-कानूनो का आदर सम्मान करते हुऐ आगे बढ़ना होगा। मुश्किले बहुत सी आयेगी पर आपको डराने पर आपको घबराने की जरूरत नहीं हे। आपको ऐसे ही एक होकर समाज के हित में काम करने की व सोचने की जरूरत है। हमारे आने वाली पीढ़ी के लिये यह बहुत जरूरी है।
आपने तो पोल ही खोल कर रख दीया
ReplyDeleteथेन्कयू सच बताने के लिए