झारखण्ड के गोंड आदिवासी समुदाय के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षक कमलेश्वर मांझी संगठन के माध्यम से कर रहे सराहनीय कार्य
अपने घर को बच्चों के लिये छात्रावास में तब्दील कर उपलब्ध करा रहे नि:शुल्क आवास
राज्य एवं जिला स्तरीय उत्कृष्ट शिक्षक पुरस्कार से भी किया जा चुके है सम्मानित
अपनी अलग पारम्परिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, भौगोलिक विशेषताओं से परिपूर्ण पूरे विश्व में विख्यात झारखण्ड एक आदिवासी राज्य के रूप में जाना जाता है। इसी राज्य के दक्षिणी-पश्चिमी भाग में उड़ीसा और छत्तीसगढ़ से अपनी सीमा साझा करते हुए सिमडेगा जिला जो आदिवासियों के लिए एक अनुसूचित क्षेत्र है जहाँ गोंड लोगों की बाहुलता है। वैसे तो झारखण्ड में गोंड समुदाय का विस्तार सिमडेगा, गुमला, पश्चिमी सिंहभूम, गढ़वा आदि जिलों तक फैली हुई है लेकिन सिमडेगा जिला झारखण्ड में गोंड आदिवासी समुदाय के लोगों का गढ़ माना जाता है।
युवा जोश और बुजुर्ग अनुभवो से सुसज्जित है टीम
शिक्षक कमलेश्वर मांझी गोंड आदिवासी समुदाय के चहुमुखी विकास के लिए लगभग दो दशकों से बीड़ा उठाए विकास के कदमों के साथ कदमताल करने के लिए संघर्षरत हैं। पेशे से प्रधानाध्यपक कमलेश्वर मांझी (रा.उ.म. वि. बासेन) और उनके युवा जोश और बुजुर्ग अनुभवो से सुसज्जित टीम है। कमलेश्वर मांझी पेशे से विद्यालय के एक प्रधानाध्यापक हैं। प्रधानाध्यापक की भूमिका में अतुलनीय अदायगी के साथ समाजसेवा में भी इनका योगदान अतुलनीय और अविस्मरणीय है।
राष्ट्रिय-राज्य स्तरीय मेधा छात्रवृति के लिए भी बच्चे चयनित होते हैं
जिस विद्यालय में शिक्षक कमलेश्वर मांझी प्रधानाध्यापक हैं उस विद्यालय की उपलब्धि भी किसी से छुपी नहीं रह गई है। यही वजह है कि उनको कई बार राज्य और जिला स्तरीय उत्कृष्ट शिक्षक पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। विद्यालय से प्रत्येक वर्ष विद्यार्थी नवोदय विद्यालय, एकलव्य विद्यालय सहित राष्ट्रिय-राज्य स्तरीय मेधा छात्रवृति के लिए भी बच्चे चयनित होते हैं। इनके लिए वे विद्यालय में शिक्षकों के साथ मिलकर टीम वर्क के रूप में मेहनत करते हैं।
सिमडेगा जिला को पुरे भारत देश में हॉकी के नर्सरी के रूप में जाना जाता हैं
शिक्षक कमलेश्वर मांझी सिमडेगा हॉकी संघ से भी जुड़े हुए। यहां हॉकी का जिक्र करना इसलिए जरुरी है क्योंकि लोगों को पता होनी चाहिए सिमडेगा जिला को पुरे भारत देश में हॉकी के नर्सरी के रूप में जाना जाता हैं। यहां से दर्जनों अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी और तीन दर्जन से अधिक राष्ट्रीय खिलाड़ी निकल चुके हैं। हॉकी संघ से जुड़कर वे वहां कोषाध्यक्ष की भूमिका निभा रहे हैं।
गोंडवाना आदिवासी कल्याण एवं विकास मंच की स्थापना 2011 ई. में की गई
समाजसेवा के क्षेत्र में शिक्षक कमलेश्वर मांझी के अगुवाई में ही गोंडवाना आदिवासी कल्याण एवं विकास मंच की स्थापना 2011 ई. में की गई है। वर्तमान में मंच का अध्यक्ष रामचंद्र मांझी और संरक्षक स्वयं कमलेश्वर मांझी हैं। गोंडवाना विकास मंच का उद्देश्य गोंड समुदाय को सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, शिक्षा, रोजगार, खेल, कला के क्षेत्र में मजबूत और तटस्थ बनाकर विकास को गति देना तय किया गया है। इसके लिए संगठन के लोग योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं।
गोंडवाना छात्र संघ का भी गठन किया गया जिसका अपना तय उद्देश्य है
संगठन के माध्यम से प्रत्येक वर्ष गोंडवाना समर कैम्प, बुजुर्ग दिवस सह खेल आयोजन, वीर नारायण सिंह स्मारक खेल प्रतियोगता, कैरियर कॉउंसलिंग, स्वरोजगार के लिए पूंजी उपलब्ध कराकर, गोंडवाना पिकनिक मिलान समारोह आयोजित कर समाज को संगठित करने का प्रयास किया जा रहा है।
विकास कार्य और जागरूकता को गति देने के लिए संगठन के माध्यम से गोंडवाना वेलफेयर सोयायटी, गोंडवाना सामाजिक-धार्मिक जागरूकता मंच, गोंडवाना छात्र संघ का भी गठन किया गया जिसका अपना तय उद्देश्य है।
बच्चों को पढ़ाते हुए सामाजिक-सांस्कृतिक-भाषिक ज्ञान भी प्रदान कर रहे हैं
संगठन के अथक प्रयासों के बल पर सिमडेगा शहरी क्षेत्र में गोंडवाना विकास विद्यालय सह छात्रावास की स्थापना की गई है। समाजसेवी कमलेश्वर मांझी स्वयं अपने घर को बच्चों के छात्रावास के रूप में तब्दील कर दिए हैं जहाँ वे उन्हें नि:शुल्क आवास उपलब्ध कराकर पठन-पाठन में भी मदद कर रहे हैं।
संगठन के माध्यम से सिमडेगा के कई गावों में गोटुल की स्थापना की गई है
जहाँ छात्र संघ से जुड़े गांव के ही युवा छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाते हुए सामाजिक-सांस्कृतिक-भाषिक ज्ञान भी प्रदान कर रहे हैं। विद्यालय में रहना, पढ़ना, खेल प्रशिक्षण सब निशुल्क मुहैया कराई जाती है शिक्षक कमलेश्वर मांझी और उनके संगठन के माध्यम से चल रहे कार्यों में गोंडवाना विकास विद्यालय सह छात्रावास सिमडेगा की स्थापना इसकी स्थापना, 2017 में गोंडवाना आदिवासी कल्याण एवं विकास मंच के तत्वाधान में सामाजिक सहयोग से सिमडेगा शहरी क्षेत्र में लगभग 1.50 एकड़ परिक्षेत्र में की गई है।
विद्यालय के संचालक कमलेश्वर मांझी हैं जो सुबह-शाम बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाते भी हैं। यह आवासीय विद्यालय पूरी तरह नि:शुल्क है। रहना, पढ़ना, खेल प्रशिक्षण सब निशुल्क मुहैया कराई जाती है। विद्यालय के बच्चों को घर से बस चावल लाना होता है। बच्चों के लिए स्वयं का किचन गार्डन बनाया गया जहाँ बच्चे स्वयं सब्जी की खेती करते हैं और खुद से ही बनाकर खाते हैं।
12 छात्रों का नवोदय, 1 छात्र का सैनिक स्कूल व 3 से अधिक छात्रों का चयन एकलव्य विद्यालय में हुआ
विद्यालय के बच्चों को नवोदय विद्यालय, सैनिक स्कूल, एकलव्य विद्यालय, नेतरहाट आवासीय विद्यालय आदि के प्रवेश परीक्षा के लिए विशेष तैयारी कराई जाती है। 2017 में स्थापना के बाद लगभग 12 छात्र-छात्राओं का चयन नवोदय विद्यालय,1 छात्र का चयन सैनिक स्कूल में और 3 से अधिक छात्र-छात्राओं का चयन एकलव्य विद्यालय के लिए हो चूका है।
5 खिलाड़ी का राष्ट्रीय प्रतियोगिता एवं 25 से ज्यादा खिलाडियों का चयन राज्य स्तरीय के लिए हुआ
हॉकी, तीरंदाजी, एथलेटिक्स, खोखो, कबड्डी, सिलम्बम, ऊँची कूद, लम्बी कूद, सांस्कृतिक-पारम्परिक नृत्य, गाना, भाषण, लेखन, गोंडी भाषा ज्ञान आदि का विशेष प्रशिक्षण भी प्रशिक्षकों द्वारा नि:शुल्क मुहैया कराया जा रहा है। यहां से खेल में 5 खिलाडी का चयन राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए, लगभग 25 से ज्यादा खिलाडियों का चयन राज्य स्तरीय उपरोक्त विभिन्न खेलों के लिए हो चूका है। जिला स्तरीय खेल प्रतियोगिता में भी यहां के बच्चे हमेशा मेडल प्राप्त करते हैं।
nice
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