जीवन पथ पाठशाला से बच्चों को मिलेगी सुरक्षित भविष्य की राह
जीवन पथ पाठशाला का संचालन पूर्ण रूप से नि: शुल्क होगा
गांवों में शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है
विश्व आदिवासी दिवस पर जीवनपथ पाठशालाओं का हुआ शुभारंभ
रतलाम। गोंडवाना समय।
रतलाम जिले के सैलाना अंचल के विभिन्न ग्रामों में विश्व आदवासी दिवस के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ जनजागृति के लिए संगोष्ठियों के आयोजन के साथ ही विशेष तौर पर बालक-बालिकाओं के शैक्षणिक उत्थान व प्रगति हेतु शिक्षा प्रदान करने के लिये विशेष ध्यान देते हुये, समाज में व्याप्त शराब खोरी, नशा, अशिक्षा, भांजगढ़ प्रथा आदि कुरीतियों बुराइयों को मिटाने के साथ ही छोटे बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवन पथ पाठशाला नामक पाठशालाओं की शुरआत सरवन के लूणी, शिवगढ़ के सांसर व सैलाना के नया टापरा गांवों में की गई है। पाठशालाओं के शुभारंभ पर बड़ी संख्या में छोटे बच्चे उपस्थित हुए, पाठशालाओंं में उपस्थित सभी बच्चों को कॉरोना से बचाव के उपाय बताते हुये मास्क वितरित किए गये।
शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान देकर युवा निभा सकते है सामाजिक जिम्मेदारी
शैक्षणिक दिशा में प्रगति की ओर बालक-बालिकाओं को अग्रसर करने के उद्देश्य से जीवनपथ पाठशाला समिति की नींव रखने वाले जीवनपथ पाठशाला के संस्थापक कमलेश्वर डोडियार भील व आशीष मकवाना जीवनपथ पाठशाला समिति के कार्यालय प्रभारी ने संयुक्त रूप से जानकारी देते हुये बताया कि ग्राम सांसर में पहली जीवन पथ पाठशाला शुरू की गई है।
पाठशाला के शुभारंभ अवसर पर सांसर पंचायत के सरपंच कमजी मैडा ने बताया कि गांवों में शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। वहीं नयाटापरा के राजेश मेडा ने बताया कि विभिन्न ग्रामों में बड़ी संख्या में पढ़े लिखे बेरोजगार युवक है जो कि समाज के शैक्षणिक दिशा में प्रगति की ओर अग्रसर करने के लिये शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान देकर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभा सकते है। वहीं इसी दौरान बापू सिंह भगोरा ने भी पाठशाला की शुरूआत के समय कहा कि ग्राम स्तर पर शिक्षा की ये व्यवस्था नियमित रूप से संचालित होना चाहिए।
कड़क होगा अनुशासन, बच्चों को अंग्रेजी व कंप्यूटर पढ़ाने की विशेष व्यवस्था होगी
सरवन के पास स्थित लूणी ग्राम में जीवनपथ पाठशाला शुरू करते समय संजय मेडा ने कहा कि कोरॉना गाइड लाइन का पालन करते हुए कम संख्या में बच्चों को पढ़ाना उचित होगा।
वहीं जीवनपथ पाठशाला के संस्थापक कमलेश्वर डोडियार भील ने बताया कि अनाथ, बेघर व आर्थिक रूप से पिछड़े, निर्धन, मजदूर परिवार के बच्चों को अंग्रेजी व कंप्यूटर पढ़ाने की विशेष व्यवस्था होगी। इसके साथ ही कड़े अनुशासन के साथ गंभीरता पूर्वक सुबह 8 बजे से 10 बजे तक 2 घंटे रोज जीवन पथ पाठशाला का संचालन पूर्ण रूप से नि: शुल्क होगा।
बेहतर समाज निर्माण के साथ बच्चों का भविष्य प्रत्येक क्षेत्र में रहेगा सुरक्षित
जीवनपथ पाठशाला के संस्थापक कमलेश्वर डोडियार भील ने आगे यह भी बताया कि पाठशालाओंं में बच्चों व आने वाली पीढ़ियों को अपने समाज में व्याप्त बुराइयों-कुरीतियों व बीमारी-बेरोजगारी के प्रति सतर्क करते हुए बेहतर समाज का निर्माण करेंगे ताकि वर्तमान के साथ साथ, आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सभी क्षेत्रों में सुरक्षित रहे ऐसा प्रयास किया जायेगा। पाठशालाओं के संचालन के लिए शिक्षक के रूप में शिक्षा प्रदान करने वाले विष्णु मेडा, संजय मेडा और अरविंद विशेष रुप से उपस्थित रहें।