शिवराज सरकार को विश्व आदिवासी दिवस पर विदेशी साजिश क्यों आती है नजर-हीरालाल अलावा
मनावर/भोपाल। गोंडवाना समय।
मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार और उससे जुड़े धार्मिक, राजनीतिक संगठन मध्यप्रदेश के 2 करोड़ आदिवासियों की संवैधानिक अधिकार व सांस्कृतिक पहचान खिलाफ छेड़छाड़ कर रहे है। इस संबंध में जल्द ही जयस के राष्ट्रीय संरक्षक व मनावर विधायक डॉ हीरालाल अलावा महामाहिम राष्ट्रपति से लिखित शिकायत करेंगे।
विश्व आदिवासी दिवस को विदेशी साजिस बताकर राज्यपाल के आदेश को किया अनदेखा
मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) द्वारा वर्ष 1994 मे घोषित विश्व आदिवासी दिवस को विदेशी साजिस बताकर राज्यपाल के आदेश को भी अनदेखा किया गया है। अब मध्यप्रदेश के 2 करोड़ आदिवासियों को यह बात भली-भांती समझ लेना चाहिए कि जब राज्य सरकार प्रदेश के महामहिम राज्यपाल के अति आवश्यक निर्देश को अस्वीकार कर 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस पर सार्वजानिक अवकाश घोषित नहीं करने के लिए पूर्व मे बनाई मानसिकता का परिचय देते हुए आदिवासियों के विरोध में लिए अपने आदेश को निरस्त नहीं कर सकती है तो इस लोकतान्त्रिक तानाशाही सरकार से प्रदेश के हम 2 करोड़ आदिवासी, कई आदिवासी जनप्रतिनिधि और प्रदेश के सैकड़ो आदिवासी संगठनों की जानभवनाओ की सम्मान की अपेक्षा कैसे कर सकते है।
आम आदिवासी शिवराज सरकार के न्याय की क्या उम्मीद कर सकते है
डॉ हीरालाल अलावा जयस संरक्षक मनावर विधायक ने आगे कहा कि मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सरकार उससे जुड़े धार्मिक संगठनों और आदिवासी नेताओं ने जब संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी संस्था द्वारा घोषित विश्व आदिवासी दिवस को विदेशी साजिस बताकर भ्रमित करने वाला प्रोपेगेंडा फैलाया जिसमे प्रदेश के 2 करोड़ आदिवासियों के संवैधानिक संरक्षक महामहिम राज्यपाल को अनदेखा कर सकती तो आम आदिवासी शिवराज सरकार के न्याय की क्या उम्मीद कर सकते है।
गुलाम आदिवासी और गैर आदिवासी नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी
डॉ हीरालाल अलावा जयस संरक्षक मनावर विधायक ने आगे कहा कि मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार, बीजेपी और उससे जुड़े धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक संगठनों प्रदेश के 2 करोड़ आदिवासियों की आवाज को दबाने के लिए कई प्रकार के भ्रामक एजेंडे बनाकर अपने गुलाम आदिवासी और गैर आदिवासी नेताओं को जिम्मेदारी सोपी है। पिछले कई दिनों से बीजेपी से जुड़े कई आदिवासी विधायकों, सांसदों ने आदिवासियों की बढ़ती एकता और अखंडता को विदेशी साजिस बताने मे कोई कसर नहीं छोड़ी है जबकी प्रदेश मे जयस (जय आदिवासी युवा शक्ति) जैसी संवैधानिक वैचारिक संगठन ने पिछले 8 सालों मे अंतिम पँक्ति मे खड़े वर्ग आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार जो बाबा साहबद्व जयपाल सिंह मुंडा जैसे लीडरों ने संघर्ष करके भारत के संविधान मे पांचवी अनुसूची, पेशा कानून और वनाधिकार 2006 जैसे महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रावधान जो अंतिम पँक्ति मे खड़े वर्ग देश के 12 करोड़ आदिवासियों की सुरक्षा, संरक्षण और विकास के लिए बनाये गए गएद्व उसकी आवाज को समय समय पर बुलंद करते रहा है।
हमारे प्रदेश की एकता और अखंडता के लिए सही नहीं है
इसके बाद भी मध्यप्रदेश के 2 करोड़ आदिवासियों के इन संवैधानिक अधिकारों को ना तो मध्यप्रदेश बीजेपी सरकार के मुखिया श्री शिवराज सिंह चौहान और ना भारतीय जनता पार्टी से जुड़े किसी भी आदिवासी विधायक ने आज तक सदन मे दो शब्द भी बोलना उचित समझा क्योँकि जिस प्रकार आरएसएस और बीजेपी से जुड़े संगठन जयस के बारे एक संयुक्त रणनीति बनाकर प्रदेश 2 करोड़ आदिवासियों के उभरते युवा संगठन जयस के बारे मे अपना भ्रामक एजेंडा फैला रहे है, जो प्रदेश के 2 करोड़ जनसंख्या वाले हमारे प्रदेश की एकता और अखंडता के लिए सही नहीं है इसकी जल्द ही हम देश और प्रदेश के आदिवासियों के संवैधानिक संरक्षक महामहिम राष्ट्रपति महामहिम राज्यपाल से लिखित में शिकायत दर्ज करेंगे 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस पर देश के आदिवासी बाहुल्य प्रदेश छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल ने सार्वजनिक अवकाश घोषित किया। झारखण्ड जैसे आदिवासी बाहुल्य प्रदेश की हेमंत सोरेन सरकार ने 9 अगस्त को सार्वजानिक अवकाश घोषित किया यहाँ तक की पश्चिम बंगाल मे तृणमूल कांग्रेस की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी ने वहां के आदिवासी संगठनों के बीच जाकर विश्व आदिवासी दिवस धूम धाम से मनाया।
विश्व आदिवासी दिवस पर विदेशी साजिश क्यों नजर आती है
हमारा केंद्र की मोदी सरकार से सवाल है क्या इन राज्यों की संवैधानिक सरकारों को विश्व आदिवासी दिवस पर विदेशी साजिस क्यों नजर नहीं आती? सिर्फ मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार को ही विश्व आदिवासी दिवस पर विदेशी साजिश क्यों नजर आती है जबकि संयुक्त राष्ट्र संघ से जुड़ी कई अंतराष्ट्रीय संस्थाओं मे देश के प्रधानमन्त्री मोदी प्रत्येक वर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ जाकर जलवायु परिवर्तन, देश की अर्थव्यवस्था जैसे गंभीर मुद्दों पर अपना भाषण देते है तब बीजेपी को विदेशी साजिस र्क्यों नजर नहीं आती है, हाल ही मे संयुक्त राष्ट्र संघ की एक संस्था प्रमुख, संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद की पिछले दिनों 9 अगस्त को वर्चुअल मीटिंग मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार अध्यक्षता की तब बीजेपी और उससे जुड़े संगठनों को विदेशी साजिश नहीं नजर आती, सिर्फ बीजेपी और उससे जुड़े धार्मिक राजनीतिक संगठनों की गुलामी नहीं करने वाले संगठनों की बढ़ती ताकत मे ही विदेशी साजिश क्योँ नजर आती है।
नेमावर हत्याकांड के आरोपियों को बचाने के लिए सरकार दे रही संरक्षण
मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने हॉल ही में मध्यप्रदेश में विश्व आदिवासी दिवस पर सार्वजानिक अवकाश घोषित नहीं करने से प्रदेश भर के आदिवासी संगठनो और मध्यप्रदेश की प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के द्वारा विधानसभा वाकआउट और विरोध से बौखलाकर बयान दिया की प्रदेश मे एससी/एसटी/ओबीसी के जातिवादी संगठन भ्र्रम फैला रहे है।
जबकि सबसे बड़ी जातिवाद को बढ़ावा देने वाली भारत के संवैधानिक व्यस्था के विरोध में काम करने वाली बीजेपी सरकार है प्रदेश मे अपराधियों को 10 गड्ढे मे गाड़ने का बयान देने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरकार मे नेमावर मे हुये आदिवासी परिवार की मासूम बेटिओं के साथ बर्बरता पूर्वक उनके साथ सामूहिक बलात्कार कर उन्हें 10 फिट गड्ढे मे गाड़कर उनकी बॉडी को गलाने के यूरिया खाद और सल्फीयूरिक एसिड मिलाया गया। साजिस मे शामिल सभी आरोपियों को पकड़ने और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिले उनके लिए प्रदेश के समस्त आदिवासी संगठनों ने यहाँ तक विपक्षी दल कांग्रेस ने पुरे हत्याकांड की उइक जाँच की मांग की लेकिन शिवराज सरकार षड्यंत्र मे शामिल कई आरोपियों को पकड़ने से बचाने के लिए सीबीआई जाँच से दूर भागने का प्रयास स्पस्ट प्रतीत होता है।
शिवराज सरकार आदिवासी की मासूम बच्चियों के साथ हुये बर्बर हत्याकांड के आरोपियों को बचाने के लिए संरक्षण दे रही है जो प्रदेश 2 करोड़ आदिवासियों की के खिलाफ फैसला है मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार आदिवासियों की आवाज को दबाने के लिए इनके कई मंत्री जयस जैसे संवैधानिक वैचारिक संगठन को उग्रवाद, नक्सवाद, आतंकवादी बोलकर प्रदेश की जनता को गुमराह कर रहे उनकी सभी की शिकायत महामहिम राष्ट्रपति डॉ हीरालाल अलावा करेंगे।
बीजेपी और उससे जुड़े धार्मिक संगठन लगातार आदिवासी क्षेत्रो घुसपेठ कर आदिवासियों संवैधानिक धार्मिक पहचान के साथ छेड़छाड़ कर रहे है। इनके ऊपर जल्द से जल्द सख्त से सख्त कार्यवाही करवाने के लिए देश के 12 करोड़ आदिवासियों के संवैधानिक संरक्षक महामहिम राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे।