आदिवासी समाज ने गंगाजलि में भोजन बनाने खिलाने की प्रथा को बंद करने का लिया साहसिक निर्णय
स्वेच्छा अनुसार नगद सहयोग दिया जा सकता है परंतु बनाना खिलाना नहीं होगा
सर्वसम्मिति से ध्वनि मत और फड़ापेन के जयघोष के साथ इस कुप्रथा पर पाबंदी लगाई
श्रीमती साधना शाह/विशेष संवाददाता
नरसिंहपुर। गोंडवाना समय।
ग्राम मर्रावन तहसील तेंदुखेडा जिला नरसिंहपुर मध्य प्रदेश में आयोजित विश्व आदिवासी दिवस में तीन जिले सागर, रायसेन एवं नरसिंहपुर के आदिवासियों समाज में व्याप्त कुप्रथा गंगाजली उपरांत भोजन बनाने खिलाने की अनावश्यक प्रथा पर पाबंदी लगा दी गई है।
यही समय कृषि, शिक्षा और अन्य संसाधनों के विकास में लगाया जा सकता है
इस प्रथा में मृतक के रिश्तेदार सगे सबंधी एक साल तक सैंकड़ों लोगों को लेकर मृतक के परिवार में भोजन बनाने खिलाने आते रहते हैं। इससे दोनों परिवारों और समाज पर व्यर्थ का आर्थिक बोझ बना रहता है और समय की भी बबार्दी होती है। यही समय कृषि, शिक्षा और अन्य संसाधनों के विकास में लगाया जा सकता है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुँवर भीष्म शाह एवं कुँवर तिलक शाह राजपरिवार द्वारा उपस्थित सगासमाज एवं महिलाओं, युवाओं के साथ सामूहिक विचार मंथन किया गया।
समाज को कर्ज के बोझ तले डुबाने वाली अनावश्यक प्रथाओं में पाबंदी लगाने पर चर्चा हुई
वहीं समाज को कर्ज के बोझ तले डुबाने वाली अनावश्यक प्रथाओं पर पाबंदी लगाने पर चर्चा हुई। चर्चा के बाद मुख्य अतिथि द्वारा उक्त प्रथा गंगाजली उपरांत भोजन बनाना खिलाना प्रतिबंधित करने की घोषणा की गई। इसके स्थान पर गंगाजली में स्वेच्छा अनुसार नगद सहयोग दिया जा सकता है परंतु बनाना खिलाना नहीं होगा। सर्वसम्मिति से ध्वनि मत और फड़ापेन के जयघोष के साथ इस कुप्रथा पर पाबंदी लगाई।
इस दौरान प्रमुख रूप से ये रहे मौजूद
आने वाले समय में गंगाजली (मृत्यु भोज) पर भी विराम लगाने पर विचार किया जावेगा। कार्यक्रम में सतीश ठाकुर उपसरपंच ग्राम मर्रावन, कोमल मर्सकोले, बड़ेवीर ठाकुर, पंचम सिंह, राजेश ठाकुर, राजू ठाकुर, भूरे सिंह, दीपेश ठाकुर, रामकृष्ण ठाकुर, राजाराम ठाकुर, नन्हेंलाल ठाकुर, भजनी ठाकुर, फागूलाल ठाकुर, इमरत ठाकुर आदि मातृ पितृ शक्तियाँ उपस्थित थीं।