मध्य प्रदेश सरकार आशाओं के जीने लायक वेतन की मांग को लगातार कर रही नजरंदाज
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त वेतन हेतु विधानसभा में हस्तक्षेप के लिए बरघाट विधायक को सौंपा ज्ञापन
स्वास्थ्य मंत्री के द्वारा दिये गये आश्वासन के बाद 35 वें दिन 5 जुलाई को हड़ताल किया था स्थगित
आशा ऊषा आशा सहयोगी संयुक्त मोर्चा मध्यप्रदेश ने विधायक के समक्ष रखी मांग
बरघाट। गोंडवाना समय।
आशा ऊषा आशा सहयोगी संयुक्त मोर्चा मध्यप्रदेश बरघाट विधायक अर्जुन सिंह काकोड़िया को ज्ञापन सौंपा मांग की है कि आन्ध्र प्रदेश की आशाओं की तरह एवं प्रदेश में आंगनवाडी कार्यकतार्ओं की तर्ज पर मध्य प्रदेश सरकार की ओर से आशा एवं आशा सहयोगियों को 10,000 रुपये का अतिरिक्त वेतन तत्काल दिये जाने हेतु इस विषय को लेकर 9 अगस्त से शुरू होने वाले मनसून सत्र में विधानसभा के उठाकर प्रदेश की आशा एवं आशा सहयोगियों को न्याय दिलाने का प्रयास करें। इस दौरान उन्होंने विधायक के सहयोग के लिये समस्त संगठन की ओर से आभारी भी व्यक्त किया।
कोविड काल के दौरान आशा कार्यकर्ताओं ने आधा दर्जन आशाओं ने गवाई अपनी जान
ज्ञापन में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में कार्यरत आशा एवं आशा सहयोगी देश एवं प्रदेश में मातृ मृत्यु एवं शिशु मृत्यु दर को रोकने के साथ स्वास्थ्य सेवाओं को संचालित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। कोरोना महामारी के खिलाफ सरकार के अभियान में भी आशा एवं सहयोगियों ने अपनी जान को जोखिम में डाल कर काम किया और कोविड ड्यूटी के दौरान आधा दर्जन आशाओं ने अपनी जान गंवाई है। सरकार के स्वास्थ्य सम्बन्धी विभिन्न अभियानों के चलते आशा एवं सहयोगियों पर काम का बोझ लगातार बढाया जा रहा है लेकिन वेतन में किसी तरह की बढोत्तरी नहीं की । इसके बाद भी आशा एवं सहयोगी इतनी महत्वपूर्ण एवं आवश्यक सेवायें दे रही है ।
2000 रुपये मासिक का वेतन निश्चित प्रोत्साहन राशि दे रही है
मध्य प्रदेश में सरकार आशाओं को केवल 2000 रुपये मासिक का वेतन निश्चित प्रोत्साहन राशि दे रही है। जिससे अधिकांश आशायें दयनीय स्थिति में अपनी व परिवार की गुजरबसर करने के लिये विवश है । इस अमानवीय शोषण से राहत पाने के लिये राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त वेतन दिये जाने की मांग को लेकर प्रदेश की आशाओं ने 1 जून 2021 से प्रदेश व्यापी अनिश्चितकालीन हडताल की। इस हड़ताल के दौरान 24 जून को भोपाल में राज्य स्तरीय प्रदर्शन के दौरान प्रतिनिधिमंडल से चर्चा के दौरान मिशन संचालक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने आशाओं के लिये 10,000 रुपये मासिक का मानदेय निश्चित प्रोत्सहन राशि एवं इसके अनुरूप सहयोगियों के मानदेय का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास भेजने की बात की थी, जिसे सभी समाचारपत्रों ने दूसरे दिन प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान स्वास्थ्य मंत्री के द्वारा दिये गये आश्वासन के बाद 35 वें दिन 5 जुलाई को हड़ताल स्थगित किया था ।
मांग को पूरा करने की दिशा में अब तक कोई पहल नही होना चिंताजनक
स्वास्थ्य मंत्री के द्वारा दिये गये आश्वासन के बाद अब 30 दिन पूरा होने जा रहा है लेकिन वेतन वृद्धि की मांग को पूरा करने की दिशा में अब तक कोई पहल नही होना चिंताजनक है। इस स्थिति में आशा एवं सहयोगियों को न्याय दिलाने हेतु बरघाट विधायक श्री अर्जुन सिंह काकोड़िया से उन्होंने अपेक्षा जताई की आपके द्वारा विधानसभा के मानसून सत्र इस प्रकरण में हस्तक्षेप की सख्त जरूरत है। इस सम्बन्ध में उन्होंने विधायक अपनी विशेष मांगों की जानकारी देते हुये अवगत भी कराया। जिसमें प्रमुख रूप से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में कार्यरत आशायें पिछले 14-15 वर्षों से स्वास्थ्य विभाग में कई दौर के प्रशिक्षण के साथ प्रदेश की स्वास्थ्य विभाग की अग्रिमपंक्ति में महत्वपूर्ण स्वास्थ्य कर्मी के रूप में काम कर रही है। आशाओं को इस काम के बदले केवल 2000 रुपये मासिक का मानदेय/ निश्चित प्रोत्साहन राशि दी जा रही है । इसके चलते वे अत्यंत दयनीय हालत में जीवन जीने के लिये विवश है ।
आंध्रप्रदेश में 10 हजार व केरल में 9 हजार रूपये दे रही सरकार
वहीं उन्होंने विधायक को अवगत कराते हुये आगे बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा स्वास्थ्य को राज्य का विषय मान कर राज्य सरकार की ओर से आशाओं को अतिरिक्त वेतन दिये जाने की सिफारिश की है , जिसके तहत आन्ध्र प्रदेश में 10,000 रु . केरल में 9,000 रुपये सहित अधिकांश राज्य सरकारें आशाओं को अतिरिक्त वेतन दे रही है ।
आशा सहयोगी (पर्यवेक्षक) को दे रहे 7, 500 रूपये वेतन जो कि अपर्याप्त है
आगे उन्होंने जानकारी दी कि आशाओं का मार्गदर्शन करने वाली आशा सहयोगी (पर्यवेक्षक) जो औसत 10 से 20 गांवों में कार्यरत आशाओं को बतौर पर्यवेक्षक मार्गदर्शन करने का काम कर रही है, उन्हें सरकार द्वारा केवल 6, 250 रुपये मासिक का वेतन एवं 1, 250 रु का यात्रा व्यय, कुल 7,500 रुपये दिया जाता है। अब इन्हें 25 दिन की जगह 30 दिन का कार्यदिवस मानते हुये भुगतान का आदेश जारी किया गया है, यह वेतन भी अपर्याप्त है ।
आशा एवं आशा सहयोगियों को प्रदेश सरकार अपनी ओर से कुछ भी नहीं दे रही
मध्य प्रदेश में आंगनवाडी कार्यकर्ता को 10,000 रुपये ( राज्य सरकार की ओर से 7,000 रु .) एवं सहायिका को 5,000 रु . ( राज्य सरकार की ओर से 3,500 रु .) वेतन दिया जाता है । जबकि स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में काम कर रही आशाओं को केवल 2,000 रुपये ( वह भी केन्द्र सरकार का ) दिया जाता है। आशा एवं आशा सहयोगियों को प्रदेश सरकार अपनी ओर से कुछ भी नहीं दे रही है ।
परिवार की जरूरतों को पूरा करने में असफल रहती है, जो कि अन्यायपूर्ण है
प्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त वेतन दिये बिना प्रदेश की आशा एवं आशा सहयोगियों को जीने लायक एवं न्यायपूर्ण वेतन प्राप्त नहीं हो सकता है लेकिन प्रदेश सरकार आशाओं के जीने लायक वेतन की मांग को लगातार नजरंदाज कर रही है । इस नाम मात्र के वेतन के चलते आशायें अपनी और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने में असफल रहती है, जो कि अन्यायपूर्ण है ।