मड़वा पंचायत में सरपंच-सचिव ने 52 हजार 80 रूपये की जेब में भर लिये मुरम
घोटाला की दुकान खोलकर पहचान बना रही मड़वा ग्राम पंचायत
सिवनी। गोंडवाना समय।
जनता से टैक्स वसूलने वाली सरकार यदि सिवनी जिले के अधिकांश ग्राम पंचायतों में सामग्री भुगतान के नाम पर दिये गये बिल की जांच-पड़ताल, वाणिज्य कर विभाग या अन्य सक्षम टैक्स शासकीय संस्थानों से कर ले तो सिवनी जिला टैक्स चोरी का प्रमुख गढ़ के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो जायेगा। वही फर्जी बिलों के आधार पर सिवनी जिले के अधिकांश पंचायतों में भुगतान किये जाने का खेल वरिष्ठ अधिकारियों की अनदेखी कहें या संरक्षण जिसके चलते लाखों करोड़ों रूपये का आहरण बीते कई वर्षों से बेरोक-टोक चल रहा है।
जीएसटी नंबर जारी करने वाला विभाग वाणिज्य कर विभाग करें बिलों की जांच
वहीं यदि वाणिज्य कर विभाग जो कि फर्मों को जीएसटी नंबर प्रदान कर रहा है, वह भी अपनी ड्यूटी शासन के प्रति व विभाग के जिम्मेदारी पूर्वक नहीं निभा रहा है। हम आपको बता दे कि जनपद पंचायत छपारा अंतर्गत ग्राम पंचायत मड़वा तो एक ही उदाहरण मात्र है, यदि सिवनी जिले की अधिकांश ग्राम पंचायतों में सामग्री भुगतान करने वाले जिन्हें जीएसटी नंबर वाणिज्य कर विभाग द्वारा दिया गया है, वह ईमानदारी से ग्राम पंचायतों में लगे बिलों को खंगाल ले तो शासन को टैक्स की चोरी कर चूना लगाने वालों की लाईन वाणिज्य कर विभाग कार्यालय सिवनी में लग जायेगी।
52 हजार 80 रूपये के बिल जारी करने वाले के नहीं हस्ताक्षर
ग्राम पंचायत मड़वा में मुरम बुलवाने के नाम पर छपारा के जितेन्द्र सिंह राजपूत संजय कॉलोनी छपारा, जिला-सिवनी को 52 हजार 80 रूपये का भुगतान कर दिया गया है। पंचायत में मुरम के नाम पर भुगतान किये जाने वाले के द्वारा प्रस्तुत किये गये बिल में न तो दिनांक का उल्लेख है और न ही किस वाहन से मुरम की ढुलाई हुई है उसका उल्लेख है इतना ही नहीं प्रस्तुत किये गये बिल में मुरम भेजने वाले के हस्ताक्षर तक नहीं है। इसके बाद भी ग्राम पंचायत मड़वा के सरंपच, सचिव के द्वारा 52 हजार 80 रूपये का बिल नंबर-823, जो कि 12 अक्टूबर 2020 को भुगतान कर दिया गया है।
पुराने स्कूल के मलबा को शो कर दिये मुरम
अब सवाल यह उठता है कि ग्राम पंचायत द्वारा यदि मुरम बुलवाया गया है तो उसे कहां डलवाया गया है, ग्राम पंचायत के जागरूक सूत्रों का कहना है कि ऐसी कोई मुरम तो पंचायत द्वारा नहीं डलवाई गई है। वहीं आसपास ही पंचायत क्षेत्र में ही मुरम बहुत है वहां से भी अनुमति लेकर मुरम लाया जा सकता था लेकिन मुरम के नाम पर राशि को संभवतय: जेब में भर लिया गया है। बताया जाता है कि ग्राम पंचायत में स्कूल में मुरम डलवाये जाने की बात कहीं जा रही है जबकि स्कूल निर्माण के दौरान पुराना स्कूल को तोड़े जाने पर निकला हुआ मलबा को ही स्कूल ग्राउण्ड में फैला दिया गया था। वहां पर कोई मुरम नहीं बुलवाया गया है।