कोरोना काल में हुई मृत्यू लेकिन साबित कैसे करें, नहीं मिल रहा कोई आर्थिक लाभ
हरदा। गोंडवाना समय।
कोरोना संकट काल ने कई परिवारों के सपने ऐसे समय में तोड़ दिए, जब उनके घर परिवार का भरण पोषण करने वाला मुखिया ही असमय काल के गाल में समा गया। किसी ने अपने मां को खोया है तो किसी ने अपने पिता को तो किसी ने अपने पति को खो दिया है। पिछले कई महीनों से इन परिवारों का एक-एक मिनट सालों की तरह गुजर रहा है। कोई रो-रो कर अपनों का याद कर रहा है तो दो वक्त की रोटी के लिए भागदौड़ कर रहा है।
छोटे से बच्चे को लेकर विभागों व मंत्री-नेताओं के चक्कर लगा रही महिला
ऐसी ही एक पीड़ित महिला वार्ड 26 निवासी रानू मालवीय जिन्होंने अपने पति को कोरोना के कारण खो दिया। उनके पति अतुल मालवीय को 28 अप्रैल को सांस लेने में दिक्कत होने के कारण जिला अस्पताल में रात्रि में भर्ती किया और 29 अप्रैल की सुबह ही उनका निधन जिला अस्पताल में हो गया। उनकी मृत्यु होने के पूर्व कोरोना का टेस्ट नहीं होने के कारण उनकी मृत्यु को कोरोना में नहीं गिना जा रहा । मृत्यु प्रमाणपत्र में मृत्यु का स्थान तो लिखा है लेकिन कारण का कोई उल्लेख नहीं है। एक छोटे बच्चे के साथ विभागों के चक्कर लगा रही है मगर तीन महीने बाद भी कोई मदद नहीं मिली है। न ही कोई उन्हें कोई आर्थिक लाभ मिल रहा।
मेरा जीवन उजड़ सा गया है
पीड़ित महिला रानू मालवीय ने बताया कि मेरे परिवार में मेरा छोटा सा बच्चा 8 वर्ष का पुत्र है, हम किराये के घर मे रह कर गुजर बसर करते है पति के असमय निधन के बाद अब न तो घर की कोई आय है और न ही कोई कमाने वाला, न ही मेरे परिवार में से किसी का कोई सहयोग मुझे मिल रहा है। मेरा जीवन उजड़ सा गया है। मृत्यु प्रमाणपत्र में कोरोना से मृत्यू नहीं लिखी होने की वजह से कोई भी योजनाओं का लाभ लेने में भी काफी दिक्कत आ रही है।
प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट व मंत्री कमल पटेल से लगाई गुहार
वहीं जिला अस्पताल में पहुंचे प्रभारी मंत्री श्री तुलसी सिलावट और कृषि मंत्री श्री कमल पटेल से आवेदन देकर गुहार लगाई है कि असमय परिवार के कमाने वाले कि मृत्यु होने से परिवार पर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। कृपया कर मेरे पति की मृत्यु को भी कोरोना में गिना जाकर मेरे पुत्र की पढ़ाई की व्यवस्था और आर्थिक मदद, मेरे परिवार के भरण पोषण और आवास का इंतजाम किया जावे। इसी आशा के साथ मंत्री से गुहार लगाई है।