जेवर-जमीन के मामले में आदिवासियों को कमल नाथ की तरह क्या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी देंगे धोखा ?
9 अगस्त 2019 को कमल नाथ ने कहा था आदिवासी विकासखंड में गिरवी रखे जेवर व जमीन वापस दिलायेंगे
15 अगस्त 2020 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साहूकारी अधिनियम कानून लाकर लाभ देने को कहा था
89 आदिवासी विकासखंडों की हकीकत, 300 रूपये के लिये मंगलसूत्र गिरवी रख चुकी है कुछ आदिवासी महिलाये
संपादक विवेक डेहरिया
सिवनी। गोंडवाना समय।
आदिवासी बाहुल्य मध्यप्रदेश में आदिवासी मतदाताओं को लुभावने वायदा कर सत्ता सुख भोगने वाले कुछ राजनैतिक संगठन सत्ता सरकार की कुर्सी हथिया तो लेते है लेकिन आदिवासी समाज के लिये हमेशा की तरह सत्ता संगठन के नेताओं का सफेद झूठ, चुनावी जुमले, मंचों से बोलकर छलने वाले भाषण आज भी थमने का नाम नहीं ले रहे है। कार्यक्रमों में कोराना के कारण भीड़ कम दिख रही है नहीं तो मध्य प्रदेश में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में सत्ता-संगठन के कार्यक्रमों में सर्वाधिक संख्या भीड़ के रूप में आदिवासियों की ही नजर आती है। कार्यक्रमों में उन्हें लाने के लिये पूरी सुविधायें दी जाती है और वहां पर मंचों से आदिवासियों के लिये लाभकारी योजनाओं की घोषणा भी बेधड़क कर दी जाती है लेकिन उन्हें अमलीजामा कहां तक पहुंचाया जाता है। शासन की कार्यप्रणाली इन्हें कहां तक क्रियान्वित करती है यह तो कार्यालयों में चक्कर काटने के बाद ही आदिवासियों को मालूम होता है कि नेता जी ने तो मंच पर भाषण देकर घोषणा किये थे उसके आदेश तो कार्यालय के साहब के पास अभी तक नहीं आये है और अक्सर अधिकारी भी मुस्कराते हुये कहते है कि मंच पर तो भाषण में कई घोषणायें हो जाती है।
कमल नाथ, आदिवासियों को 1 तोला सोना न ही 1 इंच जमीन दिला पाये वापस
ऐसी ही घोषणा 9 अगस्त 2019 को विश्व आदिवासी दिवस पर पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने अपने ही गृह जिले में छिंदवाड़ा में आयोजित कार्यक्रम में आदिवासियों के लिये घोषणा की थी कि मध्य प्रदेश के समस्त 89 आदिवासी विकासखंड में जिस किसी भी आदिवासी परिवार के जेवर व जमीन गिरवी रखा गया है उन्हें वापस दिलाया जायेगा। इसके लिये उन्होंने तो यहां तक कहा था कि इससे लगभग डेढ़ करोड़ आदिवासियों को लाभ मिलेगा। इससे यह तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि मध्य में आदिवासी कर्जदारों की संख्या कितनी है और उनकी आर्थिक स्थिति क्या व कैसी है। वहीं 9 अगस्त 2019 की घोषणा के बाद आदिवासी विकासखंड में साहूकारी का कार्य करने वालों का संगठन तैयार हो गया और आनन-फानन में मुख्यमंत्री कमल नाथ के कार्यकाल में आपात बैठक रखी गई। जिसमें हम आपको बता दे कि सिवनी जिले सहित मध्य प्रदेश के अनेक जिलों के विशेषकर ज्वेलर्स प्रतिष्ठान के संचालक शामिल हुये थे।
उसके बाद से ही पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ की आदिवासियों के लिये की गई घोषणा पूरी नहीं हो पाने का अंदेशा उठाया जाने लगा था। इसके बाद भी कमल नाथ सरकार ने इस संबंध में बकायदा सर्वे भी करवाया आॅनलॉइन फार्म भी कर्जदारों से भरवाया था। इसके बाद भी पूर्व मुख्यमंत्री और उनके शासन प्रशासन के अधिकारी 1 भी आदिवासी को न तो 1 तौला सोना वापस दिला पाये थे और न ही 1 इंच जमीन वापस दिला पाये। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने साहूकारी अधिनियम को विधानसभा से पारित करवाकर गृह मंत्री से लेकर महामहिम राष्ट्रपति की ओर भी प्रेषित किया था लेकिन उनके मुख्यमंत्री रहते किसी भी आदिवासी को लाभ नहीं मिल पाया।
15 अगस्त 2020 तक दिया गया ऋण भी शून्य हो जायेगा
वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी सत्ता की कुर्सी संभालने के बाद मध्य प्रदेश में आदिवासियों को साहूकारों के चंगुल से बचाने के लिए 15 अगस्त 2020 को स्वतंत्रता दिवस पर अपनी घोषणा में 89 आदिवासी विकासखंड के आदिवासियों को साहूकारों के चुंगल से बचाने के लिये आदिवासियों के हक व हित में घोषणा तो किया था ही इसके बाद उन्होंने कई बार बैठकों में भी इस संबंध दिशा निर्देश दिये थे।
इसके बाद 23 दिसंबर 2020 को आदिम जाति मंत्रणा परिषद की वीडियो कान्फ्रेंस द्वारा मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बैठक में विभागीय मंत्री एवं परिषद की उपाध्यक्ष सुश्री मीना सिंह, परिषद के सदस्यों में वन मंत्री श्री विजय शाह, विधायक श्री अमर सिंह, श्री कुंवर सिंह टेकाम, श्री शरद कौल, श्री जयसिंह मरावी, श्रीमती नंदिनी मरावी, श्री पहाड़ सिंह कन्नौजे, श्री दिलीप मकवाना, डॉ. रूपनारायण, श्री राम दांगेरे, श्री कालूसिंह मुजाल्दा आदि की उपस्थिति में कहा था कि जनजातीय वर्ग सहित वो लोग जो विकास में सबसे पीछे और सबसे नीचे हैं उनका कल्याण राज्य सरकार की प्रतिबद्धता है। सरकारी खजाने पर भी पहला हक इन वर्गों का ही है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि जनजाति वर्ग की परंपराओं, जीवन मूल्यों और उनकी संस्कृति को कायम रखते हुए उनकी समग्र प्रगति के प्रयास बढ़ाये जाएंगे।
जनजातीय वर्ग को साहूकारों से भारी-भरकम ब्याज वाले कर्ज से बचाने के लिए मध्यप्रदेश अनुसूचित जनजाति साहूकार विनियम-1972 में संशोधन की पहल की गई। मध्यप्रदेश अनुसूचित जनजाति ऋण विमुक्ति विधेयक-2020 के माध्यम से साहूकारी का लायसेंस अनिवार्य कर ऐसे साहूकारों से भी ऋण की व्यवस्था का प्रावधान और नियम विरुद्ध दिए गए ऋण माफ करने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। ऋण विमुक्ति विधेयक राज्य के 89 आदिवासी बहुल विकासखंड में लागू होगा।
यहां अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्ति द्वारा गैर लाइसेंसी साहूकार से 15 अगस्त 2020 तक लिया गया कर्ज नहीं चुकाना होगा। हालांकि आदिवासी विकासखंडों में साहूकारों की सुविधा के लिये शिवराज सरकार ने रास्ता भी निकाला था जिसके तहत बिना लाइसेंस लेन-देन पर प्रतिबंध रहेगा, राज्य सरकार ब्याज की दरें तय करेगी, लाइसेंस लेने की व्यवस्था को सरल बनाया जाएगा, यदि कोई पंचायत साहूकारी की इजाजत नहीं देगी तो लाइसेंस नहीं दिया जाएगा। वहीं अब 15 अगस्त 2021 आने को है मुख्यमत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा को एक वर्ष होने वाला है लेकिन उनकी घोषणा का कितने आदिवासियों को लाभ मिला है इस संबंध में शिवराज सरकार अधिकृत आंकड़े आने वाली 15 अगस्त 2021 को जारी करेगी या फिर कमल नाथ सरकार की तरह उनकी घोषणा भी अधूरी रह जायेगी।