ज्ञानोदय स्कूल के संचालक संतोष चौबे ने मानव अधिकार आयोग में हूं बताकर आदिवासी डॉक्टर को कहा पिछवाड़े में घुस जायेगी डॉक्टरी, बतमीज
संतोष चौबे ने आदिवासी छात्रा की मार्कसीट व टीसी के संबंध में मोबाईल पर चर्चा करने के दौरान आदिवासी डॉक्टर को दी धमकी
देश भर में डॉक्टर का हो रहा सम्मान, ज्ञानोदय स्कूल का संचालक कर रहा अपमान
दैनिक गोेंडवाना समय अखबार में हमेशा शब्दों की गरीमा का ध्यान रखता है लेकिन आज परिस्थिति ऐसी निर्मित हो गई है कि गोंडवाना समय समाचार पत्र में डॉक्टर के विषय की गई टिप्पणी को हुबहु हैडिंग व शब्दावली का प्रयोग करना पड़ रहा है क्योंकि ये शब्द ये शिक्षा के मंदिर का संचालन करने वाले संचालक है। कोरोना महामारी के दौरान डॉक्टर का सम्मान पूरे देश भर में किया जा रहा है हालांकि डॉक्टर को भगवान को रूप दिया जाता है। कोरोना महामारी के समय डॉक्टरों ने विशेष भूमिका अपना कर्तव्य निभाया है। वहीं इस दौरान डॉक्टरों के सम्मान में अनेकों स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किये गये है। डॉक्टर को जहां सम्मान की नजर देखा जाता है लेकिन वहीं सिवनी जिले में फर्जी रूप से अपने आप को मानव अधिकार आयोग का हूं बताते हुये एमबीबीएस डॉक्टर के लिये और डॉक्टरी पेशा को लेकर जिस तरह से शब्दों का प्रयोग ज्ञानोदय पब्लिक स्कूल के संचालक द्वारा किया गया है वह सिर्फ किसी एक डॉक्टर का ही अपमान नहीं है वरन समस्त डॉक्टरों के लिये प्रयोग करते हुये, डॉक्टरी पिछवाड़े में घुस जायेगी, बतमीज शब्दों का प्रयोग किया जाकर अपमानित किया गया है।
सिवनी। गोंडवाना समय।
निजी स्कूल के संचालकों के द्वारा जहां अपनी समस्याओं को लेकर शासन, प्रशासन, सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिये पेनडाऊन, ज्ञापन के माध्यम से समाधान हेतु प्रयास किया जा रहा है। कोरोनाकाल े दौरान निजी स्कूल संचालकों की जायज मांगों व अधिकारों के लिये बात रखा जाना भी आवश्यक है।
वहीं दूसरी ओर सिवनी मुख्यालय में ज्ञानोदय पब्लिक स्कूल के संचालक सम्माननीय आदरणीय संतोष चौबे द्वारा आदिवासी छात्रा की अंकसूची व टी सी के संबंध में चर्चा करने वाले आदिवासी डॉक्टर अनुप कुशराम से मोबाईल में चर्चा करने के उपरांत अपने आप को मानव अधिकार का सदस्य हूं बताते हुये पिछवाड़े में डॉक्टरी घुस जायेगी, बतमीज जैसे शब्दावली का प्रयोग करने से अनुमान लगाया जा सकता है कि ज्ञानोदय पब्लिक स्कूल के संचालक सम्माननीय आदरणीय श्री संतोष चौबे जब कभी स्कूल में बच्चों को शैक्षणिक ज्ञान देते होंगे क्या पढ़ाते होंगे या किस तरह का ज्ञान देते होंगे।
आदिवासी छात्रा के पिता नहीं है मां करती है मजदूरी
नहीं है संतोष चौबे मानव अधिकार के सदस्य फिर भी बताकर दे रहे धमकी
हम आपको बता दे कि मानव अधिकार के सदस्य के रूप में शासन प्रशासन के उच्चाधिकारियों से मित्रता और करीबी बनकर लाभ उठाने, धमकाने के मामले में ज्ञानोदय पब्लिक स्कूल के संचालक सम्माननीय आदरणीय श्रीमान संतोष चौबे की प्रसिद्धि हमेशा सुर्खियों में रही है। यहां तक कि राजनैतिक नेताओं से भी उनके संबंध मधुर उनके हमेशा हौंसला बुलंद करते रहे है।
अब यदि सरकार, शासन और प्रशासन का साथ संरक्षण यदि किसी को मिल जाये तो वह उसका अधिकार क्षेत्र बढ़ जाता है फिर वह अपने मानवीय अधिकारों को भी भूलकर मनमानी करने की छूट समझकर बेखौफ होकर अपने हौंसले को बुलंद कर लेता है। यही कारण रहा है कि हमेशा उच्चाधिकारियों व सरकार व राजनैतिक नेताओं ने कुछ लोगों को संरक्षण देकर बढ़ावा देते रहे है, ऐसी ही मनमानी करने की छूट अपने आप को मानव अधिकार का सदस्य बताकर धमकी देने वाले सम्माननीय आदरणीय संतोष चौबे को मिलती रही है।
आदिवासी डॉक्टर अनुप कुशराम के साथ उनकी भांजी की टीसी व अंकसूची को लेकर हुई चर्चा में मोबाईल फोन पर सम्माननीय आदरणीय संतोष चौबे अपने आप को मानव अधिकार का सदस्य बता रहे है। जबकि वे मानव अधिकार के सदस्य है ही नहीं, उन्हें बहुत पहले हटा दिया गया है।
फर्जी मानव अधिकार वाले कर्ता धर्ता पर रोक लगाये प्रशासन
देखा जा रहा है कि सम्माननीय आदरणीय संतोष चौबे जिस तरह से मानव अधिकार का सदस्य न होने के बाद भी अपने आप को मानव अधिकार का सदस्य बताकर धमकी दे रहे है। इस तरह के फर्जी मानव अधिकार सदस्य बताने वाले लोगों पर प्रशासन को कार्यवाही करना चाहिये अन्यथा जिनको नहीं मालूम उन्हें तो ये मानव अधिकार का पाठ पढ़ा देते होंगे। वहीं मानव अधिकार का सदस्य तो सम्माननीय आदरणीय संतोष चौबे अपने आप को बता रहे है लेकिन आदिवासी डॉक्टर से चर्चा करने के दौरान जिस तरह की भाषा और शब्दावली का उपयोग उनके द्वारा किया जा रहा है, उससे ऐसा लगता है कि गुण्डाटैक्स की वसूली करने के लिये धमका रहे है। इन पर प्रशासन का शिकंजा नहीं कसने के कारण इनके हौंसले बुलंद होते जाते है।
संतोष चौबे महिला अफसर के मामले में रहे विवादित
हम आपको बता दे कि मानव अधिकार आयोग के सदस्य के रूप में श्री संतोष चौबे ने अपनी पहचान भले ही मानव अधिकार के लिये कार्य करने की छबी न बनाई हो परंतु अफसरों से जुगलबंदी, राजनैतिक संरक्षण का सहारा लेकर कलेक्टर से करीबी बनाकर कलेक्ट्रेट कार्यालय में मानव अधिकार आयोग के कार्यालय नहीं वरन दुकानदारी चलाने के रूप में और महिला अफसर के लिये ओछे कमेंट लिखने के मामले में पुलिस थाना में अपना रिकार्ड दर्ज कराकर पहचान बनाने में फैमश रहे है। यहां तक कि उन्हें मानव अधिकार आयोग के सदस्य से हटा दिया गया है लेकिन उसके बाद भी मानव अधिकार आयोग का हूं बताकर धमकाने का शौक उनका छूट नहीं रहा है।
अब नहीं हूं मैं मानव अधिकार का सदस्य, जुबान फिसल गई थी
वहीं जब इस संबंध में ज्ञानोदय पब्लिक स्कूल के संचालक श्री संतोष चौबे से गोंडवाना समय द्वारा चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि आदिवासी छात्रा के मामा डॉक्टर को स्कूल टाईम पर फोन करना चाहिये। वहीं जब उनसे पूछा गया कि आप अभी मानव अधिकार आयोग में सदस्य हो क्या तो उन्होंने कहा कि मानव अधिकार आयोग का सदस्य मैं अब नहीं हूं, मेरी जुबान फिसल गई थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि स्कूल संचालक होने के साथ साथ मेरी निजता व एकांत का अधिकार भी है मुझे, स्कूल टाईम पर बात करना चाहिये उसके अलावा किसी भी समय रात फोन लगाकर पूछताछ करना क्या ये उचित है।
मेरी ढपली मेरा राग वाली बात है।
ReplyDeleteसभी उमीदवार ध्यान देंगे की UP Roadways में samvida conductor की नयी भर्तियाँ आई है जिसमे online form नीचे दिया हुआ है UPSRTC संविदा परिचालक भर्ती 2021
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