28 जुलाई को मुख्यमंत्री आवास का घेराव कर 27 प्रतिशत आरक्षण लेकर रहेगी ओबीसी महासभा
सिवनी। गोंडवाना समय।
दिन पर दिन ओबीसी वर्ग की उपेक्षा, पक्षपात और अन्याय से उद्वेलित होकर आखिरकार ओबीसी महासभा को उग्र आँदोलन की राह पकड़नी ही पड़ रही है। महासभा को उम्मीद थी कि ओबीसी वर्ग के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री समाज के दुख-दर्द को समझते होंगे और वे उनके समाधान के ठोस उपाय करेंगे लेकिन लगता है कि सत्ता के मद-मजबूरी और राजनीति के गुबार में सब कुछ समा गया और ओबीसी समाज के पास सिर्फ फड़फड़ाने के अलावा कुछ नहीं बचा है।
सुप्रीम कोर्ट, जहाँ गत माह महाराष्ट्र सरकार दो बार आहत हुई है
ओबीसी समाज एक न्यायप्रिय समाज है उसे माननीय न्यायालय से बड़ी उम्मीद रहती है मगर 13 जुलाई को वह उम्मीद भी धूल-धूसरित हो गई, जब माननीय जबलपुर हाईकोर्ट ने यह कहा कि ''पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 51 प्रतिशत है, हम मानते हैं लेकिन 14% से अधिक आरक्षण नहीं दे सकते।'' न्याय के मंदिर से इस तरह कुठाराघात की उम्मीद किसी को नहीं थी। कुठाराघात की इंतिहा तो तब हो गई जब पिछड़ा वर्ग की किरार जाति से आने वाले प्रदेश के मुखिया श्री शिवराज सिंह चौहान ने यह कहते हैं कि ''मामले को हम सुप्रीम कोर्ट में लेकर जायेंगे।'' सुप्रीम कोर्ट, जहाँ गत माह महाराष्ट्र सरकार दो बार आहत हुई है जब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया कि हम मराठों को और ओबीसी वर्ग को ज्यादा आरक्षण नहीं दे सकते क्योंकि वह 50 प्रतिशत से ज्यादा हो जाता है। ऐसी दशा में क्या शिवराज सिंह वहां ले जाकर मध्यप्रदेश के ओबीसी समाज को 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण दिलवा सकते हैं ? कदापि नहीं।
ओबीसी वर्ग को न्याय मिलेगा तो सिर्फ व्यवस्थापिका से मिलेगा
उक्ताशय का दर्द बयां करते हुए ओबीसी महासभा जिला संयोजक व प्रदेश प्रवक्ता श्री लोकेश साहू ने कहा कि ओबीसी न्याय के लिए कोर्ट से कोई उम्मीद करना बेमानी होगी। ओबीसी वर्ग को न्याय मिलेगा तो सिर्फ व्यवस्थापिका से मिलेगा। विधानसभा और संसद में पक्ष-विपक्ष दोनों की सहमति से ओबीसी वर्ग की जनगणना कराने और जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व स्पष्ट व मजबूत कानून बनाने से मिलेगा।
ओबीसी वर्ग इसी उम्मीद से आपको सत्ता में बैठाता है न कि फाइल इधर-उधर करने के लिए
श्री लोकेश साहू ने कहा कि ओबीसी वर्ग इसी उम्मीद से आपको सत्ता में बैठाता है न कि फाइल इधर-उधर करने के लिए। यही संदेश देने और रोजगार प्राप्ति के नजदीक पहुँच चुके हजारों युवकों को न्याय दिलाने ओबीसी महासभा कोर कमेटी द्वारा 28 जुलाई को भोपाल में मुख्यमंत्री आवास और विधानसभा का घेराव करने और बिना पुख्ता आदेश लिए वापस न आने का उद्घोष किया गया है। महासभा द्वारा पीड़ित अभ्यर्थियों और बेरोजगारों तथा ओबीसी नेताओं से इस तारीख को भोपाल पहुँचकर घेराव कार्यक्रम में शामिल होने की अपील की गई है। वहीं ओबीसी हितों के लिए कार्य कर रहे तमाम जातीय सामाजिक संगठनों से इस आंदोलन को अपना समर्थन व सहयोग देने का आह्वान भी किया गया है।
इस फैसले से हजारों युवाओं के सपने चकनाचूर हो गए हैं
उल्लेखनीय है कि कि जिन प्रतियोगी परीक्षाओं में रिजल्ट 27 प्रतिशत आरक्षण के हिसाब से बन चुका उनमें भी सिर्फ 14 प्रतिशत को नियुक्ति दी जाये और 13 प्रतिशत को आगामी फैसले तक होल्ड रखा जाये। इन 13 प्रतिशत को बाद में नियुक्ति दी जायेगी तो क्या 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के पक्ष में फैसला होने वाला है ? जिसकी प्रत्याशा में इन 13 प्रतिशत युवाओं को तनाव, आर्थिक बदहाली और सामाजिक ितरस्कार के बीच जीवन जीने कहा जा रहा है ? विज्ञप्ति में श्री लोकेश साहू ने बताया कि शिक्षक चयन प्रक्रिया बीते 3 सालों से चल रही है। हजारों युवाओं को शिक्षक संवर्ग में नियुक्ति मिलने वाली है ऐसे में कोर्ट के इस फैसले से हजारों युवाओं के सपने चकनाचूर हो गए हैं। इसी तरह कई अन्य विभागों में प्रक्रिया नियुक्ति के नजदीक पहुँच चुकी है।