रातों की रोशनी चांद रतन हो आपका।
सूरज की तेज किरणों के समान उजाला है आपका।
मंजिल की हर राहों में वतन हो आपका।
यूं ही करते रहो मानव सेवा, यही धर्म है आपका।
आपकी रगों में हिंदुस्तानी खून है आपका।
सूरज की तेज किरणों जैसा उजाला है आपका।
हर कठिन रास्तों से गुजरे हुए सफलता का रहस्य है आपका।
वृक्ष की छाया और शुद्ध हवा जैसा कार्य है आपका।
निर्मल दूध के समान मन में भाव है आपका।
स्वच्छ जल के समान सेवा भाव है आपका।
फूलों के बगीचों के समान सभी मरीजों के लिए,
माली जैसा सेवा भाव का कार्य है आपका।
यूं ही करते रहो मानव सेवा, देशभक्ति,
क्योंकि यही रगों में सेवा भाव है आपका।
दिन-रात लगन से मरीजों की सेवा करते रहने का यही स्वभाव है आपका।
दुख दर्द झेलते हुए भी लोगों की सुनते हुए भी,
निरंतर कार्य करते रहना यही सेवा भाव है आपका।
निरंतर यूं ही सेवा में लगे रहना यही धर्म है आपका।
सबकी सुनकर फिर उन्हीं की सेवा करना यही धर्म है आपका।
क्योंकि शुद्ध हवा जल और दूध के समान स्वच्छ मन में भाव है आपका।
यूं ही करते रहो मानव सेवा यही धर्म है आपका।
ना जाने कितनों की जिंदगी बचा कर,
स्वयं की जिंदगी खतरे में डालकर,
कार्य करना यही तो सेवा भाव है आपका।
शिक्षा से सफलता का दर्शन करके इस पद पर,
विराजमान हो, यहीं मेहनत का प्रतिफल है आपका।
करते हैं दुआ सलाम आपकी जिंदगी के लिए,
सुखमय जीवन और सुखी परिवार हो आपका।
नौ देवियों के जैसा स्वरूप है आपका।
रानी लक्ष्मीबाई जैसा स्वरूप है,
आप करते रहो यूं ही कर्म मानव धर्म है आपका।
प्रकृति के पंच तत्व जैसा मानव सेवा में सहयोग है आपका।