निरस्त कर नए सिरे से बनाया जाए रिजल्ट-नरेन्द्र शरणागत
वारासिवनी। गोंडवाना समय।जैसे ही छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी ने एलएलबी फस्ट सेमेस्टर का रिजल्ट घोषित किया तब से ही शासकीय एसएसपी महाविद्यालय वारासिवनी जिला बालाघाट के विधि संकाय के छात्र छात्राओं में नाराजगी व्याप्त है और सब छात्र छात्राएं रिजल्ट देखकर हैरान है। जिस स्टूडेंट्स ने फस्ट सेमेस्टर टॉप किया उसे यहाँ के स्टूडेंट्स जानते तक नही है। उक्त मामला शासकीय शंकर शाव पटेल महाविद्यालय का है जहाँ ऐसी लापरवाही बरती गई है।
सीसीई में बेहद ही कम अंक दिए गए
यह मामला महाविद्यालय एनएसयूआई अध्यक्ष नरेंद्र शरणागत ने उठाते हुए महाविद्यालय पर आरोप लगाया कि यहां एलएलबी के रिजल्ट में शिक्षकों द्वारा भारी लापरवाही की गई है। जिसमें जो स्टूडेंट्स इस कोरोना महामारी के प्रकोप के बीच हर दिन महाविद्यालय आकर क्लास लगाते थे उन्हें ही आंतरिक मूल्यांकन यानि सीसीई में बेहद ही कम अंक दिए गए है। वहीं कम अंक मिलने की वजह से उनके प्रतिशत में भारी कमी आयी है। जिससे विधि संकाय के सभी नियमित छात्र छात्राओं में महाविद्यालय प्रशासन के खिलाफ भारी आक्रोश व्याप्त है।
इंटरनल मार्क्स के आधार पर ही बनाया गया रिजल्ट
एलएलबी फस्ट सेमेस्टर का रिजल्ट छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी द्वारा बीते दिन घोषित किया गया। जिसमें आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर रिजल्ट बनाया गया है। नरेंद्र शरणागत द्वारा जब यूनिवर्सिटी से इस विषय पर चर्चा की गई तो यूनिवर्सिटी द्वारा बताया गया कि इंटरनल मार्क्स के आधार पर ही रिजल्ट बनाया गया है। जिसमे सीसीई के अंक जो महाविद्यालय द्वारा भरे गए है उनका ही अहम रोल है। उक्त मामले में आगे श्री नरेन्द्र शरणागत द्वारा बताया गया कि आंतरिक मूल्यांकन में अंक सिर्फ चेहरा देखकर व परिचित लोगो को ज्यादा अंक दिया गया है जिसका हम विरोध करते है।
जो स्टूडेंट्स कभी कॉलेज तक नहीं आये उन्होंने महाविद्यालय में टॉप कर लिया
महाविद्यालय प्रशासन से मांग करते है कि रिजल्ट निरस्त कर फिर से सभी छात्र छात्राओं का रिजल्ट नए सिरे से बनाये जाए यही छात्र हित में होगा। लापरवाही कुछ इस प्रकार हुई जो स्टूडेंट्स हर दिन महाविद्यालय आ रहे थे उन्हें ही नहीं मिले अच्छे अंक, साथ ही जो स्टूडेंट्स कभी कॉलेज तक नहीं आये उन्होंने महाविद्यालय में टॉप कर लिया है। अब यह किसकी मेहरबानी से हुआ है यह तो पता चलना बाकी है। किसके कहने पर आंतरिक अंक बढ़ाये गए है, यह सामने आना बाकी है। उक्त मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों के ऊपर कार्यवाही हो । अगर हालात सामान्य होते तो एनएसयूआई इस मामले को लेकर धरना प्रदर्शन करती परन्तु कोविड के चलते हम ऐसा नही कर सकते है।