के जी सेंगर ने छपारा तहसील में आदिवासियों का शोषण करने पुन: लिया प्रवेश
क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियोें के संरक्षण में आदिवासी व किसानों को उलझाने में माहिर हैं के जी सेंगर
सिवनी। गोंडवाना समय।
आदिवासी विकास खंड छपारा तहसील कार्यालय में शिक्षा विभाग से लिपिक के जी सेंगर ने तहसील में आवक-जावक शाखा का प्रभार ले लिया है। छपारा तहसील में आदिवासी समाज के किसान व ग्रामीण जिनका काम तहसील छपारा से संबंधित रहता है वे के जी सेंगर की छपारा तहसील में वापसी के बाद से फिर चर्चा कर यह कहने लगे हैं कि छपारा तहसील में अब फिर लूट शूरू हो जायेगी इसी कारण के जी सेंगर को तहसील कार्यालय में पदस्थ किया गया है।
साहब के हिसाब का वर्षों का अनुभव है के जी सेंगर के पास
छपारा तहसील कार्यालय में के जी सेंगर को सिर्फ आवक-जावक का कार्य कराने के लिए ही शिक्षा विभाग से लाया गया है। इसके पीछे राजस्व प्रकरणों में छपारा तहसील में चक्कर लगाने वाले कुछ पीड़ितों का कहना है कि के जी सेंगर साहब के पास बड़ेसाहब तक हिसाब आवक-जावक के रूप में हुनर के साथ कई वर्षों का अनुभव है इसलिए इन्हें छपारा तहसील के बड़े साहब भी छोड़ना नहीं चाहते हैं। छपारा तहसील में सबसे ज्यादा आदिवासी किसान व ग्रामीण अपनी समस्याओं का समाधान पाने के लिए परेशान होते हुए दिखाई देते हैं। आदिवासियों को सबसे ज्यादा परेशान भी किया जाता है।
आदिवासी प्रताड़ित होने को मजबूर
शिक्षा विभाग के लिपिक के जी सेंगर तहसील कार्यालय छपारा में आवक-जावक शाखा के नाम पर आदिवासियों को प्रताड़ित करने व उनका आर्थिक शोषण करने के लिए पुन: प्रवेश कर लिया है। आदिवासी ग्रामीण व किसानों को राजस्व के मामलों को उलझाने व सुलझााने में इनकी महत्वपूर्णं भूमिका रहती है। इसी आधार पर शिक्षा विभाग के लिपिक के जी सेंगर तहसील कार्यालय में जुगाड़ जमाकर, राजनैतिक सांठ-गाठ से छपारा तहसील में वर्षों से आदिवासियों का शोषण करने में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं और इनका साथ कुछ क्षेत्रीय जन प्रतिनिधि भी के जी सेंगर को संरक्षण देकर बढ़ावा दे रहे हैं। छपारा तहसील में आदिवासी ग्रामीण व किसान अपने साथ हो रहे आर्थिक शोषण व राजस्व के मामलों में बिना किसी कारण के ही प्रताड़ित होने को मजबूर हैं।