संयुक्त राष्ट्र संघ पर आदिवासी भाषा को लेकर एशिया का प्रतिनिधित्व करेंगे आदिवासी एकता परिषद के डॉ. आनेबल बेंजामिन बारा
आदिवासी भाषा से ही आदिवासी समुदाय की पहचान होती है
नई दिल्ली। गोडवाना समय।
संयुक्त राष्ट्र संघ शैक्षिक वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन यूनेस्कों के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी भाषाओं के दशक 2022-2032 के वैश्विक कार्य के बल के लिए एशिया महाद्वीप से डा. आनबेल बेंजामिन बारा का चयन हुआ। डॉ. आनबेल बेंजामिन बारा ने एक्सएलआरआई जमशेदपुर से अपनी पीएचडी की पढ़ाई पूरी की है और वर्तमान में वे भारतीय सामाजिक संस्थान नई दिल्ली में आदिवासी मुद्दों पर शोध करते हैं।
2022-2032 अंतराष्ट्रीय भाषा दशक के रूप घोषित
संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2019 को आदिवासी भाषाओं का अंतरराष्ट्रीय भाषा घोषित किया था लेकिन आदिवासी भाषाओं को विलुप्त होने की दर को देखते हुए 18 सितंबर 2019 को संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा ने 2022-2032 को अंतरराष्ट्रीय भाषा को दशक के रूप में घोषित करने का संकल्प अपनाया। इसको धरातल पर लागू करने के लिए संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को प्रमुख एजेंसी के रूप में काम करेगा।
आदिवासी भाषाओं की गतिविधियों के समन्वयक चयनित
डॉ बेंजामिन बारा को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा एशिया में आदिवासी भाषाओं से संबंधित गतिविधियों को समन्वयक के लिए चयनित किया गया है, उन्होंने कई बार भारत के आदिवासियों के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संघ व अन्य अंतरराष्ट्रीय पटल पर रखा है, उसे बचाने के लिए हर इंसान को व्यक्तिगत रूप से अपना योगदान देना होगा, आदिवासी भाषा में छुपी हुई परंपरा ज्ञान अद्भुत जीवन में जीने की शैली, वह आज भी सामान्य रूप से कोसों दूर है। आदिवासी भाषा से ही आदिवासी समुदाय की पहचान होती है। भारत में ही सरकार द्वारा 705 मान्यता प्राप्त अनुसूचित जनजाति अलग भाषा और संस्कृति है।