74 दिन के रिकार्ड को किसान आंदोलन ने 3 महिने पूर्ण कर तोड़ा, 3 कृषि बिल के विरोध में आगे भी रखेंगे जारी
सिवनी जिले के इतिहास में इतने लंबे समय तक चलने की ओर बढ़ रहा किसान आंदोलन
महामहिम राष्ट्रपति के नाम 3 महिने से कलेक्टर को सौंप रहे ज्ञापन, आज नहीं मिला कोई जवाब
सिवनी। गोंडवाना समय।
किसान विरोधी काले कानून व न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून बनाये जाने सिवनी जिले के मक्का उत्पादक किसानों को अपनी उपज मक्का के विक्रय में हुए नुकसान की भरपाई की मांग को लेकर सिवनी जिले के अंबेडकर चौक बाबा साहब प्रतिमा स्थल के सामने धरना आंदोलन के 3 माह पूर्ण हो चुके है। आंदोलनकारियों की ओर से प्रतिदिन जिला कलेक्टर के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया जाता है किन्तु इसे लोकतंत्र में भारी कुठाराघात कहां जाए तो भी अतिश्योक्ति नहीं होगी उक्त आरोप आंदोलनकारियों की ओर से मीडिया प्रभारी राजेश पटेल ने बताया कि आज दिनांक तक महामहिम राष्ट्रपति जी के कार्यालय से प्रतिउत्तर में कोई जबाब वापस नहीं मिला।
किसान भी कर रहे अब आंदोलन की बात
आंदोलन का असर यह रहा कि भाजपा के छुटभैये नेता विधायक, सांसद जनप्रतिनिधि जो किसानों को बिल की झूठी खामियां बता कर किसानों को गुमराह करते थे, अब किसान सुनते ही सब समझ व जान रहा है और किसान भी अब आंदोलन की बात करने लगा है। किसानों के आंदोलन में संख्या बल पर आंदोलनरत साथियों ने ध्यान नहीं दिया लेकिन अब किसानों की फसल पक कर घर आते ही आंदोलन स्थल पर संख्या बल बढ़ाया जाएगा। गाँव-गाँव के किसान आंदोलन की खोज खबर लेते रहते है, सोशल मीडिया के माध्यम से खबरे प्रसारित की जाती है। आंदोलकारियों की ओर से प्रयास किया गया है कि किसानों तक समाचार पहुँचते रहे, जिसका सफल परिणाम 26 जनवरी की गणतंत्र तिरंगा यात्रा की सफलता व अब 24 मार्च को होने वाली किसानों की महापंचायत की उत्सुकता बतला रही है।
24 मार्च के किसान महापंचायत को सफल बनाने की अपील
किसानों भी हक अधिकार की बाते समझ रहे है, सिवनी जिले के इतिहास में इतने लंबे समय तक चलने वाला यह पहला आंदोलन है। जानकारों का कहना है कि इसके पूर्व 74 दिन का आंदोलन सिवनी के इितहास के पन्नों पर दर्ज है, आंदोलन के संरक्षक राजेन्द्र जयसवाल सहित डी डी वासनिक ने 24 मार्च के किसान महापंचायत को सफल बनाने की अपील की है। आंदोलन रत साथियों में प्रमुख रूप से अधिवक्ता अहमद सईद कुरैशी, ओमप्रकाश बर्डे, किरण प्रकाश, पी आर इनवाती, अली एम आर खान, निभा कुम्हारे, रजनी गोखले, रघुवीर सिंह, हुकुम सनोडिया, यीशु प्रकाश, राहुल वासनिक राजेश सौलंकी, लक्ष्मी वासनिक, शकुन बाई, संगीता चक्रवर्ती, राखुराम चक्रवती, विशाल सुखदेवे, ऋषभ मासुरकर, संतोष ठाकुर आदि का नियमित रूप से सहयोग मिला है।