आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता पर जनसंवाद कार्यक्रम में बिना किसी राजनीतिक भेदभाव, संगठनों के बुद्धिजीवि, अधिकारी-कर्मचारी करें चर्चा
निवास विधायक व संरक्षक आदिवासी महापंचायत गढ़ा मण्डला डॉ अशोक मर्सकोले ने की अपील
भोपाल/सिवनी। गोंडवाना समय।
आदिवासी बाहुल्य मध्य प्रदेश की राजधानी के गांधी भवन सभागृह, श्यामला हिल्स पॉलिटेक्निक चौराहा के नजदीक भोपाल में 4 फरवरी 2021 को 11 बजे से शाम 5 बजे तक होने वाले आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता पर जनसंवाद कार्यक्रम में जनप्रतिनिधि, सामाजिक संघटनो के पदाधिकारी, अधिकारी और बुद्धिजीवियों मौजूद रहेंगे।
जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों और बुद्धिजीवियों को किया गया आमंत्रित
उक्त कार्यक्रम में शामिल होने वाले निवास विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ अशोक मर्सकोले व संरक्षक आदिवासी महापंचायत गढ़ा मण्डला ने जानकारी देते हुये बताया कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों की वैसे तो बहुत समस्याएं हैं, जैसे गरीबी, बेरोजगारी, पलायन, प्रताड़ना, चिकित्सा, अशिक्षा, शासकीय योजनाओं में क्रियान्वयन पर भ्रष्टाचारी पर उपरोक्त में से शिक्षा की गुणवत्ता पर जनसंवाद जिसमें आदिवासी समुदाय के सामाजिक संघटनो के पदाधिकारियों सभी पार्टियों के जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों और बुद्धिजीवियों को आमंत्रित किया गया है।
कॉलेजों की संख्या बढ़ाने की बजाय कम किया जा रहा है
आगे जानकारी देते हुये विधायक डॉ अशोक मर्सकोले व संरक्षक आदिवासी महापंचायत गढ़ा मण्डला ने बताया कि इस विषय पर चर्चा में शिक्षा विभाग के साथ ट्राइबल विभाग और आदिवासी क्षेत्रों में उनकी विभाग की कार्य, कर्त्तव्य जिम्मेदारी और गैर जिम्मेदारी का क्षेत्र पर प्रभाव के साथ सरकार की क्षेत्र और क्षेत्रवासियों के प्रति उदासीनता का परिणाम ही है कि व्यवस्था चरमरा सी गई सरकार लगातार उदासीन, तकनीक कौशल शिक्षा की बेहद कमी, उच्च शिक्षा में कॉलेजों में आधे से छात्रों को एडमिशन नहीं मिल पाता, कॉलेजों की संख्या बढ़ाने की बजाय कम किया जा रहा है, परिणाम की मजबूरन छात्र छात्राओं को बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ती है क्योंकि बाहर जाकर पढ़ने की स्थिति नहीं।
सरकारी स्कूल मजबूर, मजदूरों और गरीबों किसानों के होकर रह गए
आगे जानकारी देते हुये विधायक डॉ अशोक मर्सकोले व संरक्षक आदिवासी महापंचायत गढ़ा मण्डला ने बताया कि विशेषज्ञ शिक्षकों की बेहद कमी, कई प्राइमरी और मिडिल स्कूल शिक्षक विहीन है, रोड किनारे के स्कूलों में शिक्षकों की अधिकता परदूरस्थ में शिक्षकों की बेहद कमी अधिकारी मनमानी मनमर्जी पर, विशेषज्ञ शिक्षक और प्रिन्सिपल नहीं फिर गुणवत्ता का आधार क्या, शिक्षा की स्थिति सिर्फ साक्षरता के लिए, प्राइवेट स्कूलों के बच्चों से कॉम्पिटिशन कैसे संभव है, सरकारी स्कूल मजबूर, मजदूरों और गरीबों किसानों के होकर रह गए, सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को उच्च वेतन पर शिक्षा की गुणवत्ता कैसी है कहने की आवश्यकता नहीं है।
ट्राइबल सब प्लान बजट को अन्य विभागों में बांट दिया जाता है
आगे जानकारी देते हुये विधायक डॉ अशोक मर्सकोले व संरक्षक आदिवासी महापंचायत गढ़ा मण्डला ने बताया कि ट्राइबल विभाग के पास बड़ा फण्ड होने के बाद भी शिक्षा की गुणवत्ता हॉस्टल फैसिलिटी तकनीकी शिक्षा उच्च और कॉम्पिटेटिव कोर्स परीक्षाओ पर ध्यान नहीं है, ट्राइबल विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से योजनाओं को मूर्तरूप नहीं देकर ठेकेदारी दलाली हावी होकर पूरा बंदरबाट होता आया है। वहीं ट्राइबल सब प्लान बजट जो आदिवासी पिछड़े क्षेत्रों के लिए आता है उसको अन्य विभागों में बांट दिया जाता है, यदि इसका सही उपयोग होता तो आदिवासी क्षेत्रों में भी मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता होती, पर हर स्तर पर सरकारों ने भी पक्षपात किया और आदिवासियों का हक अन्य क्षेत्रों को दिया।
सरकार की अच्छी नीति का स्वागत और गलत नीतियों पर सब मिलकर क्षेत्र हित मे कैसे विरोध दर्ज कराए
आगे जानकारी देते हुये विधायक डॉ अशोक मर्सकोले व संरक्षक आदिवासी महापंचायत गढ़ा मण्डला ने बताया कि आजीविका मिशन का कार्य रिमोट एरिया पर न के बराबर होता है, सरकारी योजनाएं गरीबों के लिए नहीं क्योंकि बैंक लोन नहीं देती, बाहर पढ़ नहीं सकते फिर क्या करें। इस संबंध में विधायक डॉ अशोक मर्सकोले ने बड़े ही गहन चिंतन मनन के साथ कहा कि मुझे लगता है मनरेगा का मिट्टिमूलक कार्य रह गया है गरीब क्षेत्रों के लिए। इसलिये उन्होंने कहा कि आइये एक मत से बिना किसी राजनीतिक भेदभाव से सभी संघटनो के बुद्धिजीवियों से अधिकारी कर्मचारियों से चर्चा कर कैसे आदिवासी क्षेत्रों को उन्नत बना सकते हैं। सरकार की अच्छी नीति का स्वागत और गलत नीतियों पर सब मिलकर क्षेत्र हित मे कैसे विरोध दर्ज कराए इसके लिये सभी को इस संवाद में उपस्थिति की अपील करते हैं। आदिवासी महापंचायत और जयस सभी आदिवासी संघटनो से जुड़े पदाधिकारी, सभी पार्टियों के जनप्रतिनिधियों बुद्धिजीवियों से अपील करता है कि आप इस सार्थक पहल के साक्षी बने।