मासूम बालिका के साथ दरिंदगी करने वाले आरोपी को आजीवन कारावास
जघन्य एंव सनसनीखेज प्रकरण में माननीय न्यायालय ने सुनाया फैसला
आरोपी को कड़ी सजा देने एवं पीड़िता को प्रतिकर दिलाये जाने की रखी मांग
सिवनी। गोंडवाना समय।
पुलिस थाना उगली जिला सिवनी के अपराध क्रमांक 35/19, धारा 376, 376, भा.द.वि. एवं 5, 6 पाक्सो अधिनियम 2012 के अंतर्गत जघन्य एवं सनसनीखेज मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाये जाने के निर्णय के संबंध में जिला मीडिया प्रभारी अभियोजन सिवनी श्री मनोज सैयाम के द्वारा प्रकरण की सुनवाई के संबंध में विवरण देते हुये बताया कि 11 मार्च 2019 को शाम 5.30 बजे, आरोपी अंशुल गिरी गोस्वामी पिता सुरेश गिरी गोस्वामी, उम्र 19 वर्ष, पुलिस थाना उगली अंतर्गत निवासी के द्वारा मासूम पीड़िता उम्र 3 वर्ष 6 माह को गांव तरफ घुमाने के बहाने रोड तरफ लेकर गया था।
बच्ची के रोने की आवाज आने पर आरोपी अंशुल को हम्मालों ने पकड़ा
वहीं कुछ देर बाद गांव के स्कूल मैदान के सामने से जोर जोर से आवाज आने लगी तब पीड़िता की दादी एंव मां ने जाकर देखा तो स्कूल की परछी के धान के सब कंट्रोल में धान की ढुलाई कर रहे हम्मालो के द्वारा आरोपी अंशुल को पकड़े हुए थे और प्रार्थिया के नातिन को भी गोदी में उठाये हुए थे, पूछने पर एक हमाल ने बताया कि लगभग 5.30 बजे शाम को स्कूल के परछी के कोने तरफ से बच्ची के रोने की आवाज आ रही थी उन्होंने जाकर देखा तो आरोपी अंशुल निवस्त्र होकर बालिका के साथ गलत कार्य कर रहा था, जिसे उन लोगो ने पकड़ लिया।
आरोपी के विरूद्ध अभियोग पत्र माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया गया
उक्त घटना की रिपोर्ट पीड़िता की दादी के द्वारा लिखवायी गई थी। इस मामले को शासन के द्वारा जघन्य एंव सनसनी खेज की श्रेणी में रखा गया था एवं गंभीरता पूर्वक जांच करने एंव वरिष्ठ अधिकारी द्वारा निर्देश दिए गए थे। श्रीमान पुलिस अधिक्षक के मार्गदर्शन में उपनिरीक्षक श्री हेमंत बाबरिया द्वारा संवेदना पूर्ण तत्वरित एवं सबल साक्ष्य एकत्रित कर विवचेना की गई। वहीं आरोपी के विरूद्ध अभियोग पत्र माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था।
विशेष लोक अभियोजक सिवनी श्रीमती दीपा मर्सकोले ने विधि संगत तर्क प्रस्तुत किया
जिसकी सुनवाई माननीय विशेष न्यायाधीश (बालको का संरक्षण अधिनियम 2012), की न्यायालय में की गई। जिसमें शासन की ओर से श्रीमति दीपा मर्सकोले, विशेष लोक अभियोजक सिवनी के द्वारा गवाहो और सबूतो को प्रस्तुत किया गया। इसके साथ ही विधि संगत तर्क प्रस्तुत किया जाकर आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा देने एंव पीड़िता को प्रतिकर दिलाये जाने की मांग भी की गई।
जिसके आधार पर माननीय न्यायालय द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्य को दृष्टिगत रखते हुए आरोपी अंशुल गिरी गोस्वामी को उपरोक्त दण्डनीय धारा में से सर्वाधिक दंड प्रावधानित धारा-376 (ए) (बी) भा.द.वि. के अपराध में आजन्म कारावास जो कि प्राकृतिक जीवन काल के लिए होने एवं 1000 रुपए अर्थदण्ड दिये जाने का निर्णय 8 फरवरी 2021 को सुनाया गया है एवं पीड़िता को प्रतिकर दिलाये जाने की अनुशंसा की गई है।