पांचवी और छठवीं अनुसूची की बात करने लगे है आदिवासी तो उनको नक्सलवाद के चश्में से देखते है प्रदेश के कई मंत्री
बिना विधान सभा भंग किए नई टीएसी का कर लिया गठन जो कि संवैधानिक व्यवस्था है खिलाफ
आदिवासी समाज भुखमरी, कुपोषण, गरीबी, पलायन, विस्थापन जैसे गंभीर मुद्दों से जूझ रहा
आदिवासी क्षेत्रों के आंदोलन, संस्कृति, विकास के बारे में राज्यपाल ने रिपोर्ट में जिक्र तक नहीं किया
ग्राम सभा के अधिकारों की अनदेखी को देख रही मध्य प्रदेश की जनता
भोपाल/सिवनी। गोंडवाना समय।
मध्य प्रदेश विधानसभा में महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण पर 24 फरवरी 2021 को जयस के राष्ट्रीय संरक्षक व मनावर विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ हीराालाल अलावा द्वारा आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों, बेरोजगारी, विकास व अन्य विशेष मुद्दों को लेकर बेबाकी से अपनी बात सदन के समक्ष रखा।
राज्यपाल के अभिभाषण के विरोध में अपनी बात रखना चाहता हूँ
विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा सदन में अपनी बात रखते हुये मनावर विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ. हिरालाल अलावा ने कहा कि माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे सदन में बोलने का मौका दिया, उसके लिए मैं आपको तहेदिल से धन्यवाद देता हूँ, इसे साथ में आपका संरक्षण भी चाहता हूँ। हम पहली बार सदन में चुनकर आए हैं, हमें अपनी बात कभी-कभी सदन में रखने का मौका मिलता है। सभापति महोदय, मैं राज्यपाल महोदया के अभिभाषण के विरोध में अपनी बात रखना चाहता हूँ।
अफसोस की बात है कि राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में पाचवीं अनुसूची का जिक्र ही नहीं किया
विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा सदन में अपनी बात रखते हुये मनावर विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ. हिरालाल अलावा ने कहा कि बिन्दु क्रमांक 7 में राज्यपाल महोदया ने कहा है कि मेरी सरकार अंितम पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति के कल्याण के लिए समर्पित है। मध्यप्रदेश एक आदिवासी बाहुल्य प्रदेश है, यहां पर करीब पौने दो करोड़ आदिवासी निवास करते हैं। आज यह वर्ग भुखमरी, कुपोषण, गरीबी, पलायन, विस्थापन जैसे गंभीर मुद्दों से जूझ रहा है। इस वर्ग के कल्याण, उन्नति और विकास के लिए भारत के संविधान में पांचवी और छटवीं अनुसूची का प्रावधान किया गया है, अफसोस की बात है कि राज्यपाल महोदया ने अपने अभिभाषण में पाचवीं अनुसूची का जिक्र ही नहीं किया है।
आदिवासी क्षेत्रों की प्रशासनिक व्यवस्था के बारे में रिपोर्ट भेजेंगे
विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा सदन में अपनी बात रखते हुये मनावर विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ. हिरालाल अलावा ने आगे कहा कि पाचवीं अनुसूची के भाग क के पैरा 3 में यह कहा गया है कि आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में राज्यपाल महोदय प्रतिवर्ष या राष्ट्रपति महोदय जब चाहे तब आदिवासी क्षेत्रों की प्रशासनिक व्यवस्था के बारे में रिपोर्ट भेजेंगे। सदन को बताते हुए मुझे दुख हो रहा है कि आजादी के सात दशक बीतने के बाद भी आदिवासी क्षेत्रों के आन्दोलन, उनकी संस्कृति उनके विकास के बारे में राज्यपाल महोदय ने रिपोर्ट में जिक्र तक नहीं किया।
आज अधिसूचित क्षेत्रों के साथ सामान्य क्षेत्रों की तरह किया जा रहा व्यवहार
विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा सदन में अपनी बात रखते हुये मनावर विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ. हिरालाल अलावा ने आगे कहा कि पांचवी अनुसूची के भाग ख के 4 (1) में कहा गया है कि टीएसी का गठन होना चाहिए। ट्रायबल एडवायरी काउंसिल में 20 सदस्य होने चाहिए और सभी सदस्य आदिवासी होना चाहिए लेकिन दुख की बात है कि मध्यप्रदेश में एक नई परिपाटी शुरू हुई है, नई सरकार बनी है बिना विधान सभा भंग किए नई टीएसी का गठन कर दिया गया है जो कि संवैधानिक व्यवस्था के बिलकुल खिलाफ है। पांचवी अनुसूची के भाग (ख) के पैरा 5 (1) में इस बात का जिक्र किया गया है कि कोई भी अधिनियम, विनियम, कानून जो संसद या राज्य की विधान मंडल में बनाए जाते हैं बिना राज्यपाल जी की नोटीफिकेशन के अधिसूचित क्षेत्रों के लिए इम्प्लीमेंट नहीं किए जा सकते हैं लेकिन मुझे इस सदन को बताते हुए अफसोस हो रहा है कि आज अधिसूचित क्षेत्रों के साथ सामान्य क्षेत्रों की तरह व्यवहार किया जा रहा है।
अदिवासी समुदायों के ऊपर थोप दिए जा रहे हैं
विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा सदन में अपनी बात रखते हुये मनावर विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ. हिरालाल अलावा ने आगे कहा कि अदिवासियों को संविधान में जो अधिकार मिले है वह उनकी विशेष संस्कृति के आधार पर मिले है, उनके भौगोलिक लगाव के आधार पर मिली है, उनके विशेष नेचर के आधार पर मिली है, उनके पिछड़ेपन के आधार पर मिली है लेकिन बिना टीएसी के परामर्श के, बिना टीएसी से चर्चा किए बिना सामान्य कानून अधिसूचित क्षेत्रों में रहने वाले अदिवासी समुदायों के ऊपर थोप दिए जा रहे हैं।
आबकारी व पुलिस करती है आदिवासियों के ऊपर झूठे मुकदमें दर्ज
विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा सदन में अपनी बात रखते हुये मनावर विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ. हिरालाल अलावा ने आगे कहा कि सन 1996 में भूरिया कमेटी की अनुसंशा पर पेसा कानून बनाया गया लेकिन कानून बनने के बाद आज वर्ष 2021 तक ग्राम सभा के अधिकारों की किस तरह अनदेखी की जा रही है यह मध्य प्रदेश की जनता देख रही है। आज आए दिन पुलिस अधिकारी आदिवासी क्षेत्रों में, आदिवासी गांवों में जाते हैं और भोले भाले आदिवासियों के ऊपर झूठे मुकदमें दर्ज करते हैं. आए दिन आबकारी विभाग के अधिकारी जाते हैं और उनके ऊपर मुकदमे दर्ज करते हैं सबसे बड़े दुख की बात यह है कि आदिवासी इलाकों में कई ऐसे गैर आदिवासी संगठन काम कर रहे हैं जो आदिवासियों के सामाजिक ताने-बाने के साथ और उनकी संस्?कृति के साथ भी छेड़छाड़ कर रहे हैं।
पेसा कानून के अनुसार सलाह लेना चाहिए
विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा सदन में अपनी बात रखते हुये मनावर विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ. हिरालाल अलावा ने आगे कहा कि आज आदिवासी समाज पढ़ लिख गया है अपने अधिकारों की बात करने लगा है, पांचवी अनुसूची और छठवीं अनुसूची की बात करने लगा है तो आज प्रदेश के कई मंत्री उनको नक्सलवाद के चश्मे से देखते हैं। सभापति महोदय, यह कितना उचित है? आज अदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिए कई योजनाएं बनाई जा रही हैं लेकिन डिस्ट्रिक आॅटोनॉमस काउंसिल से पेसा कानून के अनुसार जो सलाह लेना चाहिए, जो योजनाएं बननी चाहिए उसका खुला-खुला उल्लंघन हो रहा है।
इन इलाकों में मेडिकल कॉलेज की कोई भी व्यवस्था नहीं है
विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा सदन में अपनी बात रखते हुये मनावर विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ. हिरालाल अलावा ने आगे कहा कि आज हमारी मध्य प्रदेश सरकार ने, हमारे कई पूर्व वक्ताओं ने कहा है कि कांग्रेस के काल में 50 साल में सिर्फ 6 मेडिकल कॉलेज थे निश्चित ही मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में नए मेडिकल कॉलेज होने चाहिए और उसी के बाद नए 16 मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं लेकिन इनमे कई मेडिकल कॉलेजों के बीच की दूरी में सिर्फ 50 किलोमीटर का ही अंतर है। हमारे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र धार, झाबुआ, बड़वानी जैसे जो क्षेत्र हैं आज मेडिकल कॉलेजों से 200 किलोमीटर की दूरी पर हैं लेकिन प्रदेश के इन इलाकों में मेडिकल कॉलेज की कोई भी व्यवस्था नहीं है और यही कारण है कि आज आदिवासी इलाकों में सबसे ज्यादा कुपोषण, सबसे ज्यादा मातृ मुत्यु दर, सबसे ज्यादा शिशु मृत्य ुदर है।
आदिवासी इलाकों में मोहल्ले से मोहल्ले जोड़ने हो सड़क का निर्माण
विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा सदन में अपनी बात रखते हुये मनावर विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ. हिरालाल अलावा ने आगे कहा कि प्रदेश सरकार को आदिवासी क्षेत्रों की ओर गंभीरता से सोचना चाहिए और ऐसी नियम और नीतियां बनानी चाहिए ताकि वहां के आदिवासियों का विकास हो, उनका पलायन रुके और आदिवासी क्षेत्रों में भुखमरी खत्म हो. राज्यपाल महोदया ने अपने भाषण में कहा है कि प्रदेश में वर्ष 2021 और वर्ष 2022 में दो हजार किलोमीटर की सड़क गांव में बनेगी। मैं आपके माध्यम से मुख्यमंत्री से कहना चाहता हूं कि आदिवासी क्षेत्रों की जो भौगोलिक संरचनाएं थोड़ी अलग है वहां पर जो रोड है वह आज भी नहीं बनी है तो क्यों न प्रधानमंत्री सड़क योजना में हम संशोधन करके आदिवासी इलाकों में मोहल्ले से मोहल्ले जोड़ने के लिए भी हम उन सड़कों का निर्माण प्रधानमंत्री सड़क योजना के माध्यम से निर्माण करें।
प्राइवेट हॉस्पिटलों को कोविड सेंटर बनाना कितना उचित है ?
विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा सदन में अपनी बात रखते हुये मनावर विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ. हिरालाल अलावा ने अंत में कहा कि एक बात और रखना चाहूंगा कि आज मध्यप्रदेश में कोविड के कारण कई मृत्यू हुई है लेकिन मध्य प्रदेश में जो कोविड सेंटर बनाये गए हैं, वह प्राइवेट हॉस्पिटलों में बनाए गए हैं। हमारे प्रदेश में बेहतर सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं, चाहे गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल हो, श्याम शाह मेडिकल कॉलेज रीवा हो, गजराराजा मेडिकल कॉलेज ग्वालियर हो लेकिन प्राइवेट हॉस्पिटलों को कोविड सेंटर बनाना कितना उचित है ?
मजदूर दीपक मरावी की मृत्यू हो गई
विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा सदन में अपनी बात रखते हुये मनावर विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ. हिरालाल अलावा ने अंत में कहा कि प्रदेश की जनता का विश्वास प्रदेश की सरकारी संस्थाओं पर ज्यादा होता है। मैं यह कहना चाहता हूं कि शासकीय मेडिकल कॉलेजों के अधीन ही कोविड सेंटरों का निर्माण किया जाना चाहिए था। आगे कहा कि मध्य प्रदेश में कोविड वैक्सीन का ट्रायल एक आदिवासी मजदूर दीपक मरावी पर किया गया और उसकी मृत्यू हो गई, जांच हुई तो कहा गया कि ओमेप्राजोल के हाई डोज से उसकी मृत्यू हुई। इसमें यह जांच का एक गंभीर विषय है कि ओमेप्राजोल केवल एक एंटी एसिड ड्रग है और इसके हाई डोज से कभी-भी किसी की मौत नहीं हो सकती है। आदिवासी क्षेत्रों में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है। आदिवासी क्षेत्रों से युवा पलायन करके खासतौर से धार, झाबुआ, बड़वानी, खरगौन से युवा गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र जा रहे हैं। मैं आपके माध्यम से सदन से कहना चाहता हूं कि आदिवासी इलाकों में पलायन को रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर ऐसी नीति बनाई जाये कि युवाओं को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार मिले, जिससे उस क्षेत्र का भी विकास हो सके।