गणतंत्र दिवस परेड में सम्मिलित होने वाले जनजातीय मेहमानों, एनसीसी कैडेटों, एनएसएस स्वयंसेवकों और झांकी कलाकारों के साथ ‘एट-होम’ के आयोजन के दौरान प्रधानमंत्री के भाषण का मूल पाठ
नई दिल्ली। गोंडवाना समय।
मंत्रिमंडल के मेरे वरिष्ठ सहयोगी, देश के रक्षा मंत्री श्रीमान राजनाथ सिंह जी, श्री अर्जुन मुंडा जी, श्री किरण रिजिजू जी, श्रीमती रेणुका सिंह सरूटा जी और देश भर से यहां आए हुए मेरे प्यारे नौजवान साथियों, कोरोना ने वाकई बहुत कुछ बदल कर रख दिया है। मास्क, कोरोना टेस्ट, दो गज की दूरी, ये सब अब ऐसे लग रहा है जैसे रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया है। पहले जब फोटो निकालने जाते थे तो कैमरामेन कहता था, स्माईल। अब मास्क के कारण वो भी बोलता नहीं है। यहां भी हम देख रहे हैं कि अलग-अलग जगह बैठने की व्यवस्था करनी पड़ी है। काफी फैलाव रखना पड़ा है। लेकिन इसके बावजूद भी आपका उत्साह, आपकी उमंग उसमें कोई कमी नजर नहीं आ रही है, वैसी की वैसी है।
साथियों,
आप यहां देश के अलग-अलग कोने से आए हैं। यहां देश के दूर-सुदूर जनजातीय क्षेत्रों से आए साथी हैं, NCC-NSS के ऊर्जावान युवा भी हैं और राजपथ पर अलग-अलग राज्यों की झांकी, अलग-अलग राज्यों का संदेश, बाकी देश तक पहुंचाने वाले कलाकार साथी भी हैं। राजपथ पर जब आप जोश के साथ कदम-ताल करते हैं तो हर देशवासी जोश से भर जाता है। जब आप भारत की समृद्ध कला, संस्कृति, परंपरा और विरासत की झांकी दिखाते हैं, तो हर देशवासी का माथा गौरव से और ऊंचा हो जाता है। और मेने तो देखा है कि परेड के समय में मेरे बगल में कोई न कोई देश के प्रमुख रहते हैं। इतनी सारी चीजें देखकर के उनको बड़ा surprise होता है, बहुत सारे सवाल पूछते रहते हैं, जानने का प्रयास करते हैं। देश के किस कोने में है, क्या है, कैसा है। जब हमारे आदिवासी साथी राजपथ पर संस्कृति के रंग बिखेरते हैं, तो संपूर्ण भारत उन रंगो में रंग जाता है, झूम उठता है। गणतंत्र दिवस की परेड भारत की महान सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत के साथ ही हमारे सामरिक सामर्थ्य को भी नमन करती है। गणतंत्र दिवस की परेड, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को जीवंत करने वाले हमारे संविधान को नमन करती है। मैं आपको 26 जनवरी को बेहतरीन प्रदर्शन के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। आपसे एक आग्रह भी है। अभी दिल्ली में ठीक-ठाक ठंड पड़ रही है। जो साउथ से आए होंगे उनको तो परेशानी ओर होती होगी और आप कई दिन से यहां हैं लेकिन आप में से बहुत से लोग, जैसा मेने कहा सर्दी के आदी नहीं हैं। इतनी सुबह उठकर आपको ड्रिल के लिए निकलना होता है। मैं यही कहुंगा कि आप अपनी सेहत का ध्यान जरूर रखिएगा।
साथियों,
इस वर्ष हमारा देश, अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इस वर्ष गुरू तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व भी है। और इसी वर्ष हम नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की 125वीं जन्मजयंती भी मना रहे हैं। अब देश ने ये तय किया है कि नेताजी के जन्मदिवस को हम पराक्रम दिवस के तौर पर मनाएंगे। कल पराक्रम दिवस पर मैं उनकी कर्मभूमि कोलकाता में ही था। आजादी के 75 वर्ष, गुरू तेग बहादुर जी का जीवन, नेताजी का शौर्य, उनका हौसला, ये सब कुछ हम सभी के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है। हमें देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने का अवसर नहीं मिला, क्योंकि हममे से अधिकतर लोग आजादी के बाद पैदा हुए हैं। लेकिन हमें देश ने अपना सर्वश्रेष्ठ अर्पित करने का अवसर जरूर दिया है। हम जो भी देश के लिए अच्छा कर सकते हैं, भारत को मजबूत बनाने के लिए कर सकते हैं वो हमें करते रहना चाहिए।
साथियों,
यहां गणतंत्र दिवस की परेड की तैयारियों के दौरान आपने भी महसूस किया होगा कि हमारा देश कितनी विविधता भरा हुआ है। अनेकों भाषाएं, अनेकों बोलियां, अलग-अलग खान-पान। कितना कुछ अलग है लेकिन भारत एक है। भारत यानि कोटि-कोटि सामान्य जन के खून-पसीने, आकांक्षाओं और अपेक्षाओं की सामूहिक शक्ति। भारत यानि राज्य अनेक, राष्ट्र एक। भारत यानि समाज अनेक, भाव एक। भारत यानि पंथ अनेक, लक्ष्य एक। भारत यानि रिवाज़ अनेक, मूल्य एक। भारत यानि भाषाएं अनेक, अभिव्यक्ति एक। भारत यानि रंग अनेक, तिरंगा एक। अगर एक पंक्ति में कहें तो भारत में रास्ते भले ही अलग-अलग हैं, लेकिन गंतव्य एक ही है, मंज़िल एक ही है और ये मंजिल है, एक भारत, श्रेष्ठ भारत।
साथियों,
आज एक भारत, श्रेष्ठ भारत की ये शाश्वत भावना, देश के हर कोने में प्रकट हो रही है, मजबूत हो रही है। आपने भी देखा और सुना भी होगा कि मिज़ोरम की 4 साल की बालिका उसने वंदे मातरम् जब गाया तो सुनने वालों को गर्व से भर देता है। केरल के स्कूल की एक बच्ची जब कठिन परिश्रम से सीखकर, एक हिमाचली गीत, बड़े परफेक्शन के साथ गाती है, तो राष्ट्र की ताकत महसूस होती है। तेलुगु बोलने वाली एक बिटिया जब अपने स्कूल प्रोजेक्ट में बड़े रोचक ढंग से हरियाणवी खान-पान का परिचय देती है तो हमें भारत की श्रेष्ठता के दर्शन होते हैं।
साथियों,
भारत की इसी ताकत से देश और दुनिया को परिचित करने के लिए एक भारत, श्रेष्ठ भारत पोर्टल बनाया गया है और आप सब तो डिजिटल जनरेशन वाले हैं तो जरूर जाइएगा। इस पोर्टल पर जो व्यंजन विधियों का सेक्शन है, उसपर एक हज़ार से भी अधिक लोगों ने अपने प्रदेश के व्यंजन साझा किए है। कभी समय निकालकर आप इस पोर्टल को जरूर देखिएगा और परिवार मैं भी कहिए जरा आज मां बताओ ये, आपको बहुत आनंद आएगा।
साथियों,
बीते दिनों कोरोना काल में स्कूल कॉलेज आदि बंद होने पर भी देश के युवाओं ने डिजिटल माध्यम से अन्य राज्यों के साथ वेबिनार किए हैं। इन Webinars में म्यूज़िक, डांस, खान-पान की अलग-अलग राज्यों की अलग- अलग शैलियों पर बड़ी विशेष चर्चाएं की है। आज सरकार की भी कोशिश है कि हर प्रांत, हर क्षेत्र की भाषाओं, खान-पान और कला का पूरे देश में प्रचार-प्रसार हो। देश में भारत के हर राज्य के रहन-सहन, तीज-त्यौहार के बारे में जागरूकता और बढ़े। विशेषतौर पर हमारी समृद्ध आदिवासी परंपराओं, आर्ट एंड क्राफ्ट से देश बहुत कुछ सीख सकता है। इन सबको आगे बढ़ाने में एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान बहुत मदद कर रहा है।
साथियों,
आजकल आपने सुना होगा, देश में बहुत बोला जाता है- शब्द सुनाई देता है, वोकल फॉर लोकल। जो अपने घर के आसपास चीजें बन रही हैं, स्थानीय स्तर पर बन रही हैं, उस पर मान करना, उसका गर्व करना, उसे प्रोत्साहित करना, यही है वोकल फॉर लोकल। लेकिन ये वोकल फॉर लोकल की भावना, तब और मजबूत होगी जब इसे एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना से शक्ति मिलेगी। हरियाणा की किसी चीज के संबंध में, मैं तमिलनाडु में रहता हूं, मुझे गर्व होना चाहिए। केरल की किसी चीज का, मैं हिमाचल मैं रहता हूं, मुझे गर्व होना चाहिए। एक क्षेत्र के लोकल प्रॉडक्ट पर दूसरा क्षेत्र भी गर्व करेगा, उसे प्रोत्साहित करेगा, तभी लोकल प्रॉडक्ट की पहुंच देशभर में होगी, उसमें एक ग्लोबल प्रॉडक्ट बनने की ताकत पैदा होगी।
साथियों,
ये वोकल फॉर लोकल, ये आत्मनिर्भर भारत अभियान, इनकी सफलता आप जैसे नौजवानों पर टिकी हुई हैं और आज जब मेरे सामने NCC और NSS के इतने सारे नौजवान हैं। उनकों तो शिक्षा-दीक्षा सब ये ही दिया जाता है। मैं आज आपको एक छोटा सा काम देना चाहता हूं। और देश भर के हमारे NCC के नौजवान मुझे जरूर इस काम में मदद करेंगे। आप एक काम कीजिये, सुबह उठकर के रात को सोने तक जिन चीजों का आप उपयोग करते हैं। टूथपेस्ट हो, ब्रश हो, कंघा हो, कुछ भी –कुछ भी, घर में AC हो , मोबाइल फोन हो, जो भी, जरा देखिए तो कितनी चीजों की आपको जरूरत होती है दिनभर में और उनमें से कितनी चीजें हैं जिसमें हमारे देश के मजदूर के पसीने की महक है, कितनी चीजें हैं जिसमें हमारे इस महान देश की मिट्टी की सुगंध है। आप चौंक जाएंगे, जाने- अनजाने में इतनी चीजें विदेश की हमारे जीवन में घुस गई हैं, हमें पता तक नहीं है। एक बार उस पर देखेंगे तो पता चलेगा कि आत्मनिर्भर भारत बनाने का सबसे पहला कर्तव्य हमीं से शुरू होना चाहिए। इसका मतलब मैं ये नहीं कह रहा हूं कि आपके पास कोई विदेशी चीज है तो कल जाके फैंक दो। मैं ये भी नहीं कह रहा कि दुनिया में कोई अच्छी चीज हो, हमारे यहां न हो, तो उसको लेने से मना करो ये नहीं हो सकता। लेकिन हमे पता तक नहीं है ऐसी ऐसी चीजें हमारे रोजमर्रा की जिंदगी में, हमें एक प्रकार से गुलाम बना दिया है, मानसिक गुलाम बना दिया है। मेरे नौजवान साथियों से में आग्रह करूंगा। NCC-NSS के शिष्टबद्ध नौजवानों से आग्रह करुंगा। आप अपने परिवार के सबको बिठाकर के जरा सूची बनाइए, एक बार देखिए, फिर आपको कभी मेरी बात को याद नहीं करना पड़ेगा, आपकी आत्मा कहेगी कि हमने हमारे देश का कितना नुकसान कर दिया है।
साथियों,
भारत आत्मनिर्भर किसी के कहने भर से ही नहीं होगा, बल्कि जैसा मेने कहा आप जैसे देश के युवा साथियों के करने से ही होगा। और आप ये तब और ज्यादा बेहतर तरीके से कर पाएंगे जब आपके पास ज़रूरी Skill-Set होगा।
साथियों,
Skill के, कौशल के इसी महत्व को दखते हुए ही, 2014 में सरकार बनते ही, Skill Development के लिए विशेष मंत्रालय बनाया गया। इस अभियान के तहत अब तक साढ़े 5 करोड़ से अधिक युवा साथियों को अलग-अलग कला और कौशल की ट्रेनिंग दी जा चुकी है। कौशल विकास के इस कार्यक्रम के तहत सिर्फ ट्रेनिंग ही नहीं दी जा रही, बल्कि लाखों युवाओं को रोजगार और स्वरोज़गार में मदद भी की जा रही है। लक्ष्य ये है कि भारत के पास स्किल्ड युवा भी हों और Skill Sets के आधार पर उन्हें रोजगार के नए अवसर भी मिलें।
साथियों,
आत्मनिर्भर भारत के लिए युवाओं के कौशल पर ये फोकस भी देश की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने प्रस्तुत किया है। आप भी उसको देख पाएंगे। इसमें पढ़ाई के साथ ही पढ़ाई के उपयोग यानि application पर भी उतना ही बल दिया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की कोशिश ये है कि युवाओं को उनकी रुचि के अनुसार विषय चुनने की आज़ादी दी गई है। उनको कब पढ़ाई करनी है, कब पढ़ाई छोड़नी है और कब फिर से करनी है, इसके लिए भी Flexibility दी गई है। कोशिश यही है कि हमारे विद्यार्थी जो कुछ खुद से करना चाहते हैं, वो उसी में आगे बढ़ें।
साथियों,
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पहली बार Vocational Education को Education की मुख्य धारा में लाने का गंभीर प्रयास किया गया है। कक्षा 6 से ही विद्यार्थियों को स्थानीय ज़रूरतों और स्थानीय व्यवसायों से जुड़ा अपनी रुचि का कोई भी कोर्स चुनने का विकल्प दिया गया है। ये सिर्फ पढ़ाने के कोर्स नहीं होंगे बल्कि सीखने और सिखाने के कोर्स होंगे। इसमें स्थानीय कुशल कारीगरों के साथ प्रैक्टिकल अनुभव भी दिया जाएगा। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से सभी मिडिल स्कूलों के शैक्षणिक विषयों में व्यावसायिक शिक्षा को एकीकृत करने का भी लक्ष्य है। मैं आज आपको ये विस्तार से, इसलिए भी बता रहा हूं क्योंकि आप जितना जागरूक रहेंगे, उतना ही आपका भविष्य भी उज्ज्वल होगा।
साथियों,
आप सभी ही आत्मनिर्भर भारत अभियान के असली कर्णधार हैं। NCC हो, NSS हो या फिर दूसरे संगठन हों, आपने देश के सामने आने वाली हर चुनौती, हर संकट के समय अपनी भूमिका निभाई है। कोरोना काल में भी आपने जो काम किया है, volunteers के रूप में, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए वो कम है। जब देश को, शासन-प्रशासन को सबसे अधिक ज़रूरत थी, तब आपने volunteers के रूप में आगे आकर व्यवस्थाएं बनाने में मदद की। आरोग्य सेतु एप को जन-जन तक पहुंचाना हो या फिर कोरोना संक्रमण से जुड़ी दूसरी जानकारियों को लेकर जागरूकता, आपने प्रशंसनीय काम किया है। कोरोना के इस काल में फिट इंडिया अभियान के माध्यम से फिटनेस के प्रति Awareness जगाने में आपका रोल महत्वपूर्ण रहा है।
साथियों,
जो आपने अभी तक किया, इसको अब अगले चरण पर ले जाने का समय आ गया है। और मैं ये आपसे इसलिए कह रहा हूं क्योंकि आपकी पहुंच देश के हर हिस्से, हर समाज तक है। मेरा आपसे आग्रह है कि आपको देश में चल रहे कोरोना वैक्सीन अभियान में भी देश की मदद करने के लिए आगे आना है। आपको वैक्सीन को लेकर सही जानकारियां देश के गरीब से गरीब और सामान्य से सामान्य नागरिक को देनी है। कोरोना की वैक्सीन भारत में बनाकर, भारत के वैज्ञानिकों ने अपना कर्तव्य बखूबी निभाया है। अब हमें अपना कर्तव्य निभाना है। झूठ और अफवाह फैलाने वाले हर तंत्र को हमें सही जानकारी से परास्त करना है। हमें ये याद रखना है कि हमारा गणतंत्र इसलिए मज़बूत है क्योंकि ये कर्तव्य की भावना से संकल्पित है। इसी भावना को हमें मज़बूत करना है। इसी से हमारा गणतंत्र भी मज़बूत होगा और आत्मनिर्भरता का हमारा संकल्प भी सिद्ध होगा। आप सभी को इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्व में शरीक होने का अवसर मिला है। मन को गढ़ने का, देश को जानने का और देश के लिए कुछ न कुछ करने का, इससे बड़ा संस्कार कोई ओर नहीं हो सकता है। जो सौभाग्य आप सबको प्राप्त हुआ है। मुझे विश्वास है कि 26 जनवरी के इस भव्य समारोह के बाद जब यहां से घर लौटेंगे, आप यहां की अनेक चीजों को याद रखकर के जाएंगे। लेकिन साथ-साथ ये कभी नहीं भूलना कि हमें देश को अपना सर्वश्रेष्ठ अर्पित करना ही है, करना ही है, करना ही है। मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
बहुत-बहुत धन्यवाद !