अतिक्रमण हटाने के नाम पर छपारा में सत्ताधारी नेता अंतिम पंक्ति के व्यक्तियों का छीन रहे रोजी-रोजगार
छपारा नगर के कई ऐसे परिवार हैं जो रोजी रोटी को हो सकते है मोहताज
अतिक्रमण हटाए जाने की कार्यवाही घटिया राजनीति से प्रेरित
छपारा-गोंडवाना समय।
सत्ताधारी पार्टी के कुछ नेता अतिक्रमण हटाने की मुहिम के नाम पर ऐसा लगता है गरीब और दबे कुचले वर्ग से आने वाले लोग यदि बराबरी में खड़ा होने का प्रयास कर रहे हैं और वह रोजमर्रा की जिंदगी जीने का प्रयास करते हुए छुटपुट व्यवसाय करके अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। अब उन परिवारों से रोजी-रोटी छीनने का अतिक्रमण हटाने के नाम पर किया जाने का पूरा षड्यंत्र सत्ताधारी पार्टी से जुड़े कुछ नेताओं के द्वारा ऐसा प्रयास किया जा रहा है।
विधायक का करीबी बताते है नेता
ये नेता जो अपने आप को विधायक का बेहद ही करीबी भी बताते हैं विधायक को यह समझना भी होगा। क्या कुछ लोग सत्ता और शासन का गलत इस्तेमाल कर आखिरी अंतिम छोर से आने वाले लोग जो रोजमर्रा की जिंदगी जीने और रोजगार घर परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं।
उनके परिवारों का रोजगार छीनने का प्रयास किया जा रहा है। देश के प्रधानमंत्री लोगों को आत्मनिर्भर और खुद का काम करने के लिए बात कर रहे हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के ही कुछ नेता उनके मंसूबों में पानी फेरते हुए गरीबों के अतिक्रमण हटाने के नाम की कार्यवाही पर अति करने के लिए उतारू है। यह बात उन जिम्मेदार नेताओं को समझना चाहिए जो जमीन से जुड़े लोग किस तरह से अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं और परिवार चला रहे हैं।
स्वाभाविक है जिनकी सत्ता है उन पर ही उठेंगे सवाल
छपारा नगर के कई ऐसे परिवार हैं जो रोजी रोटी को मोहताज हो जाएंगे। जबकि कोरोना वायरस जैसी बीमारी के चलते कई महिनों दुकान बंद रही, लोग रोजी रोटी के संकट के बीच अपना जीवन यापन करते रहे। लॉकडाउन हटने के बाद जैसे तैसे काम धंधा शुरू किया और अपने परिवार को 2 जून की रोटी खिलाने का प्रयास कर रहा है तो अब उनका रोजगार भी इस अतिक्रमण हटाने वाली मुहिम से छीन लिया जाएगा। स्वभाविक है वर्तमान समय में जिन की सत्ता है उन पर ही सवाल उठेंगे क्योंकि उनके इशारों पर ही शासन में मौजूद अधिकारी कार्यवाही करते हैं और रोकते हैं
वर्षों से निवास करने वाले अतिक्रमणकारी कैसे
वर्षों से शासकीय भूमि पर निवास करने वाले गरीब परिवार अंतिम छोर के सभी वर्गों के ऐसे परिवारजन जिनके पास ना तो कृषि भूमि है न ही निजि स्वामित्व की कोई भूमि है। आज जब वह निवास स्थान पर ही दुकान आदि स्थापित कर रोजगार करने लगे हैं और परिवार को भरण-पोषण करने लगे हैं व जीवन स्तर में सुधार आने लगा है तो स्थानीय सत्ता पक्ष राजनीति के प्रतिनिधि उन गरीब परिवारों को या तो बेरोजगार करने की फिराक में है या उनके घर उजाड़ने की तुच्छ राजनीति कर रहे हैं।
अतिक्रमण की कार्रवाई वहां होनी चाहिए जहाँ रास्ता अवरूद्ध हो रहा हो, जनमानस की सुविधाओं में बाधा हो लेकिन छपारा में चिन्हित कर द्वेष भावना से प्रेरित होकर अतिक्रमण के नाम पर जबरन कार्यवाही करवाने के लोग आमदा है
मुख्यमंत्री गरीबों के हितैषी कैसे
एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व में कई बार कहा है कि जो जहाँ रह रहा है उसे वहां का ही भूधारक प्रमाणपत्र दिया जायेगा। गरीब पिछडों को कभी भी बेदखल नहीं किया जायेगा ना ही उनका रोजगार छीना जायेगा लेकिन छपारा में आपसी रंजिश, आपसी मतभेद के चलते सत्ता पक्ष राजनीति भारतीय जनता पार्टी से जुड़े नेता आम लोगों दलित पिछडों को हानि पहुँचाने की फिराक में है।
सत्ता पक्ष को करना चाहिए विचार
छपारा में अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही को लेकर जरूर इस पर विचार करना चाहिए नहीं तो आगामी नगरीय निकाय चुनाव में इसके परिणाम जरूर देखने को मिलेंगे। खासकर सत्ताधारी पार्टी के दल को इसका बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
फिलहाल इस कार्यवाही को लेकर कुछ चुनिंदा लोगों का नाम चचार्ओं में बना हुआ है जो कि केवलारी विधानसभा क्षेत्र के विधायक श्री राकेश पाल सिंह के सबसे करीबी अपने आप को बताते है उनके द्वारा रोजी रोजगार छीनने के लिये घटिया राजनीति करने का प्रयास किया जा रहा है।
भाजपा के कुछ नेताओं की करनी के कारण क्षेत्रिय विधायक के साथ बड़े नेताओं की छवि को धूमिल कर सकता है। इस पर स्वयं विधायक के साथ साथ भाजपा के उन नेताओं को जरूर विचार करते हुए इस कार्यवाही पर विराम लगाना चाहिए आगे जब नगर परिषद अपने चुनाव बाद स्थिति में आएगी तो वह खुद ही इस को चिन्हित कर लेंगी।