देवगढ़ के गोंड राजा जाटवा धुर्वा के निवास स्थल हरियागढ़ का किला सरकार, शासन-प्रशासन की अनदेखी से हो गया बर्बाद पर गोंडवाना के गौरवशाली प्रमाणिक इतिहास आज भी है मौजूद
गोंडवाना स्टूडेंट यूनियन छिंदवाड़ा की टीम ने हरियागढ़ के किले का कोने-कोने में किया शैक्षणिक भ्रमण
ग्रामीणों ने जीएसयू पदाधिकारियों को हरियागढ़ किला स्थल के संबंध में बताया महत्वपूर्ण जानकारी
अनिल उईके, जिला संवाददाता
छिंदवाड़ा। गोंडवाना समय।
हिरदा गढ़ पंचायत के अंतर्गत आने वाला हरिया गढ़ किला जो कि लगभग 12 सौ से 15 सौ ईसवी के मध्य अपनी परिपूर्ण स्थिति में था। जहां पर देवगढ़ के गोंड राजा जाटवा धुर्वा पहले निवास किया करते थे। हरिया गढ़ का किला में आज भी कई राज रहस्य दफन है। आसपास के ग्रामीण अंचलों के लोगों में यह जनचर्चा है कि यहां पर सोना चांदी भरपूर मात्रा में दबी हुई है लेकिन यहां पर से कोई इनको निकाल नहीं सकता जो भी निकालने के लिए प्रयास किया है उनके साथ कई प्रकार की घटनाएं घटी है।
संरक्षित किये जाने के अभाव में पूरी तरीके से गिर चुका है
काफी ऊंचाई में स्थित किला में कई प्रकार के चिन्ह पत्थरों में अंकित है। किला काफी पुराना होने एवं देखरेख, संरक्षित किये जाने के अभाव में पूरी तरीके से गिर चुका है लेकिन आज भी अगर आप उस किले के पहाड़ में चढ़कर अगर आसपास का दृश्य देखेंगे तो आपको राजा के द्वारा बनाए हुए पूरे तालाब, कुआ, बावड़ी, गुफाएं, सुरंगे और कई प्रकार की कलाकृतियां दिखाई देती हैं। यहां का दृश्य मनमोहक है, वहीं हरदागढ़ पंचायत के लोग कहते हैं कि यहां पर जो किला ऊपर स्थित है, उसके नीचे जो भूमि है, जिसमें खेती की जाती है, आज भी उस जमीन में जब फसल बोने के लिये हल बखर चलाते हैं तो उसमें कई प्रकार के पूर्व अवशेष जैसी वस्तुएं देखने को मिली है।
इतिहास लिखेंगे, जिससे आने वाली पीढ़ी को मिलेंगी प्रमाणिक जानकारी
आदिवासी समुदाय के कई गोत्रों के खलियान, पेन कड़ा, यहां पर मौजूद है। कई पीढ़ियों के आजा पुरखाओ कि यहां पर आपको मरघट मिलेगी। आज भी पुराने समय के जो बुजुर्ग है वह यहां पर अपने पुरखों को याद करने माथा टेकने यहां पर आते हैं। वहीं बीते दिनों गोंडवाना स्टूडेंट यूनियन छिंदवाड़ा की टीम भी यहां पर शैक्षणिक भ्रमण के लिए पहुंची। जीएसयू टीम के साथ में आदिवासी साहित्य में जिन्होंने पीएचडी किया है। डॉक्टर नकल सिंह नरवेती जी भी मौजूद रहे, जिन्होंने काफी बातें विस्तार से समझाएं और साथ में ग्राम पंचायत सरपंच शर्मिला सरेआम दीदी भी मौजूद रही। जिन्होंने ग्रामीणों की जो बातें उनको बताते हुए पूरे किले के बारे में विस्तार से समझाया। डॉक्टर नकल सिंह जी ने कहा कि आगामी समय में हरिया का किला और देवगढ़ किला का पूरा खोज करके और उस में पाए जाने वाली सभ्यता और उनके विज्ञान को सभी के सामने जल्द ही रखा जाएगा। डॉक्टर नकल सिंह जी ने आगे बताते हुये कहा कि इस संबंध में वे इतिहास लिखेंगे, जिसको आने वाली पीढ़ी पढ़कर कई प्रकार की सीख ले सकती है।
महत्वपूर्ण औषधी व पेड़-पौधों की मिली जानकारी
गोंडवाना स्टूडें यूनियन छिंदवाड़ा के जिला अध्यक्ष देव रावण ने कहा कि वहां के जो स्थानीय लोग हैं, उनसे उस हरिया गढ़ किले के ऊपर मौजूद कई प्रकार की औषधि और पेड़-पौधों के बारे में जानकारी लिया। जिसमें ग्रामीणों ने कई प्रकार के पेड़ों के औषधीय गुण और उनके फायदे भी बताएं जो कि काफी महत्वपूर्ण जानकारी है। हरिया गढ़ किला के ऊपर ऐसे ऐसे पौधे लगे हुए हैं जो कहीं देखने को नहीं मिलते और जिनका अपना एक बहुत बड़ा विज्ञान छुपा हुआ है। कहा जाता है कि गोंडवाना का विज्ञान इतना विस्तृत था कि अभी वर्तमान समय में उसके सामने जो विज्ञान है, कुछ भी नहीं है इस विज्ञान को जानने के लिए सर्वप्रथम हमें कई पुरानी चीजें को बेहतर ढंग से अध्ययन करना पड़ेगा और उसका वैज्ञानिक अध्ययन करना पड़ेगा तब जाकर कुछ हद तक हम उस गोंडवाना विज्ञान के 1 कड़ी को पकड़कर उस समय की परंपरागत व्यवस्था से रूबरू हो सकते हैं।
विद्यार्थी व युवा पीढ़ी कड़ी मेहनत करके उस विज्ञान को खोज सकते है
गोंडवाना स्टूडेंट यूनियन की टीम द्वारा लगातार इस प्रकार के किले, महल, सुरंगे और प्राचीन समय में पाई जाने वाली समस्त ऐतिहासिक चीजों का शैक्षणिक भ्रमण लगातार किया जा रहा है। जीएसयू के जिलाध्यक्ष देव रावण का कहना है कि हमारे सामने जो इतिहास प्रस्तुत किया गया है, उससे भी कई विस्तृत और वैज्ञानिक इतिहास हमसे छुपाया गया है। अगर उस विस्तृत और वैज्ञानिक इतिहास से वर्तमान के युवा पीढ़ी विद्यार्थी अगर समझ जाए या उसको पढ़ ले तो कई प्रकार की ऐसी वैज्ञानिक गतिविधि कर सकते हैं, जो पूरी दुनिया में किसी ने नहीं किया। गोंडवाना कालीन विज्ञान जिसे पूरी दुनिया अभी तक अनभिज्ञ है और शंभू शेख के साथ ही पूरा गोंडवाना कालीन विज्ञान दफन हो चुका है लेकिन अभी भी गोंडवाना समुदाय जिंदा है, जिनकी रगों में उनका खून दौड़ रहा है उसको पुनर्जीवित करने के लिए भावी युवा पीढ़ी विद्यार्थी कड़ी मेहनत करके उस विज्ञान को खोज निकालने का दावा करते हैं।
देवगढ़ परिक्षेत्र में लगभग 800 कुआं 900 बावलिया है
वहीं शैक्षणिक भ्रमण के तहत खोज करते हुए कुआं और बबली जो हरिया गढ़ में निकली उनके बारे में जानकारी हासिल की गई। अभी तक ग्राम सरपंच के माध्यम से और बाकी अधिकारियों के माध्यम से 3 कुआं और दो बावली, दो तालाब की खोज कर लिया गया है। जिनकी मरम्मत चालू है, किसानों के खेत में स्थित बावलिया जो मिट्टी में पूर्व चुकी थी वह सूखी थी। किसानों को यह तक अनुभव नहीं था जानकारी नहीं थी कि इन बावरियों में आज भी भरपूर पानी है, जैसे ही उन बावरियों को थोड़ा-थोड़ा खोदा गया तो अचानक उन पर पानी उभर आया और आज उस बावली में मोटर रखकर 2 महीने से पानी खाली कर रहे हैं लेकिन पानी खत्म नहीं हो रहा है। जिस किसान के खेत में वह पानी की बावली थी, वाह किसान आज बढ़िया खेती कर रहा है। देवगढ़ परिक्षेत्र में लगभग 800 कुआं 900 बावलिया है और 900 भाग लिया और यह कुआं पानी से भरपूर गोंडवाना कालीन विज्ञान में पानी की जो नाचती उसको पकड़ने का जो हुनर था आज भी लोगों में नहीं है आज भी हमारे वैज्ञानिकों में नहीं है गोंडवाना कालीन विज्ञान में जहां-जहां कुआं, बबली बनाई गई है उनको आज तक उसका पानी खत्म नहीं कर पाया गया।
ऐतिहासिक जानकारी निरंतर खोजते रहे
गोंडवाना स्टूडेंट यूनियन छिंदवाड़ा के द्वारा शैक्षणिक भ्रमण के माध्यम से विद्यार्थियों को लगातार ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी से अवगत कराया जा रहा है। इससे नई नई चीजे जानने को मिलेंगी क्योंकि यह विद्यार्थी सिर्फ किताबी पुस्तक की ज्ञान तक सीमित नहीं है, यह उस ज्ञान से भी रूबरू होना चाहते हैं जो अभी तक पुस्तकों में नहीं लिखा गया, इसलिए इनकी खोजबीन करने का प्रयास निरंतर किया जाते रहना चाहिये।