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राज्यपाल ने राजभवन में संत बाबा गुरू घासीदास और शहीद वीरनारायण सिंह के तैल चित्र का अनावरण किया रायपुर। गोंडवाना समय। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने संत गुरू घासीदास जयंती के अवसर पर राजभवन के दरबार हॉल में संत बाबा गुरू घासीदास और शहीद वीरनारायण सिंह के तैल चित्र का अनावरण किया। साथ ही उन्होंने संत बाबा गुरू घासीदास के छायाचित्र पर पुष्पांजली अर्पित कर उन्हें नमन किया। उन्होंने जातिप्रथा तथा अन्य सामाजिक कुरीतियों पर कुठाराघात किया राज्यपाल ने कहा कि इस महत्वपूर्ण अवसर पर मैं दोनों महापुरूषों को नमन करती हूं। छत्तीसगढ़ संतों की भूमि रही है, उनमें से प्रमुख संत बाबा गुरूघासीदास जी थे। उनका जन्म 18 दिसंबर 1756 को बलौदाबाजार जिले के गिरौदपुरी गांव के एक सामान्य परिवार में हुआ था। उन्होंने सात दिव्य संदेश दिए, जिसमें एक प्रमुख संदेश था कि सतनाम को मानों सत्य ही ईश्वर है, ईश्वर ही सत्य है। बाबा घासीदास जी ने सभी जीवों को एक समान बताया और सादा जीवन उच्च विचार रखने की प्रेरणा दी। उन्होंने जातिप्रथा तथा अन्य सामाजिक कुरीतियों पर कुठाराघात किया। परंतु उनकी स्मृतियां और उनका जीवन हमें प्रेरणा देती है उन्होंने कहा कि 10 दिसंबर को छत्तीसगढ़ के महान सेनानी शहीद वीर नारायण सिंह की पुण्यतिथि थी। उनका जन्म बलौदाबाजार के ग्राम सोनाखान के एक बिंझवार आदिवासी परिवार में हुआ। उन्होंने एक भीषण सूखा पड़ने पर एक व्यापारी से गरीब जनता से अनाज देने का निवेदन किया, पर उनके न मानने पर उनके गोदाम से अनाज को निकलवा कर गरीब जनता को बटवा दिया। उनके इस कार्य को अंग्रेजों ने अपराध माना और उसे जेल में बंद कर दिया। बाद में वे जेल से भाग निकले और स्वयं की सेना बनाकर अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह किया। कुछ समय पश्चात उनकी सेना युद्ध हार गई और उन पर मुकदमा चलाया गया और शहीद वीर नारायण सिंह को फांसी की सजा दी गई। आज शहीद वीर नारायण सिंह हमारे बीच नहीं है परंतु उनकी स्मृतियां और उनका जीवन हमें प्रेरणा देती है। इस अवसर पर राज्यपाल की उप सचिव श्रीमती रोक्तिमा यादव एवं नियंत्रक श्री हरबंश मिरी उपस्थित थे।

राज्यपाल ने राजभवन में संत बाबा गुरू घासीदास और शहीद वीरनारायण सिंह के तैल चित्र का अनावरण किया


रायपुर। गोंडवाना समय। 

राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने संत गुरू घासीदास जयंती के अवसर पर राजभवन के दरबार हॉल में संत बाबा गुरू घासीदास और शहीद वीरनारायण सिंह के तैल चित्र का अनावरण किया। साथ ही उन्होंने संत बाबा गुरू घासीदास के छायाचित्र पर पुष्पांजली अर्पित कर उन्हें नमन किया।

उन्होंने जातिप्रथा तथा अन्य सामाजिक कुरीतियों पर कुठाराघात किया

राज्यपाल ने कहा कि इस महत्वपूर्ण अवसर पर मैं दोनों महापुरूषों को नमन करती हूं। छत्तीसगढ़ संतों की भूमि रही है, उनमें से प्रमुख संत बाबा गुरूघासीदास जी थे। उनका जन्म 18 दिसंबर 1756 को बलौदाबाजार जिले के गिरौदपुरी गांव के एक सामान्य परिवार में हुआ था। उन्होंने सात दिव्य संदेश दिए, जिसमें एक प्रमुख संदेश था कि सतनाम को मानों सत्य ही ईश्वर है, ईश्वर ही सत्य है। बाबा घासीदास जी ने सभी जीवों को एक समान बताया और सादा जीवन उच्च विचार रखने की प्रेरणा दी। उन्होंने जातिप्रथा तथा अन्य सामाजिक कुरीतियों पर कुठाराघात किया।

परंतु उनकी स्मृतियां और उनका जीवन हमें प्रेरणा देती है


उन्होंने कहा कि 10 दिसंबर को छत्तीसगढ़ के महान सेनानी शहीद वीर नारायण सिंह की पुण्यतिथि थी। उनका जन्म बलौदाबाजार के ग्राम सोनाखान के एक बिंझवार आदिवासी परिवार में हुआ। उन्होंने एक भीषण सूखा पड़ने पर एक व्यापारी से गरीब जनता से अनाज देने का निवेदन किया, पर उनके न मानने पर उनके गोदाम से अनाज को निकलवा कर गरीब जनता को बटवा दिया। उनके इस कार्य को अंग्रेजों ने अपराध माना और उसे जेल में बंद कर दिया। बाद में वे जेल से भाग निकले और स्वयं की सेना बनाकर अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह किया। कुछ समय पश्चात उनकी सेना युद्ध हार गई और उन पर मुकदमा चलाया गया और शहीद वीर नारायण सिंह को फांसी की सजा दी गई। आज शहीद वीर नारायण सिंह हमारे बीच नहीं है परंतु उनकी स्मृतियां और उनका जीवन हमें प्रेरणा देती है। इस अवसर पर राज्यपाल की उप सचिव श्रीमती रोक्तिमा यादव एवं नियंत्रक श्री हरबंश मिरी उपस्थित थे।

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