चुटका प्रभावितों द्वारा दादा हीरा सिंह मरकाम को दी श्रद्धांजलि
मंडला। गोंडवाना समय।
विगत दिनों गोंड आदिवासीयों को संगठित और प्रेरित करने वाले दादा हीरा सिंह मरकाम जी का 79 वर्ष की आयु में निधन हो गया, वो पिछले दो वर्षो से बीमार थे। दादा ने गोंडी भाषा, संस्कृति, पहचान और अस्मिता के लिए समाज को संगठित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया था। आदिवासी क्षेत्रों में कारपोरेट द्वारा जल-जंगल-जमीन और खनिज को पर कब्जा करने के विरोध में आदिवासीयों के बीच व्यापक जन जागृति एवं संगठन निर्माण का कार्य किया। संघर्ष के साथ आपने निर्माण कार्य के माध्यम से रोजगार सृजन के महत्व को समझाया। इस कार्य से गोंड आदिवासी प्रभावित होकर हजारों की संख्या में जुङे। बरगी बांध विस्थापितों की दुर्दशा देखकर काफी भावुक हो गए थे। उन्होंने कहा था कि चुटका परमाणु परियोजना को क्षेत्र में नहीं आने देंगे, चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े।
हम क्षेत्र के लोग उनके प्रत्यक्ष योगदान नहीं भूल सकते हैं
दादा को याद करते हुए 31 अक्तूबर 2020 को चुटका गांव में श्रद्धांजलि देने आसपास गांव के लोग एकत्रित हुए। चुटका परमाणु विरोधी संघर्ष समिति के अध्यक्ष दादु लाल कुङÞापे ने दादा हीरा सिंह मरकाम जी को याद करते हुए कहा कि उन्होंने चुटका परमाणु परियोजना को निरस्त करवाने हेतु पूर्ण समर्थन दिया था। इसी तारतम्य में उनका 2012 को प्रभावित गांव कुंडा और 2015 में चुटका आना हुआ था। हम क्षेत्र के लोग उनके प्रत्यक्ष योगदान नहीं भूल सकते हैं। उनका इस संघर्ष का समर्थन हम लोगों को प्रेरणा देता रहेगा। नारायणगंज जनपद के जनपद सदस्य बबलू सोयाम ने उन्हे स्मरण करते हुए कहा कि आदिवासीयों को अपने अधिकारों के प्रति सजग और संगठित करने में उनकी महती भूमिका रही है। अब यह जवाबदारी हमारे युवा पीढीयों के सामने चुनौती है। इस कार्यक्रम को सरपंच फुलचंद ककोड़िया, सरपंच दयाल सिंह ककोडिया, प्रेम सिंह नररेती, दान सिंह उइके, जगन्नाथ सोयाम, सुमरत बरकङÞे, जीवन कुंजाम, नीरज कुंजाम, हनुमंत कुंजाम, बराती लाल बरकङे, मीरा बाई मरावी, गुलाब सिंह मरकाम, अच्छे लाल बरकङे, मुन्ना यादव, मुन्ना बर्मन, नवरत्न दुबे आदि ने संबोधित किया।