वर्तमान सरकारों की आदिवासियों के प्रति नीति एवं नियत में खोट दशार्ता है
बदनावर जयस द्वारा प्रतिवषार्नुसार इस वर्ष भी क्रांतिकारी बिरसा मुंडा जयंती मनाई गई
बदनावर। गोंडवाना समय।
बदनावर जयस द्वारा ग्राम पांदा से खिलाड़ी, फुलेड़ी, से सिलोदा खुर्द होकर कड़ोद होते हुए रानीपुरा, साहेब नगर, बिड़वाल कोद बुल्गारी से दो पहिया वाहन रेली निकालकर ग्राम नागझिरी में समाप्त की गई । बड़ी संख्या में युवा उपस्थित रहे। नागझिरी में सभा का आयोजन कर युवाओ द्वारा बिरसा मुंडा के संघर्ष से अवगत कराया। बिरसा मुंडा द्वारा 25 वर्ष की उम्र में अंग्रेजो से लड़ते हुए उनके द्वारा दी गई यातना के बाद जेल में सजा के दौरान शहीद हो गए।
बिरसा मुंडा बनने की है जरूरत
इतनी कम उम्र में बिरसा मुंडा ने आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन के संरक्षण के लिए अंग्रेजो से कानून बनाया। जो आज सविधान में 5 वी, 6 टी अनुसूची के रूप में दर्ज है परंतु आजादी के बाद भी 5 वी अनुसूची का क्रियान्वयन नहीं होना वर्तमान सरकारों के आदिवासियों के प्रति नीति एवं नियत में खोट दशार्ता है। वर्तमान में भी इन अधिकारों कि प्राप्ति के लिए बिरसा मुंडा बनने की जरूरत महसूस होती है। इस अवसर पर माताएं बहने बड़े बुजुर्ग सहित सामाजिक कार्यकर्ता मोहनलाल वसुनिया जयस जिला प्रभारी, जयस कार्यकारी अध्यक्ष लाल सिंह मेड़ा उपस्थित रहे। कार्यक्रम के संबंध में जानकारी संतोष मुनिया जयस संरक्षक बदनावर द्वारा दी गई ।