मध्यप्रदेश में 40% वनों को 30 साल के लिए निजीकरण करने व आदिम जाति कल्याण विभाग का नाम परिवर्तन करने को लेकर जयस संगठन में आक्रोश
जयस युवाओ ने दिया राज्यपाल के नाम निवास एसडीएम को सौंपा ज्ञापन
निवास। गोंडवाना समय।
जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) मध्यप्रदेश निवास मण्डला एवं के द्वारा महामहिम राज्यपाल के नाम से अनुविभागीय अधिकारी निवास को मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के 40% वनों को 30 साल के लिए निजीकरण करने का जो निर्णय लिया गया एवं वर्तमान सरकार ने आदिम जाति कल्याण विभाग का नाम जनजाति कार्य विभाग कर दिया गया है। जिसे पुन: आदिम जाति कल्याण विभाग किया जाएं, जिसको लेकर जयस युवाओं ने प्रदेश स्तरीय जिला मुख्यालयों, तहसील मुख्यालयों पर ज्ञापन सौंपा गया।
पीपीपी मोड में विकसित करने की योजना तैयार की जा रही
राज्य सरकार द्वारा वनग्रामवासियो को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने एवं संविधान प्रचलित कानून नियमो,न्यायालयीन आदेशों कि अवहेलना कर बिगड़े वनो के नाम पर निजी निवेश हेतु जारी आदेश क्रमांक एफ-2/3620 दिनाकं 20/10/2020 वन मुख्यालय सतपुड़ा भवन भोपाल म.प्र.को निरस्त करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा गया है। जिसमें संदर्भ के साथ पत्र क्रमांक एफ-2/3620 दिनाकं 20/10/2020,वन मुख्यालय, सतपुड़ा भोपाल म.प्र. एवं राजेश श्रीवास्तव पीसी सीएफ म.प्र. के वक्तव्य विभाग द्वारा बिगडेÞ वनो को पीपीपी मोड में विकसित करने की योजना तैयार की जा रही है। यहां जलवायु परिवर्तन से होने वाले दुष्प्रभावो को कम करने, राज्य के जंगलो की पारिस्थितिकी मे सुधार करने और आदिवासियों की आजीविका को सुदृढ किया जाएगा के संबध में निवेदन किया गया है।
उक्त आदेश की कटु निंदा कर निरस्त करने की मांग
जयस द्वारा सौंपे गये ज्ञापन में 1. प्रधान मुख्य वनसंरक्षक वन मुख्यालय सतपुड़ा भवन भोपाल म.प्र.द्वारा संदर्भित आदेश संविधान प्रचलित कानून,न्यायलयीन आदेश एवं राज्य शासन द्वारा जारी आदेश का परीक्षण किए बिना ही जारी किया गया है। जिससे प्रदेश के लाखो आदिवासियों/वन निवासियों के समक्ष जीवन का संकट पैदा हो गया है। उक्त आदेश की हम कटु निंदा करते हुए उक्त आदेश को त्वरत निरस्त करने की मांग की गई है, वहीं दूसरे बिंदु पर जयस द्वारा मांग की गई है कि वन मुख्यालय द्वारा प्रतिवेदित 94689 वर्ग किमी. वन क्षेत्र मे से 37420 वर्ग किमी. बिगडे वन क्षेत्र से संबधित विभागीय अभिलेख, दस्तावेज,अधिसूचना,और भा.व.अ. 1927 फॉरेस्ट मैनुएल एवं वर्किंग प्लान कोड के प्रावधानों का प्रधान मुख्य वन संरक्षक,वन मुख्यालय सतपुड़ा भवन भोपाल मध्यप्रदेश ने दिनाकं 20/10/2020 जारी करने के पूर्व परीक्षण नही किया,बल्कि इन सभी को अमान्य एवं उपेक्षा कर उपरोक्त पत्र दिनाकं 20/10/2020 जारी किया।
सिफारिश एवं दिए गए सुझावो की उपेक्षा कर दिनाकं 20/10/2020 को पत्र जारी किया
जयस द्वारा ज्ञापन के तीसरे बिंदु में यह कि वन मुख्यालय द्वारा प्रतिवेदित 94689 वर्ग किमी. क्षेत्र मे से 37420 वर्ग किमी. बिगडे वन क्षेत्र से संबधित भारतीय संविधान मे किए गए पहले संशोधन एवं 73 वें संशोधन, संविधान की 11 वी अनुसूची,भू राजस्व संहिता 1959 उसमे किए गए पहले संशोधन,पेसा कानून 1996 एवं वन अधिकार कानून 2006 के प्रावधानों को भी अमान्य कर उनकी भी उपेक्षा की गई है। वहीं ज्ञापन के चौथे बिंदु पर वन मुख्यालय मे राज्य मंत्रालय द्वारा भा.व.अ.1927 की धारा 5 से 19 तक की लंबित जांच बावत जारी आदेश, निर्देश, वनखंड एवं वर्किंग प्लान मे शामिल कर ली गई निजी भूमियो से संबधित जारी आदेश एवं निर्देश,समुदायिक वन अधिकारो से संबधित जारी आदेश निर्देश, डिनॉटीफाइड की गई भूमियो से संबधित जारी आदेश एवं निर्देश की उपेक्षा कर उन्हें अमान्य कर बिगड़े वनो मे निजी निवेश बावत पत्र दिनाकं 20/10/2020 जारी किया गया है वहीं ज्ञापन के पांचवे बिंदु पर वन मुख्यालय ने अतिरिक्त मुख्य सचिव वन विभाग म.प्र.शासन की अध्यक्षता मे गठित आॅरेंज एरिया टास्क फोर्स कमेटी की दिनाकं 6 फरवरी 2020को प्रस्तुत रिपोर्ट मे की गई सिफारिश एवं दिए गए सुझावो की उपेक्षा कर दिनाकं 20/10/2020 को पत्र जारी किया है।
महत्वपूर्ण वैधानिक आवश्यक जानकारी उपलब्ध नही है
जयस द्वारा सौंपे गये ज्ञापन में 6 बिंदु पर वन मुख्यालय ने श्री प्रकाश जावडेकर वनमंत्री भारत सरकार एवं श्री अर्जुन मुंण्डा जनजातीय कार्य मंत्री द्वारा 10 अगस्त 2020 को हुई बैठक मे लिए गए निर्णय एवं पर्यावरण, वन, मंत्रालय भारत सरकार द्वारा फाइल क्रमांक 4-2/2012 एफ-पी मे दिनाकं 7 सितंबर 2020 को जारी आदेश की उपेक्षा कर दिनाकं 20/10/2020 को पत्र जारी किया गया है वहीं जयस द्वारा सौपे गये ज्ञापन के सातवे बिंदु पर वन मुख्यालय सतपुड़ा भवन भोपाल अपने अधिनस्थ क्षेत्रीय वनवृत्त, कार्य योजना वनवृत एवं सामान्य वन मंण्डलो पर पर्याप्त नियंत्रण नही रख पाया, निगरानी की समुचित व्यवस्था भी नहीं कर पाया स्वयं द्वारा प्रतिवेदित 94689 वर्ग किमी. वन क्षेत्र मे से 37420 वर्ग किमी. बिगड़े वन क्षेत्र से संबधित आवश्यक अभिलेखीय जानकारी भी आज तक सकलित नही कर पाया, जानकारी राज्य के मुख्यमंत्री एवं मंत्रीमण्डल,राज्य की विधानसभा एवं विधायको के समक्ष राज्य की न्यायपालिका एवं राजभवन के समक्ष भी प्रस्तुत नही किया गया। वहीं जयस द्वारा ज्ञापन के 8 बिंदु पर यह कि भा.व.अ.1927/ की धारा 4 के तहत 1988 मे अधिसूचित कितने वनखंण्डो के प्रकरण वन व्यवस्थापन अधिकारी कार्यालय मे उपलब्ध है। यह महत्वपूर्ण वैधानिक आवश्यक जानकारी उपलब्ध नही है।
यह भी जानकारी वन मुख्यालय के पास उपलब्ध नहीं है
जयस द्वारा सौंपे गये ज्ञापन के नौवे यह कि धारा 4 के तहत 1988 मे अधिसूचित कितने वनखण्ड़ो में कितनी भू-स्वामी हक पर दर्ज भूमि शामिल हैं, कितनी गैर संरक्षित वन भूमि शामिल हैं, कितनी अहस्तानान्तरित भूमि शामिल हैं कितनी जंगल मद में दर्ज भूमि शामिल हैं, कितनी गैर जंगल मद में दर्ज भूमि शामिल हैं, कितनी सामुदायिक, पारम्परागत, रूढ़िक अधिकारों के लिए दर्ज भूमि शामिल है, कितनी सार्वजनिक एवं निस्तारी प्रयोजनों के लिए दर्ज भूमि शामिल हैं, इसकी कोई जानकारी आज तक संकलित ही नहीं कि गई। वहीं जयस द्वारा सौपे गये ज्ञापन के दसवे बिंदु में यह कि भा.व.अ.1927 की धारा 20 के अनुसार राजपत्र में आरक्षित वन अधिसूचित किए बिना एवं धारा 29 के अनुसार राजपत्र में संरक्षित वन अधिसूचित किए बिना कितने वनखण्डो में शामिल कितनी भूमियों को वर्किंग प्लान में शामिल किया जाकर आरक्षित वन एवं संरक्षित वन प्रतिवेदित किया जा रहा है,यह भी जानकारी वन मुख्यालय के पास उपलब्ध नहीं है।
अन्य संवैधानिक स्थानों व राजभवन के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गई
जयस द्वारा सौंपे गये ज्ञापन के ग्यारहवे बिंदु में यह कि वन विभाग द्वारा गठित हूं प्रबन्ध इकाइयों के द्वारा 1950 से संरक्षित वन भूमि से संबंधित की गई कार्यवाहियों के दौरान बताई गई सर्व डिमार्केशन रिपोर्ट, क्षेत्रफल पंजी,ब्लॉक हिस्ट्री, सर्वे कम्पलीशन रिपोर्ट एवं वर्किंग स्कीम में दर्ज ब्यौरो की कोई जानकारी वन मुख्यालय ने आज तक संकलित नहीं की, यह अभिलेख किस वनमंण्डल में उपलब्ध है, किस वनमण्डल में कौन सा अभिलेख उपलब्ध नहीं है इसकी भी कोई जानकारी वन मुख्यालय ने संकलित कर आज तक राज्य राज्य के मुख्यमंत्री एवं मंत्रीमंडल के समक्ष, राज्य की विधानसभा एवं विधायकों के समक्ष राज्य की न्यायपालिका एवं राजभवन के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गई। वहीं जयस द्वारा सौंपे गये ज्ञापन के बारहवे बिंदु में यह कि भा.व.अ.1927 की धारा 29 एवं धारा 34 अ के अनुसार वन संरक्षण कानून 1980 लागू किए जाने तक राज्यपत्र पर अनूसूचित की गई भूमियों को 1980 के बाद परीक्षण किए बिना धारा 29 एवं धारा 34 अ में दोबारा राजपत्र में अधिसूचित किए जाने की पूर्ण अवैधानिक कार्यवाही की जानकारी भी वन मुख्यालय ने संकलित नहीं की, सार्वजनिक नहीं की, इस विभागीय गलती को सुधारने जाने का एक भी प्रयास नही किया गया।
कम्पार्टमेंट हिस्ट्री मे भी उनका कोई उल्लेख नही किया गया
जयस द्वारा सौपे गये ज्ञापन के तेरहवे बिंदु में यह कि वर्किंग प्लान, एरिया रजिस्टर एवं वनकक्ष मानचित्रों मे शामिल आर.एफ.एवं पी एफ वनखण्डो में दर्ज बताई जा रही कितनी भूमि से संबधित प्रचलित अधिकार विभिन्न शासकीय अभिलेखों मे दर्ज अधिकार आर.एफ.एवं पी एफ एरिया रजिस्टर मे दिए नहीं किए गए, कम्पार्टमेंट हिस्ट्री मे भी उनका कोई उल्लेख नही किया गया लेकिन इस महत्वपूर्ण संवैधानिक एवं वैधानिक विषय पर वन मुख्यालय जानकारी संकलित कर अधिकारो को दर्ज करवाए जाने की कोई कार्यवाही नही कर पाया। जयस द्वारा सौपे गये ज्ञापन के चौदहवे बिंदु में वन मुख्यालय द्वारा प्रतिवेदित 94689 वर्ग किमी.वन क्षेत्र मे से 37420 वर्ग किमी. बिगडे वन क्षेत्र मे होने वाली लघु वनोपज या गौण वन उत्पाद और उनसे संबधित भारतीय वन अधिनियम 1927, वन संरक्षण कानून 1980,संविधान के 73 वें संशोधन एवं 11 वी अनुसूची, पेसा कानून 1996,वन अधिकार कानून 2006 मे दिए गए प्रावधानों से संबधित कोई भी जानकारी आज तक संकलित नही की गई, सार्वजनिक भी नही की गई, पत्र दिनाकं 20/10/2020 में उन्हें लेकर कोई आवश्यक निर्देश भी नही दिए गए।
शासकीय धन का बड़े पैमाने का दुरुपयोग वअपव्यय किया है
जयस द्वारा सौंपे गये ज्ञापन के पंद्रहवे बिंदु में यह कि वन मुख्यालय सतपुड़ा भवध भोपाल ने समस्त संवैधानिक एवं वैधानिक प्रावधानों,विभागीय कानून, मैनुअल एवं कोड, विभागीय अभिलेख, दस्तावेज एवं मानचित्रों का परीक्षण किए बिना ही, लम्बित कार्यवाहियों को पूर्ण किए बिना ही दोहराई गई विधि विपरीत कार्यवाहियों मे आवश्यक सुधार किए बिना ही, वर्किंग प्लान में प्रतिवेदित आर.एफ.एवं पी.एफ. क्षेत्र का कम्यूटीकरण एवं डिजीटाइजेशन कर शासकीय धन का बड़े पैमाने का दुरुपयोग वअपव्यय किया है। जयस द्वारा सौंपे गये ज्ञापन के सौलहवे बिंदु में यह कि वन मुख्यालय सतपुडा भवन भोपाल वन संरक्षण कानून 1980 लागू किए जाने के बाद से पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार, भारतीय वन सर्वेक्षण देहरादून से भी उपरोक्त समस्त कार्यवाहियों एवं जानकारियों को छुपाते आया है, दबाते आया है गलत जानकारियां प्रस्तुत करते आया है।
तत्काल निरस्त करने की याचना
राज्यपाल से प्रदेश के आदिवासी/वन निवासी जन याचना करते हुये मांग किया है कि श्री राजेश श्रीवास्तव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक मध्यप्रदेश शासन वन मुख्यालय सतपुड़ा भवन भोपाल द्वारा दिनाकं 20 अक्टूबर 2020 को बिगडे वनो में निवेश से संबधित पत्र क्रमांक एफ-2/3620 तत्काल निरस्त करने की याचना करते हैं, साथ ही प्रदेश के आदिवासियों/वननिवासियों के विरुद्ध सरकार के अन्यायपूर्ण कार्यवाहियों, बेदखली इत्यादि से संरक्षण की याचना किया है।
ज्ञापन सौंपते समय ये रहे मौजूद
महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री जनजातीय कार्य विभाग भारत सरकार, राष्ट्रीय जनजातीय आयोग भारत सरकार, राज्य जनजातीय आयोग मध्यप्रदेश, मंत्री आदिम जाति कल्याण विभाग मध्यप्रदेश, के नाम जयस द्वारा ज्ञापन सौंपते समय दादू लाल धुर्वे, जयस के जिला अध्यक्ष गोपाल सिंह उरेर्ती, जी एस यू ब्लॉक अध्यक्ष राहुल धूमकेती, जयस ब्लॉक अध्यक्ष जनक सिंह वरकड़े, ललित धुर्वे, कंधी कोकड़िया, मोहन कुलस्ते ,ओम प्रकाश कुलस्ते, बिशन मरावी, सुखना कुंजाम, वीर सिंह वरकड़े, प्रशांत वरकड़े , शिवेंद्र अंशु परधान, हिमांशु धूमकेती, हरीश चंद्र वरकडेÞ, सौरभ परते, शुभांशु परस्ते, रोहित मरावी, पंकज वरकड़े, पंकज मार्को, लोकेंद्र वरकडे, हर्ष धूमकेती, समस्त सदस्य गण शामिल हुए।