आखिर क्यों जूनियर डॉक्टरों की जिंदगी को लेकर चिंतित नहीं है सरकार ?
मुनाफा कमाने में भर ध्यान दे रहे करार वाले निजी अस्पताल
डॉ प्रवेश मरावी का हुआ दु:खद निधन
इंदौर/सिवनी। गोंडवाना समय।
देश में कोरोना संक्रमित मरीजों के ठीक होने के आंकड़े जिस तरह प्रस्तुत किये जा रहे है, उसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण योगदान चिकित्सकों का ही है। वहीं कोरोना संक्रमित मरीजों के लिये सरकारी अस्पताल हो या निजी मेडिकल संस्थान वहां पर जूनियर चिकित्सक ही कोरोना संक्रमित मरीजों का उपचार में मुख्य भूमिका निभा रहे है। हम यदि देखे तो कोरोना यौद्धा के रूप में अपनी जान को जोखिम में डालकर दूसरों का जीवन बचाने वाले चिकित्सकों की भी स्थिति सरकार के द्वारा करार किये गये निजी अस्पतालों में सुरक्षित नहीं है।
मृत्यू के बाद परिवार के भविष्य की चिंता कोरोना यौद्धा के रूप में निजी अस्पतालों में तैनात चिकित्सकों को यदि कोरोना संक्रमण हो जाये इसके बाद यदि उनकी मृत्यू हो जाये तो उसके पश्चात चिकित्सक के परिजनों को आर्थिक राशि न देना पड़े ताकि सरकार का खजाना न खाली हो तो इसके लिये वातानुकूलित कक्षों में बैठकर सरकार और सत्ताधारियों को चलाने वाले आईएएस अफसरों का दिमाग भी इसके लिये निजी अस्पताल के प्रबंधकों के साथ मिलकर बखूबी चलाया जा रहा है। बीमा कंपनी भी इस तरह की स्थिति से मुनाफे में है नुकसान हो रहा तसे उन जूनियर चिकित्सकों की जिंदगी का और उनके परिवार के सुरक्षित भविष्य का, जिसे लेकर सरकार भी चिंतित नहीं नजर आ रही है।
डॉ प्रवेश मरावी का अरविंदों में हुआ निधन
हम आपको बता दे कि देश ने एक ओर युवा होनहार डॉक्टर खो दिया है। डॉ प्रवेश मरावी जो कि अरविंदों में अपनी सेवा दे रहे थे। वह मूलत: सिवनी जिले के केवलारी ब्लॉक के पुतर्रा गांव का परिवार से संबंधित है। उनका दुखद निधन बीते दिनों कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार के लिये मध्य प्रदेश सरकार द्वारा करार किये गये अरविंदों मेडिकल में हो गया है। बताया जाता है कि वे पहले कोरोना संक्रमित हुये थे और उपचार के बाद डॉ प्रवेश मरावी ठीक हो गये थे। इसके बाद वहीं पर सेवा देते हुये उन्हें कुछ दिनों के बाद अन्य शारीरिक तकलीफ हुई जिसके बाद उनका उपचार अरविंदों में ही किया गया जहां उनकी दुखद मृत्यू हो गई।
जूनियर डॉक्टरों की जिंदगी और परिवार के भविष्य पर सरकार दे विशेष ध्यान
डॉ प्रवेश मरावी की मृत्यू के बाद जूनियर डॉक्टरों की सुरक्षा व उनके उपचार को लेकर सवाल उठ रहे। सरकार द्वारा करार किये गये निजी अस्पतालों में जूनियर डॉक्टर ही कोरोना संक्रमित मरीजों का उपचार कर रहे है, इसलिये उनके सबसे ज्यादा प्रभावित होने की आशंका है और जूनियर चिकित्सक कोरोना संक्रमण के शिकार भी हो रहे है।
ऐसी स्थिति को देखते हुये सरकार को जूनियर चिकित्सकों के उपचार के लिये विशेष सावधानी व विशेष रूप से उपचार व्यवस्था आदि करने के लिये निजी अस्पतालों में विशेषकर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि जूनियर चिकित्सक जो कोरोना यौद्धा के रूप में अपनी जीवन को खतरे में डालकर सेवा दे रहे है उनका जीवन सुरक्षित रहे और उनका परिवार भी सुरक्षित रहे।
इसके साथ ही जूनियर डॉक्टर की यदि सरकार द्वारा किये करार वाले अस्पतालों में सेवा के दौरान मृत्यू हो जाती है तो उनके परिवारजनों को कोरोना यौद्धा के रूप में आर्थिक राशि दिये जाना चाहिये ताकि मृतक चिकित्सक परिवार भविष्य को लेकर चिंतित न रहे।