महिषासुर का वध करते हुए न दिखाये जाने एवं दशहरा में राजा रावण के दहन पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाये जाने सौंपा ज्ञापन
सर्व आदिवासी समाज परासिया ने अनुविभागीय अधिकारी को सौंपा ज्ञापन
अनिल उईके जिला संवाददाता
छिंदवाड़ा/परासिया। गोंडवाना समय।
सर्व आदिवासी समाज परासिया द्वारा 10 सितंबर 2020 को अनुविभागीय दंडाधिकारी परासिया को महामहिम राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया। सर्व आदिवासी समाज के द्वारा सौंपे गये ज्ञापन में उन्होंने बताया कि सिंह पर सवार दुर्गा जी की प्रतिमा के समक्ष मूलवंशी राजा महिषासुर का वध करते हुए ना दिखाया जाये एवं दशहरा में आदिवासी वंशज राजा रावण के दहन पर पूर्णत प्रतिबंध लगाए जाने की मांग किया है।
इस संबंध में ज्ञापन में उन्होंने 5 बिंदुओं पर पर मांग किया
सर्व आदिवासी समाज द्वारा सौंपे गये ज्ञापन में प्रथम बिंदु पर उल्लेख किया है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यहां पर हर जाति सांप्रदाय के लोग निवास करते हैं। यहां पर हर धर्म और संस्कृति का आदर सम्मान किया जाता है। सर्व आदिवासी समाज रावण कुंभकरण और महिषासुर को अपने वंशजों के रूप में याद करते हैं। इसलिए इनका दहन करना हमारे वंशजों का घोर अपमान है। इसके साथ अपने दूसरे बिंदु पर हम इस देश के मूल निवासी आदिवासी संस्कृति को मानते हैं इसलिए रावण कुंभकरण और मेघनाथ हमारे वंशज हैं और हम उनमें आस्था रखते हैं। इसलिए आदिवासी संस्कृति की धरोहर हमारे वंशजों को ना जलाया जावे और ना ही किसी अन्य को उन्हें जलाने की अनुमति दी जावे, वहीं तीसरे बिंदु में दुर्गा जी की प्रतिमा के समक्ष महिषासुर का वध करते हुए दिखाया जाता है। जिससे सर्व आदिवासी समाज में आक्रोश व्याप्त है, दुर्गा जी की प्रतिमा के समक्ष महिषासुर का वध करते हुए ना दिखाया जाए, सर्व आदिवासी समाज द्वारा दिये गये ज्ञापन में चौथे बिंदु पर उन्होने उल्लेख किया की संविधान की पांचवी अनुसूची के भाग 10, 244 ए के तहत आदिवासी समाज को मिले अधिकार के मुताबिक आदिवासी समाज के वंशजों को दानव के नाम से संबोधित करना गैर कानूनी अपराध एवं देशद्रोही की श्रेणी में आता है। वहीं पांचवे बिंदु पर रावण दहन करने वालों पर आईपीसी की धारा 153 ए, 295, 295 एवं 298 के तहत एफ आई आर दर्ज करने की मांग करते हुए राज्यपाल से निवेदन किया है कि सर्व आदिवासी समाज की मांगों को ध्यान में रखते हुए दुर्गा जी की प्रतिमा के समक्ष महिषासुर वध करते हुए ना दिखाया जाए एवं दशहरा में राजा रावण के दहन पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया जाए।
ज्ञापन के दौरान ये रहे उपस्थित
सुनील अहके, संतोष काकोड़िया, राजेन्द्र राज प्रधान, अरविंद अहके, मनदीप अहके, इंद्रपाल कुमरे, सोविंद मरकाम, छोटू धुर्वे, तुलसी धुर्वे, विनोद परतेती, रामदयाल भलावी, यशपाल कुमरे, गोपाल कोरपाची, आत्माराम परानी, अजय वरकड़े, प्रदीप अहके, हरिशंकर मर्सकोले, एवं समस्त आदिवासी समाज उपस्थित रहे।