आदिवासियों की जमीन खरीद-बिक्री कानून में बदलाव का विरोध तेज
रमन सरकार की गड़बड़ियों को भूपेश सरकार संवैधानिक जामा पहनाने की कर रही तैयारी
रायपुर। गोंडवाना समय।
आदिवासियों की जमीन की खरीद-बिक्री के लिए कानून में बदलाव के प्रस्ताव का बड़े स्तर पर विरोध शुरू हो गया है। वर्तमान कानून के तहत आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों द्वारा नहीं खरीद जा सकती। छत्तीसगढ़ में सरकार ने विकास की संभावनाओं को तलाशने के उद्देश्य से कानून में संशोधन के लिए छह आदिवासी विधायकों की कमेटी का गठन किया है। सामाजिक संगठनों ने इसे जनविरोधी बताते हुए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला का कहना है कि रमन सरकार में जो गड़बड़ियां होने वाली थीं, उसे बघेल सरकार संवैधानिक जामा पहनाने जा रही है। इसलिए सरकार ने विधायकों की कमेटी बनाई है।
कॉपोर्रेट लूट का रास्ता किया जा साफ
सीबीए संयोजक आलोक शुक्ला का कहना है कि सरकार द्वारा गठित कमेटी को रमन सरकार के कार्यकाल में हुए गैर कानूनी जमीन हस्तांतरण को वापस कराने का काम करना चाहिए। इसके विपरीत पुराने हस्तांतरण को ही कानूनी मान्यता देकर और आदिवासियों की जमीन के लिए कॉपोर्रेट लूट का रास्ता साफ किया जा रहा है। पांचवीं अनुसूची में स्पष्ट है कि आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासी नहीं खरीद सकते हैं। इससे आदिवासी भूमिहीन हो जाएंगे। ऐसे में प्रदेश सरकार संशोधन प्रयास संविधान की मूल मंशा के खिलाफ है। सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश महासचिव नवल मंडावी ने कहा कि सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि भू राजस्व संहिता की किन-किन धाराओं में संशोधन करना चाहती है। सरकार की मंशा आदिवासी हितों के खिलाफ होगी, तो उसका विरोध किया जाएगा। पिछली भाजपा सरकार में भी आपसी सहमति से जमीन लेने के अधिकार का सर्व आदिवासी समाज ने विरोध किया था।
शहरी क्षेत्र में कलेक्टर की अनुमति से होती है खरीदी
सर्व आदिवासी समाज के नेताओं ने कहा कि आदिवासियों की शहरी क्षेत्र की जमीन की खरीदी-बिक्री कलेक्टर की अनुमति से होती है। ऐसे में स्पष्ट होना चाहिए कि संशोधन पूरे प्रदेश में लागू होगा या फिर सिर्फ शहरी क्षेत्र में। इसके साथ ही संशोधन कमेटी में आदिवासियों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
कमेटी में ये विधायक है शामिल
बस्तर-सरगुजा के आदिवासी विधायक कमेटी में सरकार ने जनजातीय समुदाय के हित में भू-राजस्व की धाराओं में संशोधन करने के संबंध में उप समिति गठित की है। इसमें बस्तर और सरगुजा के आदिवासी विधायकों को शामिल किया गया है। उप समिति में विधायक मोहन मरकाम, चिंतामणी महराज, इंद्रशाह मंडावी, लक्ष्मी धु्रव, लालजीत राठिया और शिशुपाल सिंह सोरी शामिल हैं।