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राजेश्वरी कुशराम विक्रम अवार्ड से हुई सम्मानित, लगन व कड़ी मेहनत से पानी में तलाशा भविष्य

राजेश्वरी कुशराम विक्रम अवार्ड से हुई सम्मानित, लगन व कड़ी मेहनत से पानी में तलाशा भविष्य 

माता-पिता, परिवार, समाज, जिला-प्रदेश व देश का नाम राजेश्वरी कुशराम ने किया गौरवांवित 


संपादक विवेक डेहरिया
डिंडौरी। गोंडवाना समय। 

कहते है कि पानी से पार पाना बहुत मुश्किल होता है लेकिन उसी पानी में मेहनत कर सम्मान पाना भी कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है, इसे आसान बनाने का काम जनजाति बाहुल्य मध्य प्रदेश की जनजाति बाहुल्य जिला डिंडौरी के बजाग ब्लॉक के छोटे गांव की जनजाति समुदाय की बेटी राजेश्वरी कुशराम ने मेहनत व सच्ची लगन से करके बताया है। हम आपको बता दे कि राष्ट्रीय खेल के दिवस के पानी में खेले जाने वाले खेल के कारण वह सम्मानित तो हुई है साथ में, अब राजेश्वरी कुशराम ने अपना भविष्य भी पानी के सहारे बनाने का फैसला कर लिया है। 

किसान परिवार में जन्मी राजेश्वरी कुशराम 


जनजाति समुदाय की बेटी कु. राजेश्वरी कुशराम केनोइंग-कयाकिंग, राज्य स्तरीय विक्रम पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। जहां जनजाति समुदाय में तो प्रसन्नता व्याप्त है, जनजाति बाहुल्य मध्य प्रदेश व जनजाति बाहुल्य जिला डिंडौरी के लिये गौरव की बात है। हम आपको बता दे कि मेहनत किसान पिता अजय कुशराम व मां श्रीमती फगनी बाई कुशराम के यहां पर जन्मी राजेश्वरी कुशराम का जन्म बजाग विकासखंड के ग्राम पंचायत किकरा तालाब के पोषक ग्राम डूमर टोला में वर्ष 4 अप्रैल 1995 को हुआ था। बचपन से ही राजेश्वरी कुशराम को तैराकी का बहुत शौक था एवं खेल में बेहद रूचि रखती थी। 

टैलेंट सर्च कांपटीशन में हुआ था चयन 


पहली बार राजेश्वरी कुशराम का चयन विकासखंड करंजिया के ग्राम मोहतरा में कक्षा 9 वी में अध्ययन के दौरान वर्ष 2013 में टैलेंट सर्च कांपटीशन जिसमें लगभग 23 बच्चों को लिया गया था। जिसमें मात्र 3 बच्चों का सिलेक्शन हो पाया था जिसमें राजेश्वरी कुशराम भी शामिल थी। उस दौरान कोच के रूप में आरती सौंधिया, चेतराम सर, मोहन सर का अच्छा सहयोग मिला। उसी दौरान भोपाल ट्रेनिंग के लिये गई थी लेकिन किन्ही कारणों से राजेश्वरी को अपने ग्रह ग्राम किकरा तालाब आना पड़ा था। उसके बाद पुन: कक्षा 10 कक्षा की पढ़ाई हाईस्कूल मोहतरा में कर दोबारा राज्य वाटर स्पोर्ट्स एकेडमी भोपाल में जाकर नौकायन की ट्रेंनिग के साथ अपना भविष्य का लक्ष्य तय कर आज वह प्रमाण बन चुकी है। 

हम रास्ता बता सकते है तुम्हे चलना खुद होगा 


खेल एवं युवा कल्याण भोपाल विभाग के अंतर्गत टी टी नगर स्टेडियम रहकर टेÑनिंग हुई। इस दौरान वहां पर कोच देवेन्द्र गुप्ता सर, अंकुश सर सहित 5 कोच प्रशिक्षकों ने बहुत सहयोग कर सिखाते हुये सीख भी दिया। सीखने के दौरान समस्या आने पर पूछने पर उनका कहना रहता था कि हम रास्ता बता सकते है लेकिन तुम्हे खुद चलना होगा तो इसके लिये मैं हमेशा तैयार रहती थी। मेहनत करने में कभी कमी नहीं किया यही सफलता का राज है। 

राजेश्वरी  कुशराम का अंतराष्ट्रीय स्तर में यह रहा स्थान 


राजेश्वरी कुशराम ने गोंडवाना समय से चर्चा के दौरान बताया कि मुझे टेÑनिंग के दौरान प्रशिक्षकों के द्वारा पूरी तरह से सपोर्ट किया गया जिसके कारण मैं आज इस मुकाम तक पहुंच पाई हूं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 में वह फ्रांस में भाग लिया था। उसके बाद वर्ष 2017 में चायना में भाग लिया था। इसके बाद वर्ष 2017 में ही वर्ल्ड चैम्यिनशिप थाईलैंड में भाग लेने का अवसर मिला था। उसके बाद वर्ष 2018 में चायना में भाग लिया था और वर्ष 2018 में ही इंडोनेशिया में भाग लिया था। 

राष्ट्रीय स्तर पर 18 गोल्ड ओर 3 सिल्वर 


राष्ट्रीय स्तर पर राजेश्वर कुशराम ने अनेक स्थानों में देश भर में अपने खेल का प्रदर्शन कर प्रतियोगिता में भाग लेकर मुकाम पाया है। देश में प्रमुख रूप से राजेश्वरी कुशराम ने 18 गोल्ड और 3 सिल्वर मेडल जीतने में कामयाबी पाई है। 

राजेश्वरी का परिवार में सबने बढ़ाया उत्साह 

राजेश्वरी कुशराम ने गोंडवाना समय से चर्चा के दौरान बताया कि वह आज बहुत खुश है। इसके लिये मेरे माता-पिता का बहुत ही बड़ा सहयोग रहा है। वहीं मेरा हौंसला बढ़ाने में सबसे ज्यादा सहयोग बड़े पापा श्री ललित सिंह कुशराम का बहुत योगदान रहा है। इसके साथ ही मेरे बुआ जी श्रीमती हीरमति पंद्राम और फुफा जी श्री लाल सिंह पंद्राम जी का योगदान भी मेरा उत्साह बढ़ाने और आज इस मुकाम को पाने में सहयोग के रूप में हमेशा मिलता रहा। मेरी समस्याओं का समाधान कराने में इन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया।  

क्षेत्र कोई भी हो लक्ष्य बनाकर लगन से करें कड़ी मेहनत 


राजेश्वरी कुशराम ने गोंडवाना समय के माध्यम से खेल के क्षेत्र के साथ ही अन्य क्षेत्रों में अपना भविष्य बनाने वाले ग्रामीण अंचलों में निवासरत विद्यार्थियों को संदेश दिया है कि वह जिस भी क्षेत्र में चाहे वह पढ़ाई हो, खेल हो और कोई भी क्षेत्र हो जिसमें वह अपना भविष्य तलाश करते हुये लक्ष्य बनाने का प्रयास कर रहे है। उसके लिये लगन के साथ कड़ी मेहनत के साथ प्रयास करेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी। वहीं जब आप अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे तो इससे अपने माता-पिता, परिवार-रिश्तेदार, गांव-ब्लॉक, जिला, प्रदेश व देश का नाम रोशन तो करेंगे ही साथ ही अपने आप ही अपना नाम भी गौरवांवित होगा। 

बेटियों को आगे बढ़ाने माता-पिता, परिवार, रिश्तेदार करें हमेशा सहयोग 

इसके साथ ही राजेश्वरी कुशराम ने कहा अक्सर ऐसा होता है कि घर व परिवार वाले बेटियों व बच्चों को उच्च शिक्षा हो या आगे की तैयारी के लिये जो कि बड़े शहर में ही बाहर ही सकती है उसके लिये बाहर नहीं जाने देते है जिससे उनका भविष्य और लक्ष्य भटकने के साथ रूक जाता है। इस विषय पर राजेश्वरी कुशराम ने सभी माता

िपता और परिवारजनों को भी यह संदेश दिया है कि यदि बेटी के भविष्य की बात है तो उन्हें अत्याधिक सपोर्र्ट और सहयोग की आवश्यकता होती है। जैसा कि मुझे मेरे माता-पिता, परिवारजनों, रिश्तेदारों ने विश्वास कर सहयोग किया तो मुझे अच्छा मुकाम मिला और मेरा उज्ज्वल भविष्य बनाने में सहायक सिद्ध हुआ। वैसा ही सहयोग प्रत्येक माता-पिता, परिवारजन, रिश्तेदारों को बेटियों को आगे बढ़ाने और भविष्य बनाने के लिये सहयोग करना चाहिये। 

आरती सोंधिया खुद सिलेक्शन प्रोसेस में थी शामिल 


डिंडौरी जिला खेल प्रशिक्षक आरती सोंधिया ने बताया कि मोहतरा में हाई स्कूल (10 वीं) की पढ़ाई के दौरान वर्ष 2013 में राजेश्वरी कुशराम का सिलेक्शन टैलेंट सर्च कॉम्पिटीशन के जरिए हुआ था। भोपाल की टीम के साथ आरती सोंधिया खुद सिलेक्शन प्रोसेस में शामिल थीं। जिला स्तर पर चयन कर राजेश्वरी को मप्र राज्य वॉटर स्पोर्ट एकेडमी भेजा गया था। वह 5 वीं एशियन ड्रैगन बोट चैंपियनशिप सहित कई स्तरीय स्पधार्ओं में मेडल जीत चुकी हैं। राजेश्वरी का स्टेट अवॉर्ड के लिए नाम घोषित होते ही जिले के खेल प्रेमियों और खेल विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों ने उन्हें बधाई दी। 

राजेश्वरी कुशराम का जिले में हुआ सम्मान 

खेल और युवा कल्याण विभाग द्वारा राज्य स्तरीय खेल पुरस्कार की घोषणा शुक्रवार की शाम की गई। जिले के लिए गौरव की बात यह रही कि बजाग विकासखंड अंतर्गत किकरातालाब निवासी राजेश्वरी कुशराम का चयन केनोइंग-कयाकिंग व्यक्तिगत खेल में विक्रम पुरस्कार के लिए किया गया है। जानकारी देते हुए जिला खेल अधिकारी कृष्ण कुमार चौरसिया ने बताया गया कि वर्ष 2013 में राजेश्वरी का भोपाल एकेडमी में प्रशिक्षण के लिए चयन हुआ था। वही 29 अगस्त 2020 को जिला मुख्यालय में सम्मान किया गया। विक्रम पुरस्कार में शासकीय नौकरी के साथ एक लाख रुपये नगद और प्रशस्ति पत्र भी दिया जाता है। 



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