परिवहन ठेकेदार को संरक्षण देकर गेंहू सुरक्षित रखने में फेल शिवराज सरकार के अफसर
कृषि प्रधान देश में अन्नदाता की मेहनत और अनाज का हो रहा अपमान
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि किसान का एक-एक दाना खरीदेंगे उन्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं है परंतु खरीदने के बाद उसे सुरक्षित कैसे रखेंगे। वहीं शिवराज सरकार के मंत्री कह रहे है कि भींगा हुआ गेंहू को सुखाकर भण्डारण किया जायेगा जब खरीदी केंद्रों में ही अनाज को सुरक्षित रखने की व्यवस्था नहीं बना पा रहे है तो फिर सुखायेंगे कहां पर यह सवाल पेचिदा होता जा रहा है। किसान भी मेहनत करके मिट्टी में से एक-एक दाना समेटकर, छानकर लाता है क्योंकि किसान को मालूम होता है कि उसने खेतों में एक-एक दाना बोवनी के बाद गहानी तक में कितनी मेहनत किया है। इसका एहसास खरीदी केंद्रों के जिम्मेदारों, खरीदी में भ्रष्टाचार का खेल करने वालो, भण्डारण के साथ परिवहन ठेकेदारों को संरक्षण देने वाले अफसरों को शायद ही होता होगा। हालांकि वे भी गेंहू का आटा ही खाते है जिससे उनका भी पेट भरता है लेकिन इसके साथ में उनकी दूसरी भूख भी है जिसे वे सबसे पहले शांत करना चाहते है। इसी के चलते उनकी आंखों में खुले आसमान के नीचे अनाज भींगने से बचाने के लिये उपाय करने में लापरवाही बरतते है। जबकि पहले ही बोवनी हैक्टेयर के हिसाब से बोवनी का अनुमान होता है कि इतना अनाज का उत्पादन हो सकता है तो उस आधार पर खरीदी केंद्रों में बरसात से बचाव के लिये तिरपाल व अन्य सामग्री साधन की व्यवस्था क्यों नहीं बनाया जाता है।
सिवनी। गोंडवाना समय।
सत्ताधारी लालबत्तीधारी और संगठन के नेताओं के कार्यक्रम होते है तो ड्रोम, तिरपालयुक्त शामियाना सजा दिया जाता है लेकिन किसानों की मेहनत से ऊगाये जाने वाले अनाज को बचाने के लिये शिवराज सरकार के अफसरों ने हजारों क्ंिवटल गेंहू को खुले आसमान के नीचे ही छोड़ दिया है। भोपाल से लेकर जिलों तक कागजों और समाचारों ही निर्देश जारी किये जा रहे है कि खरीदी केंद्रों में अनाज को सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये जाये लेकिन हकीकत में खरीदी केंद्रों में आज भी हजारों विंक्टल गेंहू खुले आसमान के नीचे रखा हुआ है। प्रारंभिक बरसात में गेंहू बोरो में गीला हो गया है और कुछ बोरों में गेंहू ऊगने भी लगा है।
बिल्डिंगो की छत से और सड़क किनारे पानी में भींग गया गेंहू
सिवनी जिले के अंतर्गत कन्हान पिपरिया सोसायटी में खुले आसमान के नीचे हजारों विंक्टल गेंहू रखा हुआ है। बरसात होने के बाद गेंहू बोरों में ही भींगकर गीला हो गया है। खरीदी केंद्र में सड़क के किनारे ढलानयुक्त जमीन पर खुले आसमान के नीचे गेंहू रखा होने के कारण बरसात का पानी सड़क से उतरकर ढलान की ओर बहते हुये बोरो में गेंहू को गीला करते हुये बह गया है।
खरीदी केंद्र के आसपास बनी बिल्डिंगो से तेज धार से नीचे गिरता हुआ पानी बोरो पर ही समा गया है, वहीं भवन के पीछे नालियों के रूप में तेज धार से बहने वाला पानी भी गेंहू से भरा हुये बोरो को गीला करते हुये निकला है।ऊगने के साथ ही बोरो में सड़ने लगा है गेंहू
बरसात के पानी से बचाने के लिये कोई साधन नहीं जुटा पाने के कारण कन्हान पिपरिया सोसायटी में हजारों विंक्टल गेंहू बोरो में भींग गया है। गीला होने के कारण अनाज सड़ने लग गया है, जिस अनाज को भोजन के रूप में खाने के लिये उपयोग किया जाता है। वह बदबू मारने लगा है जिसके कारण खरीदी केंद्र के आसपास गंदगीयुक्त बदबु से सड़क से आवागमन करने वाले राहगीर भी खरीदी केंद्र में रखे हुये गेंहू को सुरक्षित नहीं रख पाने के लिये जिम्मेदार ठहरा रहे है। कुछ बोरो में तो गेंहू गीला होने के कारण ऊगता हुआ भी दिखाई देने लगा है।
परिवहन ठेकेदार को मिलता है संरक्षण
प्रतिवर्ष देखा जाता है कि खरीदी केंद्रों में खुले आसमान के नीचे गेंहू रखा होता है और इसको परिवहन करने के लिये ठेका दिया जाता है। प्रतिवर्ष समय पर उठाव व परिवहन नहीं हो पाने के कारण असमय होने वाली बरसात व प्रारंभिग बरसात के कारण अनाज भींगकर खराब हो जाता है। अफसरों के द्वारा बैठक लेकर परिवहन ठेकेदार का सिर्फ चेतावनी देकर समय बढ़ाया जाता है लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। इसी का फायदा उठाकर परिवहन ठेकेदार ठेका लेकर कमाई पूरी करते है लेकिन भरपाई सरकार को अनाज बर्बाद करके करना पड़ता है। वहीं कुछ दिनों पूर्व सहकारिता कर्मचारी संघ द्वारा परिवहन ठेकेदार द्वारा समय पर उठाव व परिवहन नहीं किये जाने को लेकर शासन-प्रशासन पर आरोप लगाया गया था कि इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। समय पर परिवहन न होने के कारण खरीदी केंद्रों में किसानों व क्षेत्रिय ग्रामीणों की नाराजगी हमेें सुनना पड़ता है।